ग्वालियर। राहुल गांधी के द्वारा मोदी सरनेम पर दिए गए बयान को लेकर उन्हें सज़ा मिली। भाजपा ने इस मामले में कुछ और राजनीतिक फायदा देखा और इसे ओबीसी के अपमान से जोड़ दिया। अब ओबीसी महासभा खुद ये पूछ रही है कि मोदी सरनेम पर कुछ कहना ओबीसी का अपमान कैसे हो सकता है क्योंकि ओबीसी समुदाय में मोदी नाम की कोई जाति न तो गुजरात में दर्ज और और न ही केंद्र की सूचि में।
इसके लिए ओबीसी महासभा ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को नोटिस देकर पूछा है कि क्यों इस मामले में ओबीसी को घसीटा जा रहा है जबकि इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है।
ओबीसी महासभा के धर्मेंद्र सिंह कुशवाहा ने नड्डा को एक नोटिस भेजकर उनसे चौबीस घंटे में जवाब मांगा है।
ओबीसी महासभा की ओर से कहा गया है कि राहुल गांधी ने सिर्फ मोदी शब्द का इस्तेमाल किया है, यह कोई सूचीबद्ध जाति नहीं है ऐसे में मोदी सरनेम को लेकर ओबीसी को मुद्दा न बनाया जाए। नड्डा को नोटिस भेजे जाने का कारण उनके ट्वीट हैं। जो उन्होंने राहुल गांधी को सज़ा दिए जाने के अगले दिन किए थे।
जेपी नड्डा ने 24 मार्च को जो ट्वीट किए उसमें उन्होंने राहुल गांधी की खासी आलोचन की। नड्डा ने राहुल के मोदी सरनेम के बयान के बारे में बात तो की लेकिन इसमें मोदी उपनाम का कहीं भी उपयोग नहीं किया और इस ट्वीट को इस तरह प्रदर्शित किया कि वह केवल ओबीसी का अपमान लगे।
इस मामले में उन्होंने अपने ट्वीट के थ्रेड में उन्होंने लिखा कि “ओबीसी समुदायों की चोरों से तुलना करके श्री राहुल गांधी ने अपनी दयनीत और जातिवादी मानसिकता को दर्शाया है। यह ताजा मामला नया नहीं है। उन्होंने वर्षों से राजनीति के स्तर को कम किया है।” इसके बाद भाजपा अध्यक्ष ने कई और ट्टीट किए और राहुल गांधी पर निशाना साधा।
झूठा है ये ओबीसी प्रेम…
ओबीसी महासभा से जुड़े पदाधिकारी इस पर कहते हैं कि भाजपा ने राहुल गांधी के बहाने ओबीसी समुदाय को साधने की कोशिश के लिए यह प्रोपेगेंडा रचा है लेकिन साफ नजर आ रहा है कि यह राजनीति से प्रेरित है। महासभा के युवा मोर्चा से जुड़े हुए हेमराज गुर्जर कहते हैं कि भाजपा का ओबीसी प्रेम झूठ है क्योंकि अगर वे वाकई ओबीसी के लिए चिंतित हैं तो जातिगत जनगणना क्यों नहीं करवाते और क्यों नहीं सरकारी नौकरियों में ओबीसी को पर्याप्त आरक्षण देते। हेमराज के मुताबिक नौकरियों में ऐसे तमाम उदाहरण हैं जो आपको यह बताने के लिए काफी हैं कि ओबीसी के प्रति भाजपा का यह प्रेम केवल राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए है।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने राहुल गांधी को उनके 2019 में दिए गए एक बयान को लेकर सूरत कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है। जिसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई है। राहुल ने कर्नाटक में हुई अपनी एक चुनावी सभा के दौरान कहा था कि ‘ललित मोदी, नीरव मोदी, नरेंद्र मोदी, कैसे सभी चोरों के कॉमन सरनेम मोदी होते हैं।’ उनके इस बयान के खिलाफ बीजेपी विधायक और गुजरात सरकार में पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि पूर्णेश मोदी ओबीसी समुदाय से नहीं आते हैं और न ही नीरव मोदी और ललित मोदी। राहुल के बयान में केवल नरेंद्र मोदी एक ऐसा नाम था जो ओबीसी समुदाय से आते हैं और इसी के आधार पर भाजपा ने उन पर ओबीसी का अपमान करने का आरोप लगाया है।