खंडवा में रविवार को हुई भारतीय जनता पार्टी की रैली में दिल का दौरा पड़ने से गुज़र गये 80 साल के किसान जीवन सिंह की मौत का ठीकरा ज्योतिरादित्य सिंधिया के सिर पर फोड़ना किसकी राजनीति है?
तथ्यों के हिसाब से देखें तो चांदपुर निवासी जीवन सिंह भाजपा की रैली में आये थे जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया का भाषण होना था। जीवन सिंह को जब दिल का दौरा पड़ा और कुर्सी पर बैठे बैठे ही उनकी मौत हुई, उस वक्त तक सिंधिया रैली में नहीं पहुंचे थे।
मान्धाता विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी श्री नारायण पटेल के जन समर्थन में आज मुंदी में राज्यसभा सांसद @JM_Scindia व खंडवा लोकसभा के सांसद @NandKumarSinghC ने विशाल जनसभा को संबोधित किया व जनता से प्रचंड बहुमत से विजय बनाने का आग्रह किया… pic.twitter.com/wwgW137oLG
— MLA Ram Dangore (@RamDangoreBJP) October 18, 2020
किसान की मौत के वक्त भाजपा विधायक राम डंगोरे का भाषण चल रहा था। मौत की खबर फैलने के बावजूद भाजपा ने अपना कार्यक्रम नहीं रोका, न ही उसके नेताओं ने अपने भाषण रोके। इससे भी बुरा यह हुआ कि मृतक के आसपास बैठे लोग अपनी जगह छोड़ कर उठ गये। खुद राम डंगोरे ने केवल सभा की फोटो लगायी, लेकिन उसमें किसान की मौत का जिक्र तक नहीं किया।
हकीकत यह है कि रैली के स्थानीय आयोजक और मंच पर मौजूद स्थानीय भाजपा नेताओं ने अपने ही एक बुजुर्ग कार्यकर्ता की मौत का मज़ाक बनाया और मौत का पता चलने के बाद उसकी लाश को कपड़ों से ढंक कर भाषणबाज़ी को जारी रखा।
Khadwan : old farmer died of Heard attack at @JM_Scindia rally, he continued his speech after few minutes of silence.
This is the respect BJP have for a dead body. #BJP https://t.co/TBfCmXkQ39
— INDIA UnPlugged (@IND_UnPlugged) October 18, 2020
बताया गया है कि जीवन सिंह खुद भाजपा का एक कार्यकर्ता हुआ करता था।
इस तमाम घटनाक्रम के बाद सिंधिया जब रैली में पहुंचे तो उन्हें इस बुजुर्ग की मौत की ख़बर मिली। उन्होंने बुजुर्ग को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा।
A septuagenarian farmer died of a heart attack before @JM_Scindia rally in Khandwa where he was scheduled to speak, he paid tribute to the deceased farmer after reaching and observed a one-minute silence @BJP4India @INCIndia pic.twitter.com/Wpq6KEiivP
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) October 18, 2020
प्रेस ट्रस्ट द्वारा जारी खबर में मुंदी थाने के प्रभारी अंतिम पवार के हवाले से बताया गया है कि जीवन सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। पवार के अनुसार शुरुआती जांच में पता चला है कि मौत दिल का दौरान पड़ने से हुई।
एमपी कांग्रेस ने शायद ठीक ही किया कि उसने अपने आधिकारिक ट्वीट में सिंधिया का नाम नहीं घसीटा। यहां तक कि पीटीआइ द्वारा जारी अरुण यादव के बयान में भी सिंधिया को नहीं, भाजपा को दोषी ठहराया गया है, लेकिन कांग्रेस के कुछेक नेताओं सहित समूचे मीडिया ने एकतरफा तरीके से सिंधिया को इस किसान की मौत के साथ जोड़ दिया है।
