यूपी का पिछला विधानसभा चुनाव 2017 में हुआ था और तब किसी को नहीं पता था कि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे। पिछले पांच साल में योगी आदित्यनाथ के प्रति यूपी के आम आदमी की सोच में क्या बदलाव आया है?
योगी के सीएम बनने से भाजपा (BJP) को नुकसान हुआ है या फायदा? आखिर योगी को सीएम बनाने के पीछे क्या सोच रही होगी? क्या वह सोच सही साबित हुई है? क्या योगी के बहाने बीजेपी और आरएसएस किसी बड़े एजेंडे को बढ़ाने की कोशिश कर रही है? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब के लिए आपको यूपी के आम आदमी से बात करनी होगी।
सत्ता से बाहर रहने के बावजूद कांग्रेस रही सबसे मजबूत
आज शाम पांच बजे उन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार का औपचारिक खात्मा हो जाएगा जहां आगामी 10 फरवरी को मतदान है। इन्हीं से एक शहर मथुरा (Mathura) है, जहां बुधवार को यूपी विधानसभा चुनाव (up election 2022) के पहले चरण का मतदान (first phase election in up) होना है।
होली गेट (Holi Gate) चौराहा मथुरा का दिल है। यह गेट, छाता इलाके में आता है। यहां हिंदू और मुस्लिम आबादी घुली-मिली हुई है। होली गेट से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर कृष्ण जन्मभूमि स्थल (Krishna Janmabhoomi) और उससे लगी शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Mosque Eidgah) है जिसे लेकर विवाद है।
कृष्ण की जन्मस्थली और धार्मिक आस्था का केंद्र होने के बावजूद इसे भाजपा का गढ़ नहीं कहा जा सकता। पिछले विधानसभा चुनाव (2017) से पहले लगातार 15 वर्ष (2002-2017) तक कांग्रेस के प्रदीप माथुर यहां के विधायक रहे हैं।
भाजपा के वर्तमान विधायक से नाराज हैं लोग
वोटरों और उनकी जाति के लिहाज से देखें तो यहां जाट, ब्राह्मण और राजपूत की संख्या अन्य किसी से भी ज्यादा है। अजीब बात यह है कि 15 साल (2002-2017) तक कांग्रेस (Congress) लगातार यहां से चुनाव जीतती रही जबकि, यूपी में पिछले 33 साल से कांग्रेस सत्ता से बाहर है। फिलहाल, बीजेपी (BJP) के श्रीकांत शर्मा (Shrikant Sharma) यहां के विधायक और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
तो इस बार यहां क्या होगा? यह सवाल पूछने पर लोग अपने राजनीतिक रुझान के मुताबिक जवाब देते हैं। जाहिर है कि किसी भी शहर में हर राजनीतिक दल के समर्थक और विरोधी मौजूद होते हैं और जवाब भी इसी आधार पर मिलता है।
फिलहाल, शहर में विधायक और प्रदेश में भाजपा सत्तासीन है तो, उन्हीं के कामकाज और प्रदर्शन के बारे में सवाल किया गया। लेकिन, जो जबाव मिला वह चौंकाने वाला था। बीजेपी समर्थक इस विषय पर बात करने के लिए तैयार नहीं हैं कि उनके वर्तमान विधायक ने पिछले पांच साल में क्या काम किया। उनका कहना है वह इस बार भी बीजेपी को वोट देंगे क्योंकि, योगी को जिताना है।
योगी बन चुके हैं भाजपा का नया फेस
छाता बाजार से लेकर विश्राम घाट तक भाजपा के ज्यादातर समर्थक अपने वर्तमान विधायक के काम और उनकी कार्यशैली से नाराज दिखे लेकिन, वे बीजेपी को वोट करना चाहते हैं क्योंकि, योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली उन्हें पसंद है।
यानी, पिछले पांच साल में योगी ने उन लोगों के बीच अपनी छवि को मजबूत किया है जिनका हिंदूत्व के प्रति झुकाव है। लोगों का कहना है कि हमें विधायक से क्या करना है। पिछले पांच साल में योगी जी 20 से ज्यादा बार मथुरा आ चुके हैं और यहां के विकास पर सीधे उनकी नजर है।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है आखिर क्यों 2017 के चुनाव के बाद अचानक योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को यूपी का सीएम बनाया गया और क्यों 2022 में योगी के नाम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया गया।
कैसे योगी ने बदल दी भाजपा की आंतरिक राजनीति
जाहिर है कि पिछले पांच वर्षों में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कठोर प्रशासक और आस्थावान हिंदू नेता के तौर पर अपनी छवि को मजबूती से स्थापित किया है। अचानक सीएम बनने वाले नेता से कठोर प्रशासन तक के सफर की अंतिम परीक्षा 10 फरवरी से शुरू हो रही है। तब और अब में बहुत कुछ बदल चुका है।
आज, बीजेपी में मोदी (Narendra Modi) के बाद कौन के जवाब में योगी का नाम सबसे आगे है। इस रेस में अमित शाह (Amit Shah) भी योगी से पिछड़ते नजर आते हैं। योगी की इस छवि के पीछे किसका हाथ है? क्या इससे भाजपा को चुनावी लाभ मिलेगा? क्या यह सच में मोदी के बाद कौन का जवाब तलाशने के लिए किया गया राजनीतिक प्रयोग है? या इसकी कोई और वजह है?
इन सवालों का जवाब 10 मार्च के बाद अपने आप स्पष्ट हो जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि 10 मार्च के परिणाम भारतीय राजनीति के भविष्य को गहरे तक प्रभावित करने वाले हैं। यह प्रभाव क्या होंगे और उनका भारत के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।