शिक्षा में भारतीय प्राचीन जीवन पद्धति को शामिल करने पर चर्चा या अखंड भारत की तैयारी!


संघ और प्रज्ञा प्रवाह के मुताबिक कि इंडियन नॉलेज सिस्टम को समझने के लिए आज विश्व के कई देश अपने यहां अलग से पाठ्यक्रम चला रहे हैं।


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भोपाल। राजधानी भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोगी संगठन प्रज्ञा प्रवाह की दो दिवसीय अखिल भारतीय चिंतन बैठक का आयोजन किया गया। शनिवार से शुरु हुई इस बैठक में मुख्य अतिथि के रुप में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हुए।  इस बैठक में चर्चा का विषय “हिंदुत्व का वैश्विक पुनरुत्थान’ है। बैठक का उद्देश्य भारतीय प्राचीन जीवन पद्धति को शिक्षा में औपचारिक रुप से शामिल करना बताया जाता है।

बैठक प्रशासनिक अकादमी में हो रही है। यह बैठक संघ प्रमुख के उस बयान के बाद और भी महत्वपूर्ण दिखाई दे रही है जब पिछले दिनों उन्होंने पंद्रह साल में अखंड भारत और हिन्दू राष्ट्र बनाने के बारे में कहा था। पहले दिन इंडियन नॉलेज सिस्टम को स्कूली और उच्च शिक्षा में शामिल करने को लेकर चर्चा हुई।

इस बैठक में देश भर से संघ की विचारधारा से प्रेरित अकादमिक क्षेत्रों से जुड़े लोगों के साथ अर्थशास्त्री, इतिहासकार और लेखन क्षेत्र से जुड़े लोग भाग ले रहे हैं। यहां विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भी बुलाया गया है। शनिवार को पहले दिन बैठक का शुरुआत सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, दत्तात्रेय होसबोले और प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नन्दकुमार की उपस्थिति में हुई।

बैठक में पहले दिन शिक्षा व्यवस्था को लेकर चर्चा की गई। इस चर्चा के केंद्र में भारतीय ज्ञान व्यवस्था यानी इंडियन नॉलेज सिस्टम रही। संघ और प्रज्ञा प्रवाह का मानना है कि इंडियन नॉलेज सिस्टम को समझने के लिए आज विश्व के कई देश अपने यहां अलग से पाठ्यक्रम चला रहे हैं।

इसके अलावा कोरोना के बाद सनातन धर्म और इसके अंग माने जाने वाले आर्युवेद, योग आदि जीवन शैली को लेकर विदेशियों में रुचि बढ़ी है। ऐसे में इंडियन नॉलेज सिस्टम को अब देश में भी मज़बूती देने की आवश्यक्ता है।

 

 


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