धार। जैसे-जैसे समय नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे जिला पंचायत चुनाव के समीकरण भी बदलते जा रहे हैं। जिले में पंचायत चुनाव का अंतिम चरण जारी है। चुनाव प्रचार के अंतिम दो दिन है। 8 जुलाई को मतदान होना है।
इसके पहले तमाम समीकरण देखने को मिल रहे है, जिससे कि कांग्रेस बीजेपी समर्थित प्रत्याशी जीत का रास्ता निकाल सकें। राजनीति में वैसे कई मोर्चों पर देखने में आया है कि चुनावी प्रचार के वक्त कई नए समीकरण बनते हैं और कई पुराने बगावत भी करते हैं।
लेकिन, धार के जिला पंचायत वार्ड-9 में जो समीकरण देखने को मिले हैं, उससे नई चर्चाओं को हवा मिली है। जिपं वार्ड-9 से कांग्रेस के शंकर चौहान और भाजपा के राकेश चौहान के बीच सीधा मुकाबला है।
कांग्रेस इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जनसंपर्क कर रही है। प्रत्याशी शंकर चौहान गांव-गांव जनसंपर्क कर रहे हैं। इस बीच उनके समर्थन में बुंदेला परिवार से नरेंद्र सिंह बुंदेला व गौतम परिवार से बालमुकुंद सिंह ने भी मैदान संभाल रखा है और दोनों मैदान में डटे हुए हैं।
बुंदेला न सिर्फ प्रचार में शामिल हैं बल्कि शंकर चौहान के लिए समर्थन भी जुटाने में लगे हैं। यहीं कारण है कि यह राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को जन्म दे रहा है। खासतौर पर भाजपा के लिए इस नए समीकरण ने मैदान मुश्किल कर दिया है।
अलग-अलग गुट से ताल्लुक –
जिले में इस पंचायत चुनाव में कांग्रेस एकजुट नजर आई है। हर क्षेत्र में कांग्रेस विधायक अपने-अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए मेहनत करते नजर आए। अब यही स्थिति धार जनपद में देखने को मिली है।
दरअसल धार के वार्ड-9 से प्रत्याशी शंकर चौहान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बालमुकुंद सिंह गौतम गुट से ताल्लुक रखते है जबकि पूर्व विधायक मोहन सिंह बुंदेला के पुत्र कांग्रेस सचिव कुलदीप सिंह बुंदेला में दूरियां हैं।
राजनीतिक मोर्चे पर दोनों में वैचारिक मतभेद होने के कारण कभी एकसाथ नहीं आए, लेकिन वार्ड-9 में बुंदेला की सक्रियता के कारण नई चर्चाएं हैं।
राकेश के समर्थन में मंत्री व जिला अध्यक्ष –
राकेश के समर्थन के लिए उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव व जिला अध्यक्ष राजीव यादव लगातार वार्ड में बैठकें कर राकेश के पक्ष में वोट मांग रहे हैं। वही मंडल के युवा मोर्चा द्वारा हर रोज नए कार्यक्रम किया जा रहे हैं।
वाहन रैली निकालकर मतदाताओं से राकेश चौहान के समर्थन में वोट मांगते हैं। जिला पंचायत सदस्य के लिए वार्ड 9 में कांटे की टक्कर है क्योंकि दोनों प्रत्याशियों के जनता के बीच अच्छे संबंध हैं।
दोनों प्रत्याशियों के मतदाताओं के बीच मधुर व्यवहार होने के साथ हर तरह से मतदाता के बीच मे रहते हैं। वहीं मतदाता भी सोच रहे हैं कि मतदान किसे करें।