इंदौर में मशाल जुलूस निकालने का प्रयास कर रहे युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। शनिवार शाम को आयोजित किए जा रहे इस जुलूस का उद्देश्य राज्य में बढ़ते महिला अपराधों के खिलाफ आवाज़ उठाना था। प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष मितेंद्र सिंह समेत 19 कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया। पुलिस का कहना है कि त्योहारी सीजन और क्षेत्र में भीड़-भाड़ को देखते हुए जुलूस की अनुमति नहीं दी गई थी। मितेंद्र की गिरफ्तारी के बाद जीतू पटवारी भी मितेंद्र और दूसरे कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे।
मितेंद्र सिंह ने इसे सरकार द्वारा कांग्रेस की आवाज़ दबाने की कोशिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि “लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना” जैसी योजनाएं चलाने वाली सरकार महिलाओं की सुरक्षा में नाकाम रही है। इससे पहले भी कई मौकों पर कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन को प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं दी गई है, जिससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
हाल ही में मितेंद्र सिंह एक विवादित सोशल मीडिया पोस्ट के कारण भी सुर्खियों में आए थे। उन्होंने ‘मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना’ का मजाक उड़ाते हुए एक पैरोडी वीडियो पोस्ट किया था, जिस पर भाजपा के कानूनी प्रकोष्ठ के एक सदस्य द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई थी। इस शिकायत के बाद मितेंद्र सिंह पर भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया। कांग्रेस ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह विपक्ष की आवाज़ दबाने का प्रयास है। इसके साथ ही, कांग्रेस ने राज्य सरकार पर अपने वादों से मुकरने का भी आरोप लगाया है, जिसमें ‘लाड़ली बहना योजना’ के तहत महिलाओं को 3,000 रुपये देने का वादा भी शामिल है ।
इसके अलावा, मितेंद्र सिंह और उनकी टीम हाल ही में नर्सिंग कॉलेज घोटाले के विरोध में भी सक्रिय रहे हैं। इस घोटाले में कई नर्सिंग कॉलेजों में अनियमितताओं का खुलासा हुआ था, जिसके बाद सीबीआई जांच के निर्देश दिए गए थे। मितेंद्र सिंह और उनके कार्यकर्ताओं ने उस समय भी विरोध प्रदर्शन करते हुए तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वसारंग की गिरफ्तारी की मांग की थी। पुलिस ने इन प्रदर्शनों के दौरान भी वाटर कैनन का उपयोग कर कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया था ।
यह घटनाएं राज्य में कानून-व्यवस्था और अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। पुलिस द्वारा बार-बार विरोध प्रदर्शनों पर की जा रही कार्रवाई से विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।