इंदौर। क्लीन एयर कैटलिस्ट (सीएसी) ने शहर में पांच जगह वायु गुणवत्ता की नियमित जांच करते हुए वायु प्रदूषण के स्रोतों के विश्लेषण के लिए एक अध्ययन शुरू किया है।
इस अध्ययन से इंदौर की वायु को प्रदूषित करने वाले कारकों की सही जानकारी मिलेगी और फिर इनका मुकाबला करने के लिए उचित लागत में असरदार रणनीति तैयार होगी।
वायु गुणवत्ता की बेहतरी के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर चल रहे क्लीन एयर कैटलिस्ट प्रोजेक्ट के तहत शुरू हुए इस अध्ययन को सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी कहते हैं।
आईआईटी दिल्ली के डॉ. हर्ष कोटा ने कहा कि एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग गर्मी और ठंड के मौसम में की जाएगी, जिससे मौसमी बदलावों का भी सही सैंपल मिल सके।
सीएसी टीम को इस अध्ययन में श्री गोविंदराम सेक्सरिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (एसजीएसआईटीएस) के छात्रों का भी सहयोग मिल रहा है। यह अध्ययन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश और मार्गदर्शन के तहत किया जाएगा। इसकी अवधि 18 माह होगी।
मददगार साबित होंगे –
क्लीन एयर कैटलिस्ट प्रोजेक्ट की पोस्ट डॉक्टरल रिसर्चर डॉ. निवेदिता बर्मन के मुताबिक, इस अध्ययन से सीएसी के उद्देश्यों और काम के नतीजों को मजबूती मिलेगी। साथ ही शहर में स्वच्छ वायु के लिए रणनीति बनाने की प्राथमिकता को भी बल मिलेगा।
बर्मन के मुताबिक, इस अध्ययन के नतीजे नागरिकों को वायु प्रदूषण के स्रोतों को जानने और इसका मुकाबला करने में मददगार साबित होंगे।
अध्ययन के लिए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन –
क्लीन एयर कैटलिस्ट यानी सीएसी यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो एन्वॉयर्नमेंटल डिफेंस फंड (ईडीएफ) और वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (डब्ल्यूआरआई) के नेतृत्व में विभिन्न संस्थाओं की वैश्विक साझेदारी है।
इसमें अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन और अधीक्षण यंत्री महेश शर्मा के नेतृत्व में उपरोक्त अध्ययन के तहत चल रहे एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन का दौरा करने के लिए मुसाखेड़ी और बिचोली हप्सी पहुंचे।
इस अध्ययन में सीएसी की साइंस टीम का मार्गदर्शन कर रहे आईआईटी दिल्ली के डॉ. हर्ष कोटा ने नगर निगम की टीम को प्रदूषण के स्रोतों संबंधी अध्ययन की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी।
साइट विजिट के दौरान क्लीन एयर कटलिस्ट की ओर से डॉ. दिलीप वाघेला, मेघा नामदेव, सौरभ पोरवाल, डॉ. शैलेंद्र यादव और संजर अली आदि उपस्थित थे।