विदेशी छात्रों को लुभाने के लिए शिक्षा मंत्रालय देगी ‘Soft Skill’ कोर्सों को बढ़ावा


शिक्षा मंत्रालय ने जिन कोर्सों की ब्रांडिंग करने का फैसला लिया है, उनमें योग, पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली से जुड़े कोर्स शामिल है।


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नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय योग सहित भारतीय पारंपरिक से जुड़े कोर्सों और इन्हें संचालित करने वाले उच्च शिक्षण संस्थानों की दुनिया भर में ब्रांडिंग करने जा रहा है, जिसके लिए दुनिया भर के देशों में मौजूद भारतीय दूतावासों की मदद ली जाएगी।

इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने विदेशी छात्रों को लुभाने के लिए चलाए जा रहे स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम में भी व्यापक बदलाव किए हैं। यह निर्णय आस्ट्रेलिया के साथ हाल ही में स्किल और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग से जुड़े समझौते करने के बाद शिक्षा मंत्रालय द्वारा लिया गया।

इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत अपनी ‘Soft Skill’ के जरिए अब दुनिया भर के छात्रों को भारत आने के लिए प्रेरित करेगा और जीवन को जीने के नये तौर तरीके सीखाएगा।

पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली से जुड़े कोर्सों पर किया जाएगा फोकस –

शिक्षा मंत्रालय ने जिन कोर्सों की ब्रांडिंग करने का फैसला लिया है, उनमें योग, पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली से जुड़े कोर्स शामिल है। इसके अलावा कोरोना प्रबंधन, मिशन लाइफ जैसे कोर्सों को भी शामिल किया जा सकता है।

पीएम मोदी के आह्वान पर ‘मिशन लाइफ’ स्कूली पाठ्यक्रम की शुरुआत –

पीएम मोदी ने मिशन लाइफ योजना की शरुआत की थी और उन्होंने इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही थी।

‘मिशन लाइफ’ जिसमें जलवायु परिवर्तन जैसी पर्यावरण की चुनौतियों से निपटने के बारें में बताया गया है कि कैसे छात्र पर्यावरण के अनुकूल अपनी जीवनशैली निर्धारित करें।

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्कूली शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि मिशन लाइफ योजना के तहत नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली पाठ्यक्रम तैयार किए जाएं।

भारत आने के लिए प्रेरित होंगे विदेशी –

पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का युवा अपनी व्यवस्थाएं और दुनिया अपने हिसाब से बनाना चाहता है। उसे मंच चाहिए और साथ ही पुराने बंधनों व पिंजरों से मुक्ति चाहिए।

उन्होंने कहा कि नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ युवाओं को विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है।

पीएम मोदी ने कहा कि दशकों से ये माहौल समझा जाता था कि अच्छी पढ़ाई के लिए विदेश जाना जरूरी है। अब स्थिति इससे उलट होगी और अच्छी पढ़ाई व श्रेष्ठ संस्थानों में दाखिले के लिए विदेशों से भारत आएंगे।



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