भोपाल। विनायक दामोदर सावरकर से भाजपा का प्रेम किसी तरह से भी छिपा नहीं है। मोदी सरकार के दौरान सावरकर लगातार चर्चाओं में बने रहे और किसी न किसी तरह महत्मा गांधी सहित तमाम दूसरे गैर दक्षिणपंथी नेताओं के साथ राष्ट्रप्रेम को लेकर मुकाबला करते नज़र आए।अब सावरकर दक्षिण की राजनीति में लगातार चर्चाओं में हैं। कर्नाटक में अब उन्हें सिलेबस में शामिल किया गया है हालांकि इस पाठ को काफी हास्यास्पद बताया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक कक्षा 8 में सावरकर का महिमा मंडल करने के लिए एक ऐसी कहानी जोड़ दी गई है। जो बच्चों के तर्क बोध के लिए खतरा है। खबरों के मुताबिक तो कर्नाटक में रोहित चक्रतीर्थ की अध्यक्षता वाली पाठ्यपुस्तक संशोधन कमेटी ने आठवीं क्लास के संशोधित पाठ्यक्रम में सावरकर पर एक पाठ शामिल किया है।
कहा जा रहा है कि यह पाठ न केवल विवादास्पद बल्की मूर्खतापूर्ण भी है। इसमें लिखा गया है कि, ‘अंडमान की जिस कोठरी में सावरकर बंद थे, वहां चाबी घुसाने का भी छेद भी नहीं था। लेकिन, बुलबुल (एक प्रकार का पक्षी) कमरे में आते थे और सावरकर उनके पंखों पर बैठकर उड़ान भरते थे। सावरकर हर दिन अंडमान की जेल से इसी तरह मातृभूमि का दौरा करने भारत आते थे।’
इस पाठ को लेकर राज्य के शिक्षकों ने ही आपत्ति जताई भी है। उन्होंने कहा कि ऐसे पाठ बच्चों की तर्कशक्ति के लिए बड़ा खतरा हैं। शिक्षकों का कहना है कि यदि लेखक ने सावरकर की दूसरे तरीके से प्रशंसा की होती तो कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन यहां तो झूठ और असंभव कहानी तथ्य के रूप में बच्चों को पढ़ाने के लिए कहा जा रहा है।
शिक्षक आगे कहते हैं कि विद्यार्थियों को यह समझाना बहुत कठिन है। अगर छात्र इस बारे में सवाल पूछते हैं और सबूत मांगते हैं, तो हम उन्हें कैसे चुप कराएंगे? आठवीं क्लास के बच्चे समझदार होते हैं। वे किस तरह से स्वीकार करेंगे कि बुलबुल के पंख पर सावरकर समुद्र पार करते थे और भारत आते थे?’
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री को जब ये बात पता चली तो उन्होंने पाठ्यक्रम में सुधार कराने के बजाए कहा कि ठीक लिखा है। शिक्षा मंत्री नागेश ने अंग्रेजी अखबार द हिंदू से बातचीत के दौरान कहा कि, ‘सावरकर एक महान स्वतंत्रता सेनानी हैं। लेखक ने उस पाठ में जो वर्णन किया है वह सटीक है।’
उल्लेखनीय है कि भाजपा अब दक्षिण के राज्यों में अपनी पैठ मजबूत करने जा रही है और इसका असर भी लगातार नजर आ रहा है। दक्षिण में हिजाब और मजहबी झगड़ों में हत्या आदि के मामले भी देखे गए। वहीं पिछले दिनों टीपू सुल्तान की तस्वीरों की जगह वीर सावरकर की तस्वीरें लगा दी गईं थीं।
हालांकि इतिहास में सावरकर को अंग्रेज़ी सरकार के प्रति वफ़ादार दिखाया गया है और खुद सावरकर ने जेल में रहने के दौरान अंग्रेजी सरकार को भेजे गए अपने माफ़ीनामों में माफ़ी मिलने पर अंग्रेज़ों का वफ़ादार बनकर रहने की बात कही थी।