भोपाल। उपचुनाव हारने के बाद सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश कांग्रेस एक बार फिर सक्रिय हो गई है। इस बार कांग्रेस फिर चुनावों की बात कर रही है हालांकि यहां बात मध्यप्रदेश उपचुनावों की नहीं बल्कि बिहार चुनावों की हो रही है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस भी बिहार में वीवीपैट की पर्चियों की गणना की करवाने के लिए मांग शुरु कर दी है। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि कई शिकायतों के बाद भी वीवीपैट की गणना न करना संदेह को जन्म देता है। एमपी कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस की इस मांग को गलत नहीं कहा जा सकता लेकिन पार्टी के प्रदेश स्तर से लेकर स्थानीय स्तर के नेता मानते हैं कि फिलहाल कांग्रेस को उपचुनावों में अपनी हार के कारणों पर विचार करना चाहिये। इस एक मामले में भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओं की एक राय एक सी ही है हालांकि दोनों ही दल के नेता इस बारे में खुलकर कुछ नहीं बोल भी रहे हैं।
यदि मतगणना में संदेह है तो पुनर्गणना क्यों नहीं करते..?
कई शिकायतों के बाद भी वीवीपैट की पर्चियों की गणना नहीं करना क्या इशारा करता है..? और यदि वीवीपैट से मिलान करना ही नहीं है तो फिर वीवीपैट का औचित्य क्या..?
देश के जागने का वक़्त आ गया है।#बिहार_मांगें_रिकॉउंटिंग
— MP Congress (@INCMP) November 13, 2020
उल्लेखनीय है कि बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन शानदार रहा और राजदा सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी लेकिन इसके बावजूद भी महागठबंधन की सरकार नहीं बन सकी। पिछले दिनों तेजस्वी यादव ने प्रेस वार्ता कर इसे लेकर गंभीर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के ज्यादातर प्रत्याशी बेहद मामूली अंतर से हारे हैं। ऐसा इत्तेफाक़ सभी के साथ होना संदेह को जन्म देता है।
तेजस्वी ने वीवीपैट की पुर्नगणना की मांग भी उठाई थी। जिसे अब कांग्रेस लगातार उठा रही है। हालांकि यह भी सही है कि महागठबंधन की एक प्रमुख पार्टी कांग्रेस भी थी और उन्होंने बेहद कमज़ोर प्रदर्शन किया। जिसका नुकसान महागठबंधन को हुआ और एनडीए की सरकार फिर बन रही है।