बकस्वाहा के जंगलों की कटाई पर एनजीटी ने लगाई रोक


मामले में राज्य सरकार, केंद्र सरकार, वन विभाग, और हीरा खदान का ठेका लेने वाली कंपनी एस्सेल को पार्टी बनाया गया है


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हवा-पानी Published On :

हीरे की खदान के लिए बक्सवाहा के जंगलों के लाखों पेड़ काटे जाने को लेकर फिलहाल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दी है। ट्रिब्यूनल ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है और इसके साथ प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक को आदेश दिया है कि वे देखें कि कोई भी पेड़ नहीं कटना चाहिए।

इस मामले में राज्य सरकार, केंद्र सरकार, वन विभाग, और हीरा खदान का ठेका लेने वाली कंपनी एस्सेल को पार्टी बनाया गया है और इनसे चार सप्ताह में जवाब  देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त 2021 को तय की गई है।

एनजीटी ने साफ किया कि पेड़ काटे जाने से पहले वन विभाग की अनुमति आवश्यक है। वन संरक्षण अधिनियम की धारा दो में प्रदत्त गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। इसके तहत एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया जाए।

ट्रिब्युनल ने अपने आदेश में याचिकाकर्ता को निर्देश दिए गए सभी आवश्यक दस्तावेज और याचिका की कॉपी अनावेदकों को भी दें।

यह याचिका नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे, रजत भार्गव, और उज्जवल शर्मा की ओर से लगाई गई थी। संयुक्त याचिका की NGT ने 30  जून बुधवार को सुनवाई की थी।

याचिका में बक्सवाहा जंगल में हीरा खदान की अनुमति देने और पेड़ों की कटाई को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता डॉक्टर पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने 21 जून को आवेदन प्रस्तुत कर बक्सवाहा जंगल में रॉक पेंटिंग मिलने के मामले में ऑर्कियोलॉजिकल सोसाइटी से इसकी रिपोर्ट पेश करने की अपील की है।

इस मामले में आदित्य बिरला ग्रुप की खनन कंपनी एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड की ओर से वकीलों ने दलील दी कि मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में है और अब दो केस NGT में भी लगा दिए गए हैं। इस तरह केस लगाकर खनन कंपनी को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है। वकीलों ने बताया कि यह कंपनी प्रोजेक्ट के लिए एमपी शासन को 27 करोड़ से अधिक दे चुकी है। माइनिंग विभाग अनुबंध से तीन साल के अंदर क्लीयरेंस करा कर देगी।

कंपनी द्वारा दावा किया कि हीरा निकालने वाली साइट के 10 किमी क्षेत्र में रिजर्व फारेस्ट या वाइल्ड लाइफ सेंचुरी नहीं है। फाॅरेस्ट की रिपोर्ट में भी विशिष्ट जानवरों की उपस्थिति नहीं बताई गई है। पर्यावरण व वन विभाग की सभी अनुमतियों के बाद ही पेड़ काटा जाएगा।

ग्राउंड वाॅटर को वॉटर हार्वेस्टिंग करके रिप्लेस करेंगे। बक्सवाहा में अगले 12 वर्षों में काटे जाने वाले 2.15 लाख पेड़ों की तुलना में 3.80 लाख पेड़ लगाए जाएंगे। इसके लिए कंपनी ने 15.8 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

उल्लेखनीय है कि 382.131 हेक्टेयर के इस जंगल क्षेत्र में 40 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के दो लाख 15 हजार 875 पेड़ों को काटा जाएगा ताकि जमीन के नीचे दबा दुनिया का अब तक ज्ञात सबसे बड़ा हीरा भंडार निकाला जा सका। इसकी कीमत करीब साठ हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है। इस प्रोजेक्ट को बंदर प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर यह प्रोजेक्ट शुरु होता है तो बुंदेलखंड क्षेत्र की वनस्पति, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और यहां की जलवायु पर बेहद नकारात्मक असर होंगे।


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