भोपाल। विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी ने भी अपने संगठन में कुछ बड़े परिवर्तन किए हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया है। AICC ने मप्र में एक 21 सदस्यीय राजनीतिक मामलों की समिति बनाई है और ओर से प्रदेश कांग्रेस के 50 उपाध्यक्ष और 105 प्रदेश महासचिव बनाए गए हैं। ये सभी प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की टीम का हिस्सा बने हैं। इसके साथ ही लंबे समय बाद जिलाध्यक्षों की घोषणा भी की गई है। इसके अलावा सभी जिलाध्यक्षों की सूची भी जारी कर दी गई है। साथ ही 21 सदस्यीय पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी का भी गठन किया गया है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी में 21 सदस्यीय पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी बनाई है। इस कमेटी में पीसीसी प्रमुख कमलनाथ, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह, अरुण यादव, अजय सिंह राहुल, सुरेश पचौरी, जीतू पटवारी,बाला बच्चन,राज मणि पटेल,सुरेंद्र चौधरी, विवेक तन्खा, रामनिवास रावत, नर्मदा प्रसाद प्रजापति, सज्जन सिंह वर्मा, रामेश्वर नीखरा, शोभा ओझा, महेंद्र जोशी, कमलेश्वर पटेल, आरिफ़ अकील और सांसद को शामिल किया गया है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा मध्यप्रदेश कांग्रेस की नई कमेटी का गठन किया गया। pic.twitter.com/Y9VbX1iOwy
— MP Congress (@INCMP) January 22, 2023
इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 50 उपाध्यक्षों और 105 महासचिव चुना गया है। इनमें अभय दुबे, अर्चना जायसवाल, गोविंद गोयल, चंद्रभाष शेखर, जेपी धनोपिया, संजय सिंह मसानी, महेंद्र जोशी, मानक अग्रवाल, फूल सिंह बरैया, नूरी खान आदि के नाम शामिल हैं। जबकि अब्दुल नसीर, आसिफ जकी, जतिन उइके, मुकुल पुरोहित जैसे 105 नेताओं को प्रदेश कांग्रेस में महासचिव नियुक्त किया गया है।
कांग्रेस ने की अपने जिलाध्यक्षों की घोषणा। कई जिलों में सालों बाद बदली है स्थिति।@INCMP @OfficeOfKNath @DeshgaonNews #Congress #MPNews pic.twitter.com/kxY90BoiTf
— Deshgaon (@DeshgaonNews) January 22, 2023
प्रदेश कांग्रेस के साथ जिला कांग्रेस में भी परिवर्तन किए गए हैं। जिला कांग्रेस कमेटियों में 64 नए अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है। यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्र को मिलाकर हैं। इस तरह जिला स्तर पर पिछले कुछ वर्षों में पहली बार इतना बड़ा परिवर्तन किया गया है। कई जिलों में वर्षों से एक ही अध्यक्ष बने हुए थे इससे कार्यकर्ताओं में संगठन के कामकाज के प्रति निराशा पनप रही थी। इस बारे में कई बार रिपोर्ट कमलनाथ तक भी पहुंचाई गई लेकिन जिलाध्यक्षों को बदलने का फैसला अब हो सका।