दुबई में 2 दिसंबर को विश्व जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी-28) में महापौर पुष्यमित्र भार्गव बताएंगे कि क्लीन एयर सहित क्लाइमेट टारगेट्स के लिए इंदौर का एक्शन प्लान क्या है और यह कैसे लागु होगा… इससे पहले महापौर ने वायु गुणवत्ता सुधार के लिए क्या प्रयास चल रहे हैं…
ठंड का मौसम है, साफ हवा को लेकर किस किस्म की चुनौतियां हैं?
वायु प्रदूषण, खास तौर पर पीएम 2.5 और पीएम 10 हमेशा ही चुनौती है, लेकिन ठंड के समय यह चुनौती और बढ़ जाती है। एटमॉस्फियर बहुत डेंस हो जाता है, लोगों के द्वारा कोयले-लकड़ियों का जलाना, गाड़ियों का अधिक उपयोग भी बढ़ जाता है, इस दृष्टि से यह एक अलग चुनौती होती है, लेकिन इंदौर हमेशा चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार रहता है।
एयर क्वालिटी इंडेक्स को कंट्रोल करने के लिए क्या उपाय किए गए हैं?
इंदौर ने पहले भी “रेड लाइट ऑन, इंजन ऑफ”, होटलों भट्टियों को बंद करना, या होली के समय या कम से कम लकड़ियां जलाने जैसे उपाय किए हैं। इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन को रोकने के लिए डीज़ल या कोयले से जलने वाले बॉयलरों या होटलों में लगने वाली भट्ठियों को सीएनजी में कन्वर्ट करने का प्रयास हो, या फिर अपने वाहनों ईवी में कन्वर्ट करने के प्रयास हो, इंदौर हमेशा इनको लेकर जागरूक रहता है। इंदौर शहर लोगों को जागरुक करके एयर क्वालिटी इंडेक्स को कंट्रोल करने में जनता की सहभागिता से सतत प्रयास करता रहता है।
आस-पास उद्योग और ट्रैफिक वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से हैं। इन मोर्चों पर लोगों का रिस्पांस कैसा है?
इंदौर में हर काम जन भागीदारी, जनता से राय-मशविरा करके और हर चुनौती से लड़ने में उनका सहयोग लेकर ही आगे बढ़ता है। वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई एक बड़ी चुनौती है और लंबी लड़ाई है। यह तभी संभव है जब इन चीजों के जो स्टेकहोल्डर्स हैं, चाहे वह उद्योग जगत से जुड़े हुए लोग हों, होटल इंडस्ट्री से जुड़े लोग हों, वाहनों के सेल-परचेस करने वाले लोग हों।
इन सब के साथ मिलकर बात करना, उद्योगों में ज्यादा से ज्यादा सोलर एनर्जी के उपयोग और ईवी व्हीकल्स के सेल को बढ़ावा देना हमारे कोशिशों में शामिल है। इंदौर में 45 नए ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाए हैं। महिलाओं के लिए विशेष रूप से ईवी ऑटो रिक्शा या कारोबारियों के लिए ईवी लोडिंग रिक्शा उपलब्ध कराए हैं। इन सब से जुड़े स्टेकहोल्डर्स को बुलाना, बात करना और समाज में उनकी भूमिका तय करना इस सब को लेकर नगर निगम हमेशा प्रयास करता रहता है और सफलता भी प्राप्त करता है।
क्या सस्ते कुकिंग गैस सिलेंडरों से वायु प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी?
माननीय प्रधानमंत्री जी जब उज्ज्वला योजना लेकर आए- उसके पीछे दो भाव थे। एक, घर की महिला धुएं में कष्ट को छोड़ कर सम्मान से सुविधा से खाना बना पाए तो घर-घरगैस के कनेक्शन दिए गए। उसी सम्मान को बढ़ाते हुए सुलभता से उपलब्ध हो इसके लेकर भी सब्सिडी और राहत दी गई है। मुझे ऐसा लगता है कि यह पूरा अभियान कहीं ना कहीं एयर क्वालिटी इंडेक्स और प्रदूषण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पूरे शहर की वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए क्या इंतजाम हैं?
वायु को शुद्ध रखने के प्रयास एक बात है लेकिन कहां कितना वायु प्रदूषण है उसकी सीमा कितनी है इसकी मॉनिटरिंग और मेजरमेंट सबसे महत्वपूर्ण है जब तक डाटा नहीं होगा इसकी मॉनिटरिंग नहीं होगी उसका मेजरमेंट नहीं होगा तो आसपास के क्षेत्र में समस्या हल करना एक चुनौती हमेशा बनी रहेगी।
क्लीन एयर कैटलिस्ट के साथ इंदौर नगर निगम ने बड़े स्तर पर सर्वे करके अभियान चला कर अलग-अलग गंभीर मुद्दों को स्टडी किया है और अब स्टडी बाद उनका हल क्या हो और उसके एग्जीक्यूशन पर भी काम कर रहे हैं। क्लीन एयर कैटलिस्ट के साथ जो तीन मेजरमेंट के इंस्ट्रुमेंट लगे थे, उनको और बढ़ावा देने और मॉनिटरिंग की दृष्टि से चार एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन्स स्थापित करते हुए नगर निगम भी इस काम को आगे बढ़ा रहा है।
चुनाव के दौर में बीते माह कहीं-कहीं ग्रीन कवर बढ़ाने का काम हुआ, लोगों को अच्छा लगा। आगे क्या योजना है?
देखिए चुनाव अपनी जगह हैं, अर्बन लोकल बॉड़ीज़ के काम और उनकी जिम्मेदारियां पूरी होती रहें, यह सबकी जिम्मेदारी है। शहर में पिछले डेढ़ साल में हमने लगभग 100 में नए सिटी फॉरेस्ट बनाने का संकल्पदिया लगातार काम जारी है, जगह आईडेंटिफाई हो रही है, जिम्मेदारी है। शहर में पिछले डेढ़ साल में हमने लगभग 100 में सिटी फॉरेस्ट बनाने का संकल्प लिया था जिस पर लगातार काम जारी है। जगह आईडेंटिफाई कर सिटी फॉरेस्ट डेवलप हो रहे हैं।
कई उमंग वाटिकाएं बनाने के बारे में सोचा गया है, उस पर काम शुरू हो गया है। यहां कई सारे पहाड़ों पर ग्रीनरी बढ़ा रहे हैं। मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि इंदौर में इस साल हरियाली अमावस पर एक साथ प्रयास करके पूरे शहर में एक लाख 19 हजार पौधे रोप कर उनको वृक्ष बनाने का संकल्प लिया है।शहर का ग्रीन कवर बढ़े यह हम सब की चिंता का विषय है। लेकिन केवल चिंता करने से नहीं होगा पूरे इंदौर को प्रयास करके हर व्यक्ति को एक पौधा लगाकर उसकी चिंता करनी होगी।