Largest Floating Solar Power Plant: ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी पर बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा तैरता सोलर पॉवर प्लांट


नया तैरता सौर संयंत्र खंडवा को मध्यप्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला बना देगा जहां थर्मल पावर स्टेशन, हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट और सोलर पॉवर प्लांट हैं। इससे एक ही जिले से 4,000 मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन हो सकेगा।


Manish Kumar
हवा-पानी Published On :
omkareshwar floating solar power plant

world’s largest floating solar power plant: मध्यप्रदेश के खंडवा में नर्मदा नदी के ओंकारेश्वर बांध पर विश्व का सबसे बड़ा तैरता सौर ऊर्जा संयंत्र (world’s largest floating solar power plant) 3000 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत से बनाया जाएगा।

दुनिया का सबसे बड़ा तैरता सौर ऊर्जा संयंत्र 100 वर्ग किलोमीटर में फैला होगा और इससे 2022-23 तक लगभग 600 मेगावाट बिजली उत्पन्न होने की उम्मीद है।

भारत में दुनिया की सबसे बड़ी तैरती सौर ऊर्जा का निर्माण मध्यप्रदेश में बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाने और बिजली की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जा रहा है।

नया तैरता सौर संयंत्र खंडवा को मध्यप्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला बना देगा जहां थर्मल पावर स्टेशन, हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट और सोलर पॉवर प्लांट हैं। इससे एक ही जिले से 4,000 मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन हो सकेगा।

राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे हॉल में गुरुवार को मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी ने एनएचडीसी, एएमपी एनर्जी और एसजेवीएन से 25 साल के लिए अनुबंध किया है। इससे दो हजार लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।

अनुबंध पत्र पर पॉवर मैनेजमेंट कंपनी और तीनों संस्थाओं के अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए। एनएचडीसी 88, एएमपी एनर्जी 100 और एसजेवीएन 90 मेगावाट बिजली का उत्पादन करेंगी।

पहला चरण वर्ष 2023 तक पूरा किया जाएगा। छह सौ मेगावाट की परियोजना से हर साल 1200 मिलियन यूनिट बिजली बनेगी और प्रदेश को 3500 करोड़ रुपये का निवेश मिलेगा।

कार्यक्रम में मौजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2030 तक पांच सौ गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का वादा किया है। वैसे ही मैं वादा करता हूं वर्ष 2027 तक प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा की क्षमता 20 हजार मेगावाट कर देंगे। मप्र हार्ट आफ इंडिया है, जिसे लंग्स आफ इंडिया बनाना मेरा लक्ष्य है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी पर पैनल लगाने से जमीन की आवश्यकता नहीं है, तो किसी को हटाना नहीं पड़ेगा। जमीन की तुलना में पानी पर पैनल बिछाने से ज्यादा बिजली बनती है। पानी का वाष्पीकरण भी रुकेगा, जिससे भोपाल शहर की 124 दिन की जरूरत का पानी बचेगा।


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