इंदौर। प्रदेश के पांच जिलों में 19 नगरीय निकायों के चुनाव परिणाम घोषित हो चुके हैं। ये परिणाम आने वाले दिनों में राजनीति और जनता के मूड की ओर इशारा कर रहे हैं। प्रदेश की 19 नगरीय निकायों में से 11 पर भाजपा और 8 पर कांग्रेस को जीत मिली है। इन परिणामों को देखें तो भाजपा और कांग्रेस के बीच एक अच्छा मुकाबला दिखाई दे रहा है।
इन नगरीय निकायों में नगर परिषद और नगर पालिका दोनों ही शामिल थे। इनमें से भाजपा को 4 नगर पालिका व 7 नगर परिषद में जीत मिली है। वहीं भाजपा का कब्जा हो गया है। कांग्रेस ने पीथमपुर और दिग्विजय सिंह के गढ़ राघौगढ़ में नगर पालिका सीट जीती है, जबकि 6 नगर परिषद में भी कांग्रेस को जीत मिली है।दो नगर पालिका और छह नगर परिषद पर कांग्रेस को जीत मिली है। धार जिले की बात करें तो भाजपा के हाथ से जहां पीथमपुर नगर पालिका निकल गई तो वहीं धार शहर की नगर पालिका इस बार कांग्रेस नहीं बचा सकी।
वहीं दिग्विजय के राघवगढ़ की भी खूब चर्चा हुई। राघवगढ़ में भाजपा के तमाम दावे फिर गलत साबित हुए। यहां कांग्रेस ने एक बार फिर अच्छी जीत दर्ज की है। यहां कांग्रेस को 16 और भाजपा को 8 सीटें मिलीं। वहीं धार शहर की नगर पालिका में भाजपा को 18 सीटें मिलीं और कांग्रेस को 9 वहीं तीन पर अन्य काबिज़ हुए हैं।
पीथमपुर नगर पालिका अपने औद्योगिक क्षेत्र और यहां होने वाले विकास कार्यों के कारण अक्सर अधिकारियों और नेताओं की पसंद होती है। हालांकि इस बार पीथमपुर के लोगों ने कांग्रेस का साथ दिया। यहां 31 वार्डों में से 17 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। यहां भाजपा के लिए केवल 13 सीटें मिली हैं। हालांकि पिछली परिषद में यहां भाजपा के 22 पार्षद थे ऐसे में उन्हें यहां तगड़ा झटका लगा है। वहीं कांग्रेस की जीत पर भी उनके बागियों का असर दिखाई दे रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि
बताया जाता है कि यहां भाजपाईयों ने खुद ही अपने संगठन के खिलाफ काम किया और इनमें वे नेता और कार्यकर्ता भी शामिल रहे जिन्हें पार्टी ने बीते चुनावों में सबसे ज्यादा मौका दिया था। चुनाव के दौरान यहां कई बागी उभर आए थे। जिन पर भाजपा ने कार्रवाई भी की लेकिन इसके बावजूद यह नगर पालिका पार्टी नहीं बचा सकी।
यहां एक अंदरूनी झगड़ा जातिवाद का भी उभरा था। बताया जाता है कि पटेल बाहुल्य इस क्षेत्र में इस समाज के नेताओं का प्रतिनिधित्व कम करने की कोशिश की गई यह बात पार्टी के कुछ नेताओं के खिलाफ गई जिसके चलते पटेल समाज की नाराजगी रही।
पीथमपुर नगर पालिका अहम रही क्योंकि यहां कई नेताओं ने दम लगाया लेकिन वे इसे बचा नहीं सके। पीथमपुर नगर पालिका में मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, तुलसी सिलावट सहित कई लोग सक्रिय रहे। इनमें सबसे अहम नाम यहां के एक स्थानीय नेता संजय वैष्णव रहे जिनका नगर पालिका पर अघोषित कब्जा माना जाता है। इससे पहले संजय वैष्णव की पत्नी कविता वैष्णव यहां अध्यक्ष रहीं हैं। संजय वैष्णव धार की विधायक नीना वर्मा और उनके पति पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा के बेहद करीबी माने जाते हैं। इस तरह इन दोनों नेताओं ने भी यहां जीत के लिए कोशिश की लेकिन यह भी विफल रहा। पीथमपुर नगर पालिका का भाजपा के हाथ से जाना यहां के स्थानीय नेतृत्व पर सवाल उठा रहा है।
वहीं कांग्रेस के अब तक जिलाध्यक्ष रहे बालमुकुंद सिंह गौतम ने इस अपने कार्यकर्ताओं की जीत बताई। उन्होंने कहा कि भाजपा ने यहां भ्रष्टाचार किया है जिसके कारण जनता परेशान हो चुकी है। गौतम ने दावा किया कि इसका असर विधानसभा और लोकसभा में भी देखने को मिलेगा।
पीथमपुर में भाजपा के एक अन्य कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय को भी निराशा मिली है। उनके सर्मथक जीवन रघुवंशी को वार्ड नंबर 17 से मनीषा शर्मा ने हरा दिया। इसके बाद अब यहां के अध्यक्ष पद के लिए नेताओं की कोशिशें तेज़ हो गई हैं। कांग्रेस की ओर से जहां नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष जगन्नाथ वर्मा के बेटे और वार्ड नंबर 31 से पार्षद चुने गए सुनील वर्मा के नाम की चर्चा ज्यादा हो रही है तो वहीं भाजपा से वार्ड नंबर पांच से आने वाले अशोक पटेल के नाम की संभावना ज्यादा हैं। दोनों ही इस क्षेत्र में चर्चित नाम हैं और अध्यक्ष पद के लिए ज़रूरी योग्यताएं रखते हैं। हालांकि इसके अलावा भी कुछ और भी पार्षद अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं।