प्रधानमंत्री ने 2019 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लोगों से सिंगल यूज़ प्लास्टिक को “ना” कहने की अपील की थी। इस दिशा में सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है और साथ ही अन्य विकल्पो पर भी कार्य कर रही है। प्रयासों को सफल बनाने के लिए कई नियम बनाए गए और उन्हें सख़्ती से लागू कराने के प्रयास हो रहे हैं।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत सिंगल यूज़ प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध लगाने और उसका इस्तेमाल न करने के प्रति देश भर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है जिसमें सभी राज्य अपना अपना योगदान दे रहे हैं। महाराष्ट्र के भी अनोखे प्रयास सुर्खियां बटोर रहे हैं जिसमें थैला एटीएम प्रमुख है।
महाराष्ट्र ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में अपनी भागीदारी दर्ज करा ली है। महाराष्ट्र के विटा नगर परिषद् ने दुकानदारों और खरीददारों को इको-फ्रैंडली थैले मुहैया कराने के लिए भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर पांच जगह ‘थैला एटीएम’ लगाए हैं।
क्या है ऑटोमेटेड थैला मशीन –
थैला एटीएम का प्रयोग बिल्कुल एक बैंक एटीएम है। अपनी आवश्यकतानुसार सिक्का या नोट डालने पर वेंडिंग मशीन से आसानी से थैला मिल जाता है। ये थैले, कॉटन यानि सूती कपड़े से बने हुए हैं जो कि री-यूज़ किये जा सकते हैं।
इससे पर्यावरण स्वच्छ और स्थिर बनता है। मशीन में वॉइस ओवर के जरिये उपयोग की भी सुविधा है। थैला मशीन जीएसएम टेक्नॉलजी पर आधारित है।
टेक्नॉलजी के माध्यम से परिषद्, मशीन में उपलब्ध और कुल निकाले गए थैलों की निगरानी करता है। मशीन में थैलों की संख्या लिमिट से कम होते ही तुरंत एक अलर्ट मैसेज परिषद् को पहुंच जाता है और वे रीफिल कर देते हैं।
महिलाओं को मिलेगी आर्थिक मजबूती और आत्मनिर्भरता –
थैला एटीएम से विटा के सेल्फ हैल्प ग्रुप्स को रोज़गार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं और आमदनी का भी ज़रिया बन गया है।
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं थैला, एटीएम वेंडिंग मशीन के लिए कपड़े के थैले सिल कर स्वयं को आत्मनिर्भर बना कर स्वाभिमान के साथ जीवन व्यतीत कर पा रही हैं।
विटा, महाराष्ट्र में पिछले 10 वर्षों से रहने वाली मुमताज़ राजू सैय्यद कहती हैं कि
मैं जब भी मार्केट आती थी तो प्लास्टिक का थैला ही मिलता था, जिसका दुबारा यूज़ भी नहीं किया जा सकता था और फेंकने पर भी उसके अवशेष पूरी तरह से नष्ट नहीं होते। लेकिन थैला एटीएम आने से अब कपड़े का थैला मिल जाता है जिससे शॉपिंग के दौरान समान रखना बिल्कुल आसान हो जाता है।
व्यापक स्तर पर उठाए जा रहे कदम –
महाराष्ट्र प्लास्टिक को पूर्णतः प्रतिबंधित करने वाला देश का 18वां राज्य है। बाजार में परिषद् द्वारा प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करने वाले व्यापारियों, दुकानदारों व खरीददारों पर जुर्माना लगाया जा रहा है जिसके सकारात्मक परिणाम देखने मिल रहे हैं।
वसई जिले के पालघर में 50000 पोस्टर लगवा कर प्रचार, नागपुर के वर्धा शहर में स्वयं सहायता समूह ने 17000 पेपर बैग्स बाटें, अमरावती जिले के अकोला शहर में स्ट्रीट प्ले के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाने जैसे तमाम प्रयास निरंतर किए जा रहे हैं।
रीसाइकल प्लांट लगाने की योजना –
महाराष्ट्र के कई शहरों में रीसाइकल प्लांट लगाने की योजना के तहत प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल्स (PPP) की सहयता से कई टन प्लास्टिक वेस्ट का निस्तारण सुनिश्चित किया गया।
रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकल (3R) के तहत काफी सक्रियता से उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है जैसे अमरावती में वेस्ट मैनेजमेंट से ईको-ब्रिक बनाए गए हैं और कई सारे शहरों में वेस्ट टु वंडर पार्कों में प्लास्टिक के इस्तेमाल से सौंदर्यीकरण किया गया है।
केंद्र सरकार के निर्देशानुसार 60 माइक्रोन तक की मोटाई के कैरी बैग और कप, हार्ड फोम, सॉफ्ट फोम और लैमिनेटेड प्लास्टिक या एल्युमीनियम-कोटेड पैकेजिंग सामग्री का उपयोग कर महाराष्ट्र में सड़क का भी निर्माण किया जा रहा है।