महाराष्ट्र में चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं, जहां 20 नवंबर को एक ही चरण में मतदान संपन्न होगा और मतगणना 23 नवंबर को की जाएगी। इस बार चुनाव में कुल 4,140 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनके बीच 288 सीटों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, महाराष्ट्र चुनाव के लिए 7,078 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे, जिसमें से 2,038 नाम वापस ले लिए गए, जो राजनैतिक दांव-पेंच और गठबंधन की रणनीतियों को दर्शाता है।
9.7 करोड़ मतदाता करेंगे अपने मताधिकार का प्रयोग
इस चुनाव में 9.7 करोड़ मतदाता मतदान करेंगे, जिनमें 5 करोड़ से अधिक पुरुष और लगभग 4.7 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। उल्लेखनीय रूप से, इस बार 20.93 लाख नए मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। इसके अतिरिक्त, 85 वर्ष से अधिक उम्र के 12.43 लाख वरिष्ठ मतदाता भी चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे, जिससे युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों की बड़ी भागीदारी की उम्मीद है।
गठबंधन और निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका
सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन, जिसमें शिवसेना (शिंदे गुट), बीजेपी, और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं, विपक्षी महाविकास आघाडी (एमवीए) गठबंधन के साथ सीधी टक्कर में है। महाविकास आघाडी में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट), और एनसीपी (शरद पवार गुट) प्रमुख रूप से शामिल हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं। इस बार विभिन्न छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं।
चुनावी प्रचार में तेजी और विवाद
राज्य में चुनावी माहौल के साथ ही प्रचार में तेजी आई है। प्रमुख मुद्दों में मराठा आरक्षण, बेरोजगारी, किसानों के मुद्दे, और राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति शामिल हैं। इस बीच, माराठा कोटा एक्टिविस्ट मनोज जरांगे-पाटिल जैसे प्रमुख नेताओं ने अपने उम्मीदवारों को चुनाव से हटने का निर्देश दिया है, जिससे मराठा आरक्षण का मुद्दा और गरमाया हुआ है।
1 लाख से अधिक मतदान केंद्रों की व्यवस्था
चुनाव आयोग ने 1,00,186 मतदान केंद्र स्थापित किए हैं, जिनमें से 42,604 शहरी और 57,582 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि राज्य के हर हिस्से में सुगम और सुरक्षित मतदान हो सके। आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक 252 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है और 46,000 व्यक्तियों पर निवारक कार्रवाई की गई है, जो कानून और व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बीजेपी और महायुति का आंतरिक संघर्ष
हालिया घटनाक्रम में बीजेपी और महायुति गठबंधन में भी आंतरिक संघर्ष उभर कर सामने आया है, जिसमें बागियों को मनाने का प्रयास किया जा रहा है। गुप्त बैठकों और सख्त चेतावनियों के बीच, बीजेपी ने कई बागी उम्मीदवारों को निर्दलीय नामांकन वापस लेने के लिए राजी कर लिया है। प्रमुख नेता जैसे गोपाल शेट्टी ने पार्टी के आदेशों का पालन करते हुए अपना नामांकन वापस ले लिया, जो पार्टी अनुशासन की जीत का संकेत माना जा रहा है।
इस महाराष्ट्र चुनाव के मायने…
इस बार बड़े पैमाने पर मतदाताओं की भागीदारी, गठबंधन की राजनीति, और विवादों के बीच अपने नतीजे तय करेगा। सत्ता में बदलाव की संभावना और नए चेहरों की उम्मीद के साथ यह चुनाव राज्य की राजनीति में एक नया अध्याय लिख सकता है।