‘साशा’ की मौत के बाद SC ने चीता टास्क फोर्स में शामिल विशेषज्ञों की योग्यता पर मांगी जानकारी


‘साशा’ नाम की मादा चीते की किडनी की बीमारी के कारण सोमवार को मौत हो गई जिसे करीब छह महीने पहले ही नामीबिया से लाया गया था।


DeshGaon
हवा-पानी Published On :
sasha cheetah

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 28 मार्च 2023 को नामीबिया से लाए गए चीतों में से एक ‘साशा’ की मौत हो गई जिसके बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। ‘साशा’ नाम की मादा चीते की किडनी की बीमारी के कारण सोमवार को मौत हो गई जिसे करीब छह महीने पहले ही नामीबिया से लाया गया था।

इसके अगले ही दिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने चीता टास्क फोर्स में शामिल विशेषज्ञों की योग्यता और अनुभव जैसी जानकारी मांगी। जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने केन्द्र सरकार से टास्क फोर्स में शामिल चीता प्रबंधन विशेषज्ञों, उनके अनुभव और योग्यता आदि के संबंध में दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र ने कोर्ट से यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के लिए अब विशेषज्ञ समिति से दिशा-निर्देश और सलाह लेने की जरूरत नहीं है।

इस विशेषज्ञ समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट के 28 जनवरी, 2020 के आदेश पर किया गया था। आदेश पारित करते हुए कोर्ट ने तब कहा था कि वन्यजीव संरक्षण के पूर्व निदेशक एम. के. रंजीत सिंह, उत्तराखंड में मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव प्रशासन धनंजय मोहन और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में डीआईजी (वन्यजीव) की सदस्यता वाली तीन सदस्यीय समिति भारत में अफ्रीकी चीतों को लाए जाने पर एनटीसीए का मार्गदर्शन करेगी।

एनजीओ ‘सेंटर फॉर एंवायरमेंट लॉ डब्ल्यूडब्ल्यूएफ’ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांतो चन्द्र सेन ने कहा कि चीता कार्यबल में चीतों का कोई विशेषज्ञ शामिल नहीं है।

उन्होंने कहा कि चूंकि चीतों को यहां ले आया गया है, एनटीसीए को कम से कम शुरुआती दिनों में उच्चतम न्यायालय की तरफ से गठित विशेषज्ञ समिति के साथ काम करना जारी रखना चाहिए। चीते आए और हमने उनमें से एक को खो भी दिया। विशेषज्ञों की जरूरत है, जिनके पास चीतों के प्रबंधन का विस्तृत ज्ञान और अनुभव हो।

सुप्रीम कोर्ट ने भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को “टास्क फोर्स में शामिल सदस्यों की योग्यता और अनुभव के संबंध में एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। पीठ ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है।


Related





Exit mobile version