विधायक रामबाई के बहाने चुनावी मौसम में अपनी सक्रियता से कई संदेश देते सिद्धार्थ मलैया


सिद्धार्थ मलैया ने रामबाई पर हुई कार्रवाई के बाद कई सवाल उठाए। इन सवालों के केंद्र में सबसे अहम रही जिले की पुलिस व्यवस्था।


लक्ष्मीकांत तिवारी
दमोह Updated On :

दमोह। उपचुनावों को लेकर दमोह की राजनीति गर्म है। इस गर्मी को हर तरह से बढ़ाया जा रहा है। सबसे ज्यादा चर्चा सिद्धार्थ मलैया की हो रही है।  सिद्धार्थ मलैया बोल तो रहे हैं लेकिन वे चुनावी बात छेड़ने में कतरा रहे हैं। हालांकि चुनावों के बीच खुद को चर्चा में बनाए रखने की उनकी कवायद भी जारी है। गुरुवार को एक बार फिर उन्होंने स्थानीय मीडिया से बात की। इस बार मुद्दा था राम बाई परिहार पर हुई कार्रवाई का। 

सिद्धार्थ मलैया ने रामबाई पर हुई कार्रवाई के बाद कई सवाल उठाए। उन्होंने जिले की पुलिस और प्रशासन व्यवस्था पर कुछ गंभीर सवाल किए। इन सवालों के केंद्र में सबसे अहम है जिले की पुलिस व्यवस्था रही। मलैया ने कहा कि पुलिस ने अगर अपना काम ठीक से किया होता तो शायद अब तक चौरसिया परिवार को न्याय मिल जाता और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाता फिर न प्रदेश और  न ही जिले की फजीहत भी होती।

यहां उन्होंने आदर्श व्यवस्था की बात करते हुए कहा कि रामबाई का परिवार अपराधी है। उन पर तमाम मुकदमे दर्ज हैं लेकिन अगर प्रशासन को उनका अतिक्रमण तोड़ना था तो इसकी भी तय प्रकिया थी। जिसके तहत उन्हें पहले नोटिस दिया जाना चाहिए था लेकिन  इस तरह से कार्रवाई करना गलत है।

उन्होंने सवाल किया कि अगर प्रशासन को रामबाई के अतिक्रमण के बारे में जानकारी थी तो उन पर कार्रवाई इसी समय क्यों की गई जब सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर टिप्पणी की है। मलैया अपने साथ गोविंद सिंह के पुराने मामलों की फाइल लेकर बैठे थे। जिसमें उनके खिलाफ़ मुकदमों की खबरें थीं। हालांकि यह फाईल उनके पास काफी पहले से है। वे गोविंद सिंह को गिरफ्तार करने की मांग पहले भी उठाते रहे हैं और चौरसिया परिवार के साथ खड़े होकर रामबाई मुर्दाबाद जैसे नारे भी लगा चुके हैं।

मलैया ने कहा कि गोविंग सिंह का परिवार  सत्ता में है इसलिए उस पर नियमानुसार कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि पिछले करीब दस-बारह सालों से रामबाई का परिवार राजनीति में रहा है और यही वजह है कि वह पिछले मामलों में भी बचता रहा है। मलैया के इस बयान पर पत्रकारों ने कई सवाल किये।

पत्रकारवार्ता में सिद्धार्थ कई बार अपने बयानों पर पत्रकारों के सवालों से घिरते नज़र आए। पत्रकारों ने उनके पिता के मंत्री रहते जिले की पुलिस व्यवस्था पर सवाल किए।  इस बीच सबसे ज्यादा सवाल उपचुनावों में उनकी उम्मीदवारी को लेकर थे। हालांकि मलैया इस पर  कुछ नहीं  बोले। वे लगातार  उत्सुक्ता को बढ़ा रहे थे और पत्रकारों को इसी उत्सुक्ता को लेकर वापस भी लौटना पड़ा।

सिद्धार्थ मलैया का रामबाई को लेकर इस समय बयान देना इस मामले को लेकर उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है लेकिन वे जानते हैं कि इस समय सबसे महत्वपूर्ण मामला उपचुनावों का है। जिसकी दावेदारी अब तक वे दबे मुंह से करते रहे हैं और जनता उनके मुंह खोलने का इंतजार कर रहे हैं।

सिद्धार्थ भले ही इन स्वभाविक सवालों का जवाब नहीं दे रहे हों लेकिन वे खुद को सार्वजनिक तौर पर सक्रिय बनाए हुए हैं। पिछले दिनों उन्होंने जनआशीर्वाद यात्रा शुरु की है और अब वे रामबाई पर हुई कार्रवाई पर सवाल उठाकर फिर सक्रिय हुए हैं। स्थानीय राजनीति में इसके कई मायने हैं और सबसे अहम है राजनीतिक पार्टियों को अपनी मुखरता संदेश देना।


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