धार। जिला पंचायत के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष निर्वाचन में महज 48 घंटे शेष बचे है। ऐसी स्थिति में राजनैतिक दल जहां समतुल्य सदस्य संख्या के साथ बहुमत का आंकड़ा 15 को पाने के लिए हर तरह की नीति को अपनाने से पीछे नहीं हट रहे है।
अनारक्षित (सामान्य के लिए अवसर) सीट पर आरक्षित वर्ग के सदस्यों के नामों की चर्चा ने सामान्य वर्ग के नेताओं की पेशानी पर बल ला दिया है। 10 साल बाद जिला पंचायत में सामान्य वर्ग से अध्यक्ष बनने के हालात बने हैं।
ऐसी स्थिति में आरक्षित वर्ग को अवसर देने की मांग उठाने वाले नेताओं के खिलाफ नाराजगी देखी जा रही है। वहीं सामान्य और ओबीसी वर्ग के सदस्य भी सवाल करने लगे हैं कि हमारी राजनैतिक भागीदारी को क्यों समाप्त किया जा रहा है।
हालांकि पार्टी फोरम के सामने कोई भी स्वर मुखर नहीं कर रहा है, लेकिन इस मुद्दे पर आम लोगों का समर्थन भी सामान्य वर्ग के साथ दिखाई दे रहा है।
सामान्य वर्ग के लिए है सीट –
जिला पंचायत में पिछले 10 सालों से आदिवासी महिला अध्यक्ष काबिज रही है। कांग्रेस यहां पर दो मर्तबा गुटबाजी के कारण अध्यक्ष नहीं बना पाई है। इस चुनाव में जिला पंचायत का चुनाव सामान्य वर्ग के लिए अवसर लेकर आया है।
ऐसी परिस्थिति में दूसरे वर्ग के लोग भी भागीदारी के लिए उम्मीद लगाकर बैठे हुए हैं। तमाम उम्मीदों और दावों के मध्य दोनों दलों के लिए ‘कब्जा’ महत्वपूर्ण है।
वर्तमान में भाजपा से सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों में महिला श्रेणी से संगीता पटेल, टीना पिपलीपाड़ा और ओबीसी पुरुष वर्ग से विक्रम पटेल और चंचल पाटीदार को अध्यक्ष का चेहरा माना जा रहा है।
कांग्रेस रायता समेटने में लगी –
कांग्रेस 14 सदस्य होने के बावजूद अभी भी अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाने के लिए भाजपा की तुलना में मजबूत नहीं मानी जा रही है। गंधवानी विधायक उमंग सिंघार ने आदिवासी सदस्य को अध्यक्ष बनाने की मांग उठाकर रायता फैला दिया है।
भाजपा यदि आदिवासी उम्मीदवार को अवसर देती है तो राष्ट्रपति चुनाव की तरह भाजपा को विपक्षी दल का समर्थन मिल जाए तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। संभवत: विपक्षी दल के मददगार नेताओं की छवि को सुरक्षित रखने के लिए भी आदिवासी अध्यक्ष की चर्चा भाजपा में शुरू हुई हो।
तमाम विपरित हालात के बावजूद जिला कांग्रेस अध्यक्ष बालमुकुंद सिंह गौतम रायता समेटने में लगे हुए हैं। 14 सदस्यों को बांधे रखना और 15वें सदस्य की जुगाड़ करने के लिए महज 48 घंटे शेष हैं।
रोस्टर प्रणाली का सम्मान करें दल –
आरक्षण व्यवस्था का मतलब यही है कि रोटेशन के आधार पर सभी वर्ग को प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिले। अनारक्षित आरक्षण होने पर सामान्य वर्ग के सदस्यों को ही मौका मिलना चाहिए। इससे भेदभाव की नीति नहीं दिखेगी। अन्य वर्गों के लिए रोटेशन आधार पर आरक्षण लागू होता है। उनके रोटेशन में उन्हें अवसर मिले। – नीलेश पांडे, धार
विरोध नहीं है, लेकिन हमारे अवसर का ध्यान रखें –
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अनारक्षित वर्ग के लोगों को अवसर मिलना चाहिए। आरक्षण रोस्टर प्रणाली का सभी को सम्मान करना चाहिए। आदिवासी सदस्यों के समतुल्य ही समान्य वर्ग के सदस्यों का राजनैतिक प्रतिनिधित्व करने का हक है। राजनैतिक दल उनके अवसर का ध्यान रखें। – यशवंत हिंगे, नागरिक, धार
फिर नहीं आएगा सामान्य वर्ग के लिए अवसर –
अनारक्षित सीट पर सामान्य वर्ग के लोगों को अवसर देना चाहिए। समय-समय पर आरक्षण श्रेणी के सभी वर्गों के अवसर आते हैं। सामान्य वर्ग को सिर्फ अनारक्षित सीट होने पर ही मौका मिलता है। ऐसा मौका 10 साल बाद धार जिला पंचायत में फिर से आया है। हमारा सभी दलों से निवेदन है कि अनारक्षित वर्ग को प्रतिनिधित्व प्रदान करें। – गोपाल मंडलोई, तलाई अनारद, धार
दलों की नीति स्पष्ट होना चाहिए –
अनारक्षित वर्ग की सीट पर सामान्य वर्ग को अवसर ना देने से भेदभाव होगा। राजनैतिक दलों को स्पष्ट नीयत और नीति के साथ आरक्षण रोस्टर का पालन करना चाहिए। – रणजीत पटेल, मागोद