जंगल का घटता दायरा: 543 वन ग्रामों की 14 हजार हेक्टेयर वनभूमि पर अब रहवासियों के पट्टे


जंगलों के घटने के साथ वनों से बाहर आकर वन्य प्राणियों का आबादी की ओर हो रहा है पलायन। 26 हजार 482 लोगों ने किए थे पट्टे के आवेदन, जिले में 1.25 लाख हेक्टेयर है वनभूमि।


आशीष यादव
धार Published On :
consie forest area

धार। जहां एक ओर सरकार जंगल व पर्यावरण बचाने की बात करती है तो वहीं दूसरी ओर जिले में घटते जंगल भी यहां प्रमुख समस्या बनती जा रहे हैं। जिले में जंगल का दायरा लगातार सिमटता जा रहा है।

यही कारण है कि वन्य प्राणी हमलावर होकर आबादी क्षेत्र में मवेशी और लोगों पर हमला कर रहे हैं। इसके बाद भी जंगलों को संरक्षित करने को लेकर कोई योजना नहीं है। दूसरी तरफ वनभूमि के घटने का सिलसिला जारी है।

जिले में बीते वर्षों में वन ग्रामों में आने वाली 14 हजार हेक्टेयर भूमि वन अधिकार अधिनियम के तहत दिए जाने वाले पट्टों में चली गई है जबकि 432 हेक्टेयर जमीन विभिन्न सरकारी योजनाओं में ली जा चुकी है।

दरअसल वनभूमि का रिकॉर्ड कभी परिवर्तित नहीं होता, लेकिन मप्र वन अधिकार अधिनियम के आने के बाद जंगलों में बसने वाली आबादी को रहने का अधिकार देकर पट्टे जारी किए जा रहे हैं।

इनमें पात्रता रखने वाले हितग्राही सिर्फ वे हैं, जिनकी पीढ़ियां सिर्फ जंगलों पर ही निर्भर रही हैं और आज भी ये लोग जंगल पर आश्रित हैं, लेकिन वर्तमान में यह देखने में आया है कि जंगल का दायरा सिमटता जा रहा है। रहवासी के अलावा जंगल की जमीन पर छोटे-छोटे भूखंड तैयार कर खेती तक हो रही है।

सवा लाख हेक्टेयर वन भूमि –

धार जिला भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से काफी बड़ा है। वन विभाग के अनुसार धार जिले में 1.25 लाख हेक्टेयर वन भूमि है। वनभूमि पहाड़ी में फैली हुई है। इस कारण यहां वन्य प्राणियों की संख्या भी ज्यादा है जिनमें तेंदुए भी शामिल हैं।

वर्ष-2016 में हुई वन्यप्राणी गणना के अनुसार धार जिले में तेंदुए की संख्या 16 थी जबकि जंगल में 506 वन्यप्राणी निवासरत हैं। तेंदुए के बढ़ते हमलों से साफ है कि जिले में तेंदुओं की संख्या बढ़ी है।

हालांकि वर्ष-2022 में हुई ऑनलाइन गणना के आंकड़े अभी आना शेष हैं। ऐसे में जंगल को बचाने से ज्यादा जंगल की जमीन को बचाने की जरूरत है क्योंकि जमीन रहेगी तो ही जंगल की परिकल्पना की जा सकती है।

जंगलों के समीप पहुंच रही आबादी –

जिले में बढ़ती आबादी के साथ उनको रहने की जगहों की भी आवश्यकता होती है। जंगलों के समीप अब आबादी का बढ़ना बड़ी चिंता का कारण बनता जा रहा है जिसके कारण सालों से वहां रहने वाले लोग वहां कब्जा करके अपना निवास बना रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर बढ़ते वन्य प्राणी हमला भी एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है क्योंकि जंगलों में मनुष्य का आवागमन बढ़ना वन्य प्राणियों के लिए खतरा बनता जा रहा है।

अब वन्य प्राणी भी गांव की ओर पलायन कर रहे हैं जिससे जिले में लगातार हर महीने वन्य प्राणी आबादी क्षेत्र में दिखने के साथ ही इनके द्वारा हमले की घटना अकसर प्रकाश में आती है।

वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को एसी कमरों से निकल कर जंगलों के पास हो रहे अवैध कब्जों को भी हटाने का प्रयास करना पड़ेगा और कागजों के घोड़े दौड़ाने की बजाय जमीनी स्तर पर भी ध्यान देना होगा।

वन पट्टों की स्थिति

ब्लॉक – वन ग्राम – प्राप्त दावे – मान्य दावे – रकबा

बदनावर 11 594 573 360.88

सरदारपुर 69 2082 953 939.15

तिरला 85 3878 2520 1852.14

नालछा 98 3836 2345 1323.07

बाग 63 2841 1950 2486.62

कुक्षी 7 313 202 251.18

डही 38 3012 2145 1701.15

निसरपुर 1 72 60 25.24

गंधवानी 112 7196 3993 4355.36

मनावर 9 178 54 38.05

बाकानेर 23 1027 529 544.71

धरमपुरी 27 1453 883 506.03

कुल 543 26482 16207 14383.58


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