भोपाल। भीषण गर्मी में इन दिनों लोगों की शिकायत बिजली न मिलना है। पारंपरिक बिजली यानी बड़े पैमाने पर प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल जो आखिरकार धरती के गर्म होने का कारण बन रहा है।
गर्म धरती जिसे ठंडा करने की अपनी नाकाम कोशिशों के लिए हम फिर इसी विध्वंसकारी प्रक्रिया को अपनाते हैं। और इसी दौरान कम होते जाते हैं हमारे प्राकृतिक संसाधन।
ऐसे में अब दुनिया में इस प्रक्रिया से निजात पाने के कोशिशें शुरू हो गईं हैं, भारत भी इस प्रयास में शामिल है। जहां बड़े पैमाने पर अक्षय उर्जा को तैयार करने के लिए सरकार प्रयासरत दिखाई दे रही है।
कर्नाटक, राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में सौर उर्जा को लेकर सरकारें काफी दूरदर्शी नज़रिया अपना रहीं हैं। मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां साल 2030 तक कुल ज़रुरत की पचास फ़ीसदी बिजली सौर उर्जा से बनाने की तैयारी की जा रही है।
प्रदेश का खंडवा जिला भी अक्षय उर्जा के क्षेत्र में बड़ा नाम कमा रहा है। यहां ओंकारेश्वर बांध के जलाशय में दुनिया में सबसे बड़ा पानी पर तैरता सोलर पैनल लगाया जाना है। यह सोलर पैनल करीब दो हजार हेक्टेयर के क्षेत्र में होंगे।
इस पूरी परियोजना पर करीब तीन हजार करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे जहां से 2024 तक बिजली आपूर्ति शुरू होने की संभावना है। सरकार का यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पानी पर सोलर पैनल लगाकर जमीन अधिग्रहण पर होने वाले शुरुआती खर्च को कम किया जा सकेगा और इस तरह ओंकारेश्वर बांध का पानी भी वाष्पीकृत होने से बचा रहेगा।
NHDC Ltd. has successfully won 88 MW floating Solar Project in the eRA bidding process conducted by Rewa Ultra Mega Solar Ltd. (A Joint Venture of SECI & Govt of MP). The project will be installed at Omkareshwar Reservoir in Khandwa dist. of Madhya Pradesh @nhpcltd @MinOfPower pic.twitter.com/fvWRzZPaz9
— NHDC Limited (@nhdcltd) May 6, 2022
प्रदेश सरकार की यह योजना मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम की जन निज भागीदारी के अंतर्गत तैयार की गई है। इस योजना के दोनों चरण पूरे होने पर हर साल करीब 1200 मिलियन यूनिट सोलर बिजली का उत्पादन हो सकेगा।
यहां तीन सौ मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए काम शुरू हो चुका है। इसके लिए पिछले दिनों टेंडर बुलाए गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक इसमें कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है लेकिन तीन कंपनियों का चयन हुआ है।
इन कंपनियों में दिल्ली की कंपनी एएमपी एनर्जी, भोपाल की कंपनी एनएचडीसी और हिमाचल प्रदेश की एसजेवीएन कंपनी शामिल हैं। इन कंपनियों के द्वारा द्वारा 100-100 मेगावाट बिजली का उत्पादन बीओओ यानी बिल्ड ऑन एंड आपरेट प्रक्रिया के तहत किया जाएगा।
इन कंपनियों द्वारा प्रति यूनिट उत्पादन के लिए क्रमशः 3.21 रुपये, 3.22 रुपये और 3.26 रुपये दर तय की गई है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद ये कंपनियां जलाशय में अपने फ्लोटिंग पैनल स्थापित करना शुरू कर देंगी।
राज्य सरकार को उम्मीद है कि ओंकारेश्वर में शुरू की गई यह परियोजना कई बड़े कॉरपोरेट्स को सोलर एनर्जी के उत्पादन के लिए प्रेरित करेगी और जल्दी ही वे भी इस पर काम शुरू करेंगे।
खंडवा जिला प्रदेश की उर्जा जरुरत की एक बड़े हिस्से की पूर्ति करता है। यहां पहले से ही 1520 मेगावाट की इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांध जल परियोजनाएं तथा 2520 मेगावाट क्षमता वाली संत सिंगाजी थर्मल पावर परियोजनाएं काम कर रहीं हैं और अब अगले दो सालों में यहां 600 मेगावाट की सौर उर्जा भी तैयार की जाएगी। इसके लिए प्रकिया शुरू हो चुकी है।
इसके अलावा मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम और सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के साझा उपक्रम रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड द्वारा प्रदेश में 1500 मेगावाट की सौर उर्जा को तैयार करने की परियोजनाएं काम कर रहीं हैं।
ये तीन परियोजनाएं आगर, शाजापुर और नीमच में हैं। इनमें क्रमशः 550 मेगावाट, 450 मेगावाट और नीमच 500 मेगावाट बिजली बनाई जाएगी।