पीथमपुर में उद्योगों की मनमानी, बहा रहे दूषित पानी व केमिकल और चिमनियां उगल रहीं जहर


हर साल प्रदूषण को लेकर सरकार करोड़ो खर्च करती है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी नहीं देते ध्यान।


आशीष यादव आशीष यादव
हवा-पानी Published On :
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धार। औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में उद्योगों से निकलने वाले जहरीले धुएं, विभिन्न गैसों और खुले में बहा दिए जाने वाले प्रदूषित पानी और केमिकल की वजह से आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है।

प्रतिदिन शाम से अलसुबह तक अजीब तरह की दुर्गंध से लोगों को सांस लेने में परेशानी आने और जी मचलाने की समस्या से कई लोग परेशान हैं। उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषित पानी और केमिकल खुले में नालों के माध्यम से बहा दे रहे हैं।

खुले में बहा दिए जाने से बदबूदार पानी खासकर जिस रास्ते से बहता है या इकठ्ठा होता है, वहां और उसके आसपास रहने वालों को इससे सबसे ज्यादा परेशानी होती है। यह समस्या अब स्थाई हो चुकी है।

पहले प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ न केवल अधिकारी कार्रवाई की जाती थी, बल्कि माननीय न्यायालय में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ वाद दायर करते हुए उन्हें सजा और जुर्माने से दंडित भी करवाया जाता था।

लेकिन, बीते कुछ समय से कुछ अधिकारी-कर्मचारी ऐसे आए हैं कि उन्होंने ऐसे उद्योगों पर कार्रवाई करना तो दूर उन्हें रोकने के लिए किसी तरह की जहमत भी नहीं उठाई।

इसका नतीजा यह हुआ है कि कई उद्योगों ने निकलने वाला प्रदूषित पानी ऐसे बहाना शुरू कर दिया जो न केवल नाले और कुंड भर रहे हैं बल्कि दूषित पानी लगातार नालों के माध्यम से नदी में मिल रहा है। कई स्थानों पर तालाब जैसी स्थिति बनी हुई है।

भूजल हो रहा प्रदूषित –

यह दूषित पानी और केमिकल न केवल भूजल को प्रदूषित कर रहा है, बल्कि इससे किसानों की फसलें और पर्यावरण भी बिगड़ रहा है। हरे-भरे पेड़ खड़े के खड़े सूख रहे हैं।

दूषित पानी सागौर की अंगरेड नदी में मिल रहा है और यही अंगरेड नदी आगे जाकर चंबल नदी के पानी को भी प्रदूषित कर रही है।

दूषित पानी को कंपनियों द्वारा ट्रीटमेंट प्लांट से फिल्टर के बाद ही पानी को बाहर निकाला जाना चाहिए, लेकिन अधिकांश उद्योग ईटीपी प्लांट में लगने वाले खर्च को बचाने के लिए उसे चलाए बिना प्रदूषित पानी और केमिकल को खुले में नाले के माध्यम से बहा दे रहे हैं।

स्पेशल इकोनोमिक जोन यानी सेज वन स्थित कई उद्योगों द्वारा बड़ी मात्रा में पानी बाहर निकाला जा रहा है। सेज में उद्योगों में ईटीपी प्लांट लगाने के बाद भी बिना फिल्टर किए पानी बाहर छोड़ा जा रहा है।

सेज में उद्योगों के अलावा एकेवीएन प्रतिवर्ष लाखों रुपये खर्च कर निजी एजेंसी को ठेका देता है कि सेज से कोई भी पानी बाहर न जाए अर्थात अनुपयोगी पानी का भी पेड़-पौधे मे उपयोग किया जाए।

हालांकि, प्रदूषण विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से अधिकांश कंपनियों के ईटीपी प्लांट अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान ही चलाए जाते हैं। कोई बाहरी व्यक्ति इन प्लांटों के इस कृत्य को देख नहीं सके इसके लिए सेज का एक मात्र गेट है जिसके अंदर बिना इजाजत कोई जा नहीं सकता।

यह है बड़ा उदाहरण –

सेज के उद्योगों से पानी निकलने का सबसे बड़ा उदाहरण यह हैं कि सेज वन की दीवार के बाहरी हिस्से में यह दूषित व रंगयुक्त पानी लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर की लंबाई तक दीवार के सहारे भरा हुआ देखा जा सकता है।

यह कई महीनों से भरा हुआ है और लगातार रिस-रिस कर जमीन में जा रहा है। इस तरह औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला दूषित पानी एक बड़े तालाब के रूप में भरा हुआ देखा जा सकता है। इनसे खतरनाक दुर्गंध भी लगातार आ रही है।

प्रदूषण अधिकारी से नहीं हो पाई चर्चा –

पीथमपुर के प्रदूषण अधिकारी एमके मंडराई से कई बार मोबाइल पर चर्चा कर पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन अटेंड नहीं किया। उनके सहायक अधिकारी अजय मिश्रा ने कहा कि वे मंडराई साहब को इसकी जानकारी देकर जल्दी ही इस पर कार्रवाई करेंगे।

करवाई करेंगे –

इस संबंध में पीथमपुर एसडीएम रोशनी पाटीदार ने बताया कि आपके माध्यम से प्रदूषित पानी बाहर छोड़े जाने की जानकारी मिली है। वे मौके पर पहुंचकर कार्रवाई के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी को निर्देशित करेंगी।

कई बार शिकायत की –

इस संबंध में वार्ड 26 के पार्षद रहे रूप सिंह छड़ोदी ने बताया कि उद्योगों से बदबूदार व जहरीला पानी प्रतिदिन बहा दिए जाने से वार्ड 26 के सभी लोग परेशान हैं। कई बार प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों को शिकायत की, लेकिन कोई समाधान नही निकल रहा है।



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