कांग्रेस में जासूस! नेता का दावा, महू सीट को बचाने के लिए संघ के नेता ने दिया कांग्रेस में जाकर चुनाव लड़ने का आईडिया, विधायक ने भी दी इजाज़त


कांग्रेस से चुनाव लड़कर जमानत जब्त करवा चुके भाजपाई नेता का दावा, कांग्रेस को हराने के लिए उन्हें विधायक ने भेजा था


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राजनीति Updated On :

भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस से जुड़े संगठन अपने विरोधी पार्टियों विशेषकर कांग्रेस में अपने जासूस के तौर पर अपने सदस्य नेताओं को भेज रहे हैं और फिर वहां असंतोष बढ़ाकर उन पार्टियों से टिकिट लेकर उनके वोट काट रहे हैं और खुद हारकर भाजपा के प्रत्याशियों को जिता रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी के नेता रामकिशोर शुक्ला का यही कहना है। उनका दावा है कि विधानसभा चुनाव से ऐन पहले वे मंत्री और महू की भाजपा प्रत्याशी उषा ठाकुर की इजाज़त लेकर वे कांग्रेस में शामिल हुए। कांग्रेसियों का विश्वास जीता, टिकिट लिया और चुनाव लड़ने के लिए पैसे भी लिए। इस दौरान सज्जन सिंह वर्मा और मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी जैसे नेताओं ने उनकी मदद की। इसके बाद शुक्ला से नाराज़ होकर अंतर सिंह दरबार ने कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और दोनों उषा ठाकुर से हार गए और अब दोनों ही भाजपा में शामिल हो गए हैं।

शुक्ला ने कहा कि संघ के सर्वे में ऐसा पता चला था कि महू सीट भाजपा के लिए आसान नहीं है ऐसे में उन्हें आरएसएस से जुड़े एक पदाधिकारी मित्र ने जाने की सलाह दी थी ताकि कांग्रेस के वोट बट जाएं और भाजपा से उषा ठाकुर जीत जाएं।

पिछले दिनों भाजपा में आने के बाद राम किशोर ने मंगलवार को यह बात प्रेस के सामने रखी। उन्होंने बताया कि किसी आरएसएस के नेता ने उन्हें ऐसा करने का आईडिया दिया और उन्होंने इसके लिए विधायक उषा ठाकुर से इजाज़त ली और कांग्रेस में शामिल होने के लिए निकल गए। शुक्ला के मुताबिक उन्हें कमलनाथ ने सम्मान से बुलाया और तब तक तीन बार हार चुके अंतर सिंह दरबार का टिकिट कटना तय हो चुका था ऐसे में उन्होंने अपना दावा सीधे टिकिट पर रखा और टिकिट हासिल भी कर लिया।

शुक्ला जब इस बारे में बोल रहे थे तो उनसे पत्रकारों ने सवाल किया कि अगर वे भाजपा के ही इस प्लान का हिस्सा थे तो उन्हें वापस लौटने में इतनी देर क्यों लगी, इस पर शुक्ला ने जवाब दिया कि यह दो लोगों की आपसी लड़ाई के कारण हुआ। उनका इशारा कैलाश विजयवर्गीय और उषा ठाकुर की ओर था जिनके आपसी रिश्ते बहुत अच्छे नहीं कहे जाते हैं। शुक्ला के मुताबिक ठाकुर उन्हें जहां भाजपा में वापस लेना चाह रहीं थीं तो वहीं कैलाश विजयवर्गीय, उषा ठाकुर की इस इच्छा को किसी भी कीमत पर पूरा नहीं होने देना चाहते थे।

विजयवर्गीय ने खुद सार्वजनिक रूप से शुक्ला को पार्टी में जल्दी वापस न लेने की बात कही है। ऐसे में यह तय है कि वे शुक्ला को पसंद नहीं कर रहे थे लेकिन वे इस योजना के बारे में कितना जानते थे यह स्पष्ट नहीं है।

