एमपी चुनावों से पहले केवल 25 प्रतिशत है सीएम शिवराज का सक्सेस रेट


कर्नाटक की तरह ही मप्र में मुद्दे गर्म हैं। यहां भ्रष्टाचार के अलावा, बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है।


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राजनीति Updated On :

भोपाल। कर्नाटक विधानसभा के चुनाव परिणाम आम चुनावों से पहले बेहद अहम हैं। कहा जा रहा था कि अगर इस चुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में गए तो यह 2024 के लोकसभा चुनाव की झलक होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि अब भी यह माना जा रहा है कि यह परिणाम लोकसभा चुनावों की झलक ही हैं। वहीं विधानसभा चुनावों के लिए भी माहौल बन गया है और सबसे ज्यादा इसकी हलचल मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में देखी जा रही है।

इन तीनों राज्यों में पिछली बार कांग्रेस को सत्ता मिली थी लेकिन मप्र में कांग्रेस सत्ता से बेदखल कर दी गई। अब एक बार फिर पार्टी की तैयारी तेज है और इस बार माहौल भी उनके पक्ष में दिखाई दे रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को व्यक्तिगत रुप से भी कर्नाटक के परिणामों से निराशा हुई है क्योंकि  इस चुनाव में उनकी सफलता केवल 25 प्रतिशत ही रही है।

मुख्यमंत्री शिवराज ने कुल 8 सीटों पर प्रचार किया। ये सीटें मधुगिरी और चल्लेकेर विधानसभा के अलावा बेल्लारी ग्रामीण और शहर तथा रामदुर्गा, बेलगांव,  गोकक सीट  शामिल थी। इनमें भाजपा को केवल दो सीटों पर सफलता मिली है। इनमें हुक्के रिसेट और गोकक विधानसभा शामिल हैं। बाकी सभी विधानसभाओं में भाजपा प्रत्याशी बड़े अंतर से हारे हैं। इनमें बेल्लारी की दोनों सीटें तथा मधुगिरी, चल्लेकेर विधानसभाएं शामिल हैं जहां भाजपा के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे।

मामला भले ही कर्नाटक चुनावों का हो लेकिन मप्र की कांग्रेस अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी के इस कमजोर प्रदर्शन से उत्साहित है।  कांग्रेस ने एक संदेश जारी कर तंज़ कसा कि भारतीय जनता पार्टी को पूरी आशा है कि शिवराज सिंह चौहान जी मध्यप्रदेश में इससे भी जबरदस