भोपाल। मैं आउंगी, मैं अपने पार्टी के मंच पर आउंगी, मैं लोगों का वोट मांगूगी, मैं कभी नहीं कहती हूं कि तुम लोधी हो तुम भाजपा को वोट करो, मैं तो सबसे कहती हूं कि तुम भाजपा को वोट करो क्योंकि मैं तो अपनी पार्टी की निष्ठावान सिपाही हूं। लेकिन मैं आपसे थोड़ी यह अपेक्षा करूंगी कि आप पार्टी के निष्ठावान सिपाही होंगे… आपको अपने आसपास के हित देखना है क्योंकि आप पार्टी के वोटर नहीं हैं तो आपको सारी चीज़ों को देखकर अपने बारे में फैसला करना है। इसलिए मैं ये मान के चल रही हूं कि प्यार के बंधन में हम बंधे हुए हैं लेकिन राजनीति के बंधन से आप मेरी तरफ़ से पूरी तरह से आज़ाद हैं।
ये भाषण मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का है। जो उन्होंने लोधी समाज के सम्मेलन में दिया। इस भाषण को सुनने के बाद आप समझ सकते हैं कि उमा भारती अपनी पार्टी से किस कदर आहत हैं। दरअसल पिछले काफी समय से उमा प्रदेश में शऱाब बंदी की मांग उठा रहीं हैं लेकिन उनकी मांग लगभग हर बार नज़र अंदाज़ कर दी गई।
उमा कहती रहीं कि शराब समाज के लिए नुकसानदेह है लेकिन प्रदेश सरकार शराब से राजस्व बढ़ाने के लिए नए नए उपाए खोजे जा रहे हैं। इसी कड़ी में राज्य सरकार ने पिछले दिनों घर में शराब पीने केलिए एक दिनी लाइसेंस केवल पांच सौ रुपये में उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। ज़ाहिर है शराब बंदी की मांग कर रहीं उमा भारती का सरकार द्वारा शराब की उपलब्धता को आसान बनाने वाले ऐसे फैसलों से मनोबल ज़रूर गिरा होगा और उन्होंने अपनी अनदेखी का अहसास हुआ है।
मध्यप्रदेश में गर्म होती भाजपा की राजनीति…
उमा भारती प्रदेश में शराबबंदी की मांग कर रहीं हैं और सरकार उनकी अनदेखी कर शराब की उपलब्धता आसान बना रही है। प्रदेश की राजनीति में इस टकराव का असर भी दिखाई दे रहा है।
लोधी समाज और @BJP4MP को उमा भारती का संदेश…@umasribharti pic.twitter.com/jjpuFulTtO
— Deshgaon (@DeshgaonNews) December 28, 2022
उमा भारती ने आगे कहा कि, ‘मैं कई बार कह चुकी हूं कि जब मैं प्रचार करने आती हूं, तो मेरा आग्रह है कि मुझे फोन नहीं करना कि यहां मत आइए। मुझे सब जगह जाना होता है, लेकिन भाषण सुनने के बाद भी आपको तय करना है कि आपको वोट देना है या नहीं। आपका वोट बहुत है। करीब 50 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिनमें से 27 में आप जिसको चाहो जिता सकते हैं।’
अपने भाषण में उमा ने आगे कहा कि ‘एक बात ध्यान रखना, मैंने बीजेपी छोड़ी नहीं थी, बल्कि मुझे निकाला गया था। शायद इसकी डिजाइन पहले से बनी हुई थी कि इससे सरकार बनवा लो, फिर इसको निकाल दो। कारण- यहां सरकार बनाने की औकात किसी और की थी ही नहीं। उस समय बीजेपी के अधिकांश नेता उस समय के मुख्यमंत्री के पैर छूते थे। पांव छूते हुए उनके फोटो छपते थे। जब मुझे बीजेपी से निकाल दिया गया, तो मेरे निकालने का कारण भी तिरंगा था। तिरंगे की शान के लिए कुर्सी छोड़ गई थी। उसके बाद जो स्थितियां बनी थीं, उसका परिणाम आया कि उन्हें तो निकालना ही था।’
उमा भारती ने आगे कहा, ‘जब मेरे दौरे बनते हैं, तो मैं देखती हूं कि बीच में 2 विधानसभाएं हैं, वहां क्यों नहीं ले जा रहे हो, तो पता चलता है कि वहां लोधी हैं। चुनाव के समय लोधी को ऐसे ढूंढते हैं, जैसे चीटियां शक्कर को ढूंढती हैं। चुनाव में उमा भारती की शक्ल दिखा दो, तो वोट मिल जाएंगे।’
ज़ाहिर है उमा भारती का यह बयान भाजपा के लिए मुश्किल साबित हो सकता है। हालांकि मप्र भाजपा में उमा का प्रभाव लगातार कम करने की कोशिशें लगातार जारी रहीं लेकिन इस बात में दोराय नहीं है कि उमा भारती की बेबाक और ईमानदारी छवि आज भी मप्र के वोटरों और खासकर भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रभावित करती है।