नरसिंहपुर/गाडरवारा। शक्कर नदी में गंदा पानी मिलने और सीवर ट्रीटमेंट प्लांट न बनाए जाने पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सख्त नाराजगी जताते हुए नगरपालिका गाडरवारा पर 44 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
पूर्व में नियुक्त जांच दल की रिपोर्ट और प्राक्क्लन के आधार पर यह जुर्माना लगाने का आदेश जारी किया गया। हालांकि जुर्माने की ये रकम 23 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई के दौरान बढ़ भी सकती है।
एनजीटी में लगाई गई याचिका के मुताबिक, नगरपालिका गाडरवारा के अंतर्गत चार बड़े नालों लड़ैया नाला, ओशोधाम नाला, छिड़ावघाट नाला और मातावार्ड के नाले में बहने वाला शहर का गंदा पानी रेलवे स्टेशन के पास शक्कर नदी में मिलता है।
2016 में इन नालों से नदियों के पर्यावरण को रही क्षति और नदियों के अस्तित्व के खतरे को देखते हुए पर्यावरण मंत्रालय ने नगरपालिका गाडरवारा को नदियों के मुहाने पर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट निर्मित कराने कहा था। इसके अलावा नदियों के तटों पर व्यापक स्तर पर पौधरोपण कराने का निर्देश भी दिया गया था।
नालों के कारण हुई पर्यावरणीय क्षति के आकलन के लिए चार सदस्यीय दल भी गठित किया गया था जिसमें प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सदस्य, स्वतंत्र पर्यावरणीय विशेषज्ञ, तत्कालीन कलेक्टर व एक अन्य शामिल थे।
समिति को नालों के कारण नदियों में कितना प्रदूषण हुआ, इसका आंकलन करने कहा गया था। समिति की जांच और निष्कर्ष के स्वरूप प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने नगरपालिका पर 31 जुलाई 2020 को 44 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। हालांकि, इस जुर्माने की रकम को नगरपालिका प्रशासन द्वारा जमा नहीं कराया गया।
एनजीटी न्यायालय द्वारा कोई जुर्माना संबंधी आदेश जारी किया है, इसके बारे में जानकारी नहीं है। हां ये जरूर है कि हमने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। अभी कलेक्ट्रेट की मीटिंग में हूं, बाद में बात करता हूं। – एपी गहरवार, सीएमओ, नगरपालिका गाडरवारा