खरगोन। निमाड़ का कृषि क्षेत्र देश भर को आकर्षित करता है। यहां की मिर्च, कपास और दूसरी कई फसलें प्रसिद्ध हैं। जिले में हो रही कृषि उन्नति जहां खुशी की बात है तो वहीं इसमें पेस्टिसाइड यानी रसायनिक उर्वरकों का बढ़ता चलन एक बड़ी चिंता है।
जिले में साल-दर-साल रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का खेती में उपयोग बढ़ते जा रहा है। किसान खेतों में अधिक पैदावार के साथ ही वायरस और बीमारियों से बचाव के लिए इनका निर्धारित मात्रा से अधिक उपयोग कर रहे हैं। जिले में एक वर्ष के दौरान किसान 686 करोड़ रुपये के रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों को पर खर्च कर रहे है।
कृषि विभाग के अनुसार जिले में खरीफ फसल के दौरान 4 लाख हेक्टेयर और रबी सीजन के दौरान 3 लाख 50 हजार हेक्टेयर में किसान विभिन्न फसलों का उत्पादन कर रहे है।
इन दोनों सीजन में किसान प्रति हेक्टेयर 9 हजार 500 रुपये के रासायनिक उर्वरक पर खर्च कर रहे है। इसी प्रकार कीटनाशकों पर 14 हजार 200 रुपये खर्च कर रहे हैं।
यदि किसान चाहें तो प्राकृतिक खेती के माध्यम से उर्वरकों और कीटनाशकों पर खर्च हो रहे करोड़ों रुपयों की बचत कर सकते है जिले में कुछ किसान पूरी तरह से जैविक खेती कर रहे हैं। इससे वे पर्यावरण को बचाने के साथ ही मिट्टी की क्षमता को बढ़ा रहे हैं।
4146 किसान कर रहे है प्राकृतिक खेती –
जिले में वर्तमान समय में 3 हजार 265 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में 4 हजार 146 किसानों द्वारा कृषि एवं उद्यानिकी फसलों के साथ ही प्राकृतिक खेती कर रहे हैं।
जिले में रासायनिक कीटनाशक पर 4 हजार 700 रुपये प्रति हेक्टेयर कीटनाशक खर्च किया जाता है। किसान द्वारा एक वर्ष में करीब 336 करोड़ का रासायनिक उर्वरकों एवं 350 करोड़ रुपये कीटनाशक दवाईयों का उपयोग किया जाता है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एक देशी गाय के गोबर और गौमुत्र से एक किसान तीस एकड़ जमीन पर खेती कर सकता है। प्राकृतिक विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक खरीदने की जरुरत नहीं पड़ती है।
फसलों की सिंचाई के लिए पानी एवं बिजली भी वर्तमान की तुलना 10 प्रतिशत ही खर्च होगी। जिले में कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती की और ले जान के लिए किए जा रहे प्रयास।
जिले में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग में कमी लाने के लिए किसानों को विभागीय स्तर पर जागरुक किया जा रहा है। किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है।रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक के उपयोग में जिला अन्य जिलों की तुलना में आगे है।इसमें कमी लाने का प्रयास किया जा रहा है।
– एमएल चौहान, उपसंचालक कृषि विभाग, खरगाेन