विधायक उषा ठाकुर का इन्कार…

हालांकि खुद उषा ठाकुर ने भी इसे लेकर कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा है कि दैनिक भास्कर अखबार में प्रकाशित ठाकुर के बयान के मुताबिक उन्होंने तो शुक्ला को कांग्रेस में जाने से रोकने की कोशिश की थी लेकिन वे नहीं मानें और भाजपा के स्थापना दिवस पर जब कांग्रेसियों को भाजपा में लाने का लक्ष्य पार्टी के द्वारा रखा गया था तब वे (शुक्ला) भी उनके घर पहुंचे और उन्होंने (उषा ठाकुर) ने उन्हें भाजपा का पट्टा पहना दिया। ठाकुर के मुताबिक शुक्ला का भाजपा छोड़कर कांग्रेस में जाने को लेकर किसी योजना के बारे में कहना निराधार है।

दोनों दलों की कार्यकर्ताओं की नजर में विश्वासघात…

हालांकि रामकिशोर शुक्ला के इस बयान के बाद कांग्रेस और भाजपाई दोनों ही खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। कांग्रेसियों का कहना है कि उन्हें नहीं पता था कि भारतीय जनता पार्टी इस तरह की गिरी हुई हरकत करके उनकी पार्टी के भीतर अपने नेताओं कोे जासूस बनाकर भेज सकती है। महू में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के मुताबिक रामकिशोर शुक्ला ने पार्टी का विश्वास हासिल किया और फिर विश्वासघात किया।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता योगेश यादव के मुताबिक उन्हें लगता है कि शुक्ला ने जो किया है वह विश्वासघात है लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपने प्रत्याशी का पूरा साथ दिया। यादव के मुताबिक कल को अगर कैलाश विजयवर्गीय भी कभी कांग्रेस में आते हैं और नेतृत्व उन्हें टिकिट देता है तो कार्यकर्ता उनका भी काम करेंगे। ऐसे में रामकिशोर शुक्ला का साथ देना उनसे  कोई धोखा खा जाना नहीं था बल्कि कांग्रेस का सम्मान था।

भाजपा के करीबी दिखने की कोशिश 

हालांकि शुक्ला को जानने वाले कहते हैं कि यह दावा बेहद भ्रामक है और शुक्ला केवल खुद को भाजपा का करीबी दिखाने के लिए ऐसा कह रहे हैं। हालांकि इससे भाजपा की छवि को स्थानीय स्तर पर नुकसान हो रहा है और लोगों के बीच एक राजनीतिक धोखेबाजी का संदेश जा रहा है।

वहीं इस बीच शुक्ला ने उषा ठाकुर से बड़े और राष्ट्रीय राजनीति में अच्छी पकड़ रखने वाले कैलाश विजयवर्गीय से भी बैर ले लिया है। ऐसे में भाजपा के नेता भी मानते हैं कि आने वाले दिनों में शुक्ला की राह उतनी आसान नहीं होगी जितनी कि वे उम्मीद कर रहे हैं।

वहीं ज्यादातर भाजपाई इस पर चुप हैं लेकिन मानते हैं कि यह अपमानजनक है। उनकी पार्टी की छवि एक विश्वासघाती के तौर पर रखी जा रही है। एक भाजपा के पुराने नेता कार्यकर्ता एड राधेश्याम अग्रवाल का एक वीडियो वायरल हो रहा है। अग्रवाल कहते हैं कि यह मामला बेहद गंभीर है, अग्रवाल के मुताबिक भाजपा की जनता के बीच पहचान अपनी विचारधारा की वजह से है और अगर भाजपा विधायक ने ऐसा करवाया है तो यह और भी दुर्भाग्यपूर्ण है। अग्रवाल ने विधायक ठाकुर और संघ के कार्यकर्ता की भी जांच करनी चाहिए। भाजपा को यह जांच किसी राज्य स्तर की समिति से करवानी चाहिए।

महू भाजपा के वरिष्ठ नेता शेखर बुंदेला ने भी कहा है कि भाजपा में आ रहे कांग्रेस नेताओं से भाजपा कार्यकर्ता काफी हताश है। उनका मानना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता दल बदल कर आने वाले नेताओं को महत्व देंगे तो उनकी मेहनत पर पानी फिरेगा। इस संबंध में भाजपा के वरिष्ठ नेता शेखर बुंदेला ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि कांग्रेस छोड़कर जो भाजपा में आ रहे हैं उनके लिए पार्टी एक अलग प्रकोष्ठ बना दें और वहां का पद और जिम्मेदारी सौंपे, इससे भाजपा कार्यकर्ताओं में निराश नहीं होगी।

 

 


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