महाकाल मंदिर संवारने को लेकर अब श्रेय लेने की लड़ाई, कांग्रेस और भाजपा दोनों का ही दावा


कांग्रेसी नेता कमलनाथ को दे रहे श्रेय, मुख्यमंत्री बनने के बाद दिए थे तीन सौ करोड़ रु


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राजनीति Updated On :

इंदौर। उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग के विस्तृत परिसर महाकाल लोक का उद्घाटन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इस उद्घाटन की तैयारियां पिछले एक महीने से लगातार कर रहे हैं। इंदौर-उज्जैन संभाग का पूरा प्रशासनिक अमला इस काम में झोंक दिया गया है।

ज़ाहिर है धार्मिक क्षेत्र में  856 करोड़ के इस विकास कार्य का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को दे रहे हैं। वहीं बात जब प्रधानमंत्री मोदी की है तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसका श्रेय खुद या अपनी सरकार को देने की बजाए मोदी को ही दे रहे हैं।

मध्यप्रदेश में यह अब तक पूरा हुआ सबसे बड़ा धार्मिक निर्माण है। हालांकि इससे पहले उज्जैन में मुख्यमंत्री शिवराज ने सिंहस्थ मेले का शानदार आयोजन किया था।

वहीं कांग्रेस की ओर से भी कई दावे किये जा रहे हैं और बताया जा रहा है कि कैसे तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कमलनाथ मंदिर के लिए तीन सौ करोड़ रुपये स्वीकृत किये थे। हालांकि यह बात तथ्यात्मक है और इसके पर्याप्त दस्तावेज़ भी मौजूद हैं।

अगस्त 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधायक दल के नेता बनने के बाद मंदिर विस्तार की योजना पर काम किया था और इसके लिए तीन सौ करोड़ रुपये मंजूर  किये थे। इस दौरान मंत्रीमंडल के तीन सदस्यों की समिति भी बनाई गई थी।

इससे अलग एक बात यह भी है कि महाकाल मंदिर में विकास की योजना यहां 2016 में आयोजित हुए सिंहस्थ कुंभ के समय भी बनाई जा रही थी लेकिन इसके बाद सरकार गिर गई।

कांग्रेसी नेता लगातार इस मामले को लेकर अपने वीडियो जारी कर रहे हैं और महाकाल मंदिर में इस भव्य परिसर के लिए कमलनाथ को धन्यवाद दे रहे हैं।

 

वहीं दूसरी ओर भाजपा इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दे रही है। इसे पीएम मोदी के द्वारा आध्यात्मिक नगरों के कालाकल्प अभियान की तरह दिखाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि मोदी ने ही गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए साल 2004 में महाकाल परिसर के विकास की बात कही थी।

भाजपा के साथ इस तथ्य का प्रचार कई टेलीविजन और वेब चैनलों के साथ भाजपा सर्मथक कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस केवल अपने प्रवक्ताओं और नेताओं के ज़रिये यह बात लोगों तक पहुंचा रही है लेकिन भाजपा इसे पूरी तरह खारिज कर रही है।

प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस दावे पर मीडिया से कहा, ‘‘कमलनाथ जी को झूठ बोलने का शगल है। कमलनाथ जी से प्रार्थना है कि कम से कम भगवान भोलेनाथ को, महाकाल को तो बख्श देते।’’ उन्होंने कहा कि महाकाल मंदिर के विकास का प्रस्ताव 2017 में तैयार किया गया था और इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में एक साल में तैयार की गई थी।

उन्होंने कहा कि 2018 में चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए इसके लिए निविदाएं जारी की गई थीं। इसके बाद प्रदेश में नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद 18 दिसंबर 2018 को कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। मिश्रा ने कहा, ‘‘उनके (कांग्रेस) शासनकाल में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।’’ उन्होंने बताया कि कमलनाथ की सरकार 23 मार्च 2020 को गिरने के बाद चौहान फिर से सत्ता में आए, तब इसे पुन: विस्तारित किया और 856 करोड़ रुपये का इसका प्रस्ताव बना।

उन्होंने कहा कि पहले चरण पर 351 करोड़ रुपये की लागत आई है जिसका प्रधानमंत्री मोदी आज लोकार्पण करने वाले हैं। वहीं दूसरे चरण पर 310 करोड़ रुपये की लागत आएगी।


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