बीजेपी के कार्यक्रम में किसान की मौत,
—बीजेपी की भाषणबाज़ी फिर भी जारी रही;आज बीजेपी के कार्यक्रम में एक किसान की मौत हो गई लेकिन बीजेपी के बेशर्म नेताओं ने कार्यक्रम नहीं रोका। किसान की लाश पड़ी रही और बेशर्म भाजपाई ताली बचाते रहे।
शिवराज जी,
जनता से न सही, भगवान से तो डरो..! pic.twitter.com/GuFo2n0nqQ— MP Congress (@INCMP) October 18, 2020
सिंधिया ने भी बाद में दो ट्वीट कर के वस्तुस्थिति को स्पष्ट किया कि उन्हें सभास्थल पर पहुंचने के बाद मौत की ख़बर मिली।
मुझे सभा स्थल पर पहुंचने के बाद जब इस दुखद घटना की जानकारी मिली तो मैंने सबसे पहले वहां हमारे अन्नदाता के लिए मौन रखवा कर श्रद्धांजलि अर्पित की। मेरे लिए राजनीति जन सेवा का माध्यम है और इसका सर्टिफिकेट मुझे कांग्रेस से नहीं चाहिए।
— Jyotiraditya M. Scindia (मोदी का परिवार) (@JM_Scindia) October 18, 2020
फिर सवाल उठता है कि मौत की समूची घटना कसे सिंधिया के नाम से जोड़ कर क्या राजनीति की जा रही है? यदि हां, तो यह राजनीति कौन कर रहा है?
रविवार को इस घटना से जुड़ी तमाम मीडिया प्रतिष्ठानों पर चली खबरों के शीर्षक देखिए। इसका जवाब वहां छुपा है। अधिकतर खबरों में बेशक इस बात का जिक्र है कि सिंधिया रैली में बाद में पहुंचे और उन्होंने दो मिनट का मौन रखा, लेकिन खबरों के शीर्षक को इस तरह से पेश किया गया है जिससे यह आभास होता है कि सिंधिया की मौजूदगी में जीवन सिंह की मौत हुई।
बड़े मीडिया संस्थानों के कुछ पत्रकारों ने तो बिलकुल गलत रिपोर्ट किया है कि सिंधिया के भाषण के दौरान जीवन सिंह को दिल का दौरा पड़ा। जाहिर है, इनके ट्वीट को आधार बनाकर गलत खबरें चलायी गयीं।
https://twitter.com/brajeshabpnews/status/1317773905956753410?s=20
चूंकि इन खबरों से न तो कांग्रेस को कोई दिक्कत है और न ही भाजपा को- क्योंकि भाजपा के लिए सिंधिया अब भी आउटसाइडर ही हैं- लिहाजा इस मसले को पर्याप्त हवा देने की दोनों ओर से छूट दी जा रही है जिससे एक किसान की मौत पूरी तरह राजनीतिक मुद्दा बनती जा रही है।
सिंधिया के सिर पर ठीकरा फोड़ने का एक लाभ भाजपा को साफ़ है कि उंगलियां शिवराज की तरफ नहीं उठेंगी। कांग्रेस इस कमजोरी को समझती है इसलिए उसने मामले को राजनीतिक बना दिया है। मीडिया उसे हवा दे रहा है। वैसे भी कांग्रेस ने इस चुनाव में लगातार सिंधिया को ही केंद्र में रखा है।
सिंधिया खानदान गद्दार है, रानी झांसी की मौत का जिम्मेदार है: आचार्य प्रमोद कृष्णम
कांग्रेस मैनिफेस्टो: सिंधिया से दुश्मनी साधने के चक्कर में राहुल गांधी को भूल गये कमलनाथ
कुल मिलाकर जीवन सिंह की मौत में सिंधिया का दोषी ठहराया जाना तथ्यात्मक रूप से गलत होने के बावजूद राज्य में कांग्रेस और भाजपा के लिए यह सुविधा की राजनीति का खेल है लेकिन सिंधिया ने भाजपा में रहते हुए चुनावी मंच से मौन रख के कांग्रेसी परंपरा का ही निर्वहन किया है।