नेट ज़ीरो एनर्जी ट्रांज़िशन ही ऊर्जा संकट का समाधान


इस प्रक्रिया के लिये निजी बाजारों की आवश्‍यकता होगी, वहीं इस रूपांतरण में मदद के लिये सरकारी नीतियों में उल्‍लेखनीय बदलाव की भी जरूरत है। इसमें से ज्‍यादातर निवेश समुद्रपारीय किस्‍म का होगा।


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net zero energy transition

कोलम्बिया सेंटर ऑन सस्‍टेनेबल इन्‍वेस्‍टमेंट (सीसीएसआई) ने आज रेन्युबल ऊर्जा में निवेश के कारकों और उसमें आने वाली बाधाओं पर आधारित अपनी दो नयी रिपोर्टें पेश कीं।

पहली रिपोर्ट, ‘स्‍केलिंग इन्‍वेस्‍टमेंट इन रीन्‍यूएबल एनर्जी जेनरेशन टू अचीव सस्‍टेनेबल डेवलपमेंट गोल्‍स 7 (अफोर्डेबल एण्‍ड क्‍लीन एनर्जी) एण्‍ड 13 (क्‍लाइमेट एक्‍शन) एण्‍ड द पैरिस एग्रीमेंट : रोडब्‍लॉक्‍स एण्‍ड ड्राइवर्स, ससटेनेबल एनर्जी क्षेत्र में निवेश में व्‍याप्‍त बाधाओं और निवेश बढ़ाने वाले कारकों पर रोशनी डालती है। साथ ही यह अंतर्राष्‍ट्रीय अनुभव से निकले समाधान भी पेश करती है।

यह इस बात को स्‍पष्‍ट करती है कि ससटेनेबल एनर्जी में निवेश की राह में पैदा रुकावटों का हल निकालने और जीरो कार्बन वाली ऊर्जा सुरक्षा और समृद्धि हासिल करने के लिये राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय प्रयासों को कहां पर फौरन केन्द्रित किया जाना चाहिये।

दूसरी रिपोर्ट, ‘द रोल ऑफ इन्‍वेस्‍टमेंट ट्रीटीज एण्‍ड इन्‍वेस्‍टर-स्‍टेट डिसप्‍यूट सेटलमेंट इन रीन्‍यूएबल एनर्जी इन्‍वेस्‍टमेंट्स’ दशकों के शोध की पुष्टि करता है कि निवेश समझौतों में कानूनी सुरक्षा का ससटेनेबल एनर्जी में भी विदेशी निवेश प्रवाह को बढ़ावा देने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके अलावा, निवेश समझौते राज्यों के लिए और ससटेनेबल एनर्जी में निवेश को प्रोत्साहित करने के व्यापक नीतिगत उद्देश्य के लिए असाधारण रूप से महंगी हो सकती हैं।

नेट ज़ीरो एनर्जी ट्रांज़िशन ही वर्ष 2022 के ऊर्जा संकट का समाधान होने के साथ-साथ वैश्विक ऊर्जा संकट के समाधान का बुनियादी हिस्‍सा है। हालांकि इस प्रक्रिया के लिये निजी बाजारों की आवश्‍यकता होगी, वहीं इस रूपांतरण में मदद के लिये सरकारी नीतियों में उल्‍लेखनीय बदलाव की भी जरूरत है। इसमें से ज्‍यादातर निवेश समुद्रपारीय किस्‍म का होगा।

सीसीएसआई की रिपोर्ट अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश की न सिर्फ रुकावटों की पहचान करती है बल्कि विकासशील देशों को सभी के लिए सस्ती, भरोसेमंद, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करने और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और पेरिस समझौते के उद्देश्यों को प्राप्त करने के उद्देश्‍य से अपनी ऊर्जा प्रणालियों और अर्थव्यवस्थाओं को डीकार्बनाइज करने के लिए कार्रवाई योग्य सिफारिशें भी प्रदान करती है।

सीसीएसआई में सीनियर लीगल रिसर्चर लाडन मेहरानवर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बोले, ‘‘अब यह पहले से ज्‍यादा साफ हो गया है कि विकासशील देशों में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिहाज से निवेश समझौते न तो प्रभावी हैं और न ही निर्णायक हैं।’’

आगे सीसीएसआई में लीड रिसर्चर मार्टिन डीट्रिच ब्राउच बोले, ‘‘हम उम्‍मीद करते हैं कि ये दोनों रिपोर्टें निवेशकों के लिये उपयोगी होंगी। वहीं, यह अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने की राह में आने वाली रुकावटों का हल निकालने में नीति निर्धारकों की मदद भी करेंगी।’’

ये रिपोर्टें विकासशील देशों में अक्षय ऊर्जा में निवेश के अवरोधों को खत्‍म करने के लिए नीतिगत सिफारिशें प्रदान करती हैं।इनमें निम्‍नांकित शामिल हैं :

अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को अग्रिम पूंजी लागत में कमी लाने के लिए कुशल और पर्याप्त ऋण वित्तपोषण नीतियां विकसित करनी चाहिए और अक्षय ऊर्जा में निवेश के लिए सार्वजनिक और निजी वित्त को प्रोत्साहित करना चाहिए।

विकासशील देशों की सरकारों को खरीदारों से जुड़े (ऑफ-टेकर) जोखिम को कम करने और ग्रिड की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए ट्रांसमिशन ग्रिड और ऊर्जा भंडारण समाधानों का निर्माण, समर्थन, डिजिटीकरण और उन्नयन करना चाहिए।

विकासशील देशों की सरकारों को अक्षय ऊर्जा में निवेश को आकर्षित करने और समर्थन देने के लिए राजकोषीय नीति उपकरण डिजाइन करने चाहिए और समय-समय पर राष्ट्रीय और वैश्विक आर्थिक हकीकत की रोशनी में उनकी समीक्षा और समायोजन करना चाहिए।

विकासशील देशों की सरकारों को निवेश संधियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय मजबूत और स्थिर संस्थागत, कानूनी और नियामक ढांचे की स्थापना करनी चाहिए।

विकासशील देशों की सरकारों को अपने संस्थागत, कानूनी और नियामक ढांचे के मूल में महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय ऊर्जा रोडमैप विकसित करना चाहिए।

कोलम्बिया सेंटर ऑन सस्‍टेनेबल इन्‍वेस्‍टमेंट (सीसीएसआई) दरअसल कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के कोलम्बिया लॉ स्‍कूल और द अर्थ इंस्‍टीट्यूट का संयुक्‍त केन्‍द्र है। सीसीएसआई अंतर्राष्‍ट्रीय निवेश के सतत विकास की सम्‍भावनाओं को मजबूती देने का काम करता है।

साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि अंतर्राष्‍ट्रीय निवेश निवेशकों और उसे हासिल करने वाले देशों के निवेशकों और नागरिकों के लिये पारस्‍परिक रूप से फायदेमंद हो। हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना करते हैं जिसमें अंतर्राष्ट्रीय निवेश सतत विकास में योगदान देता है और इसे कमजोर नहीं करता।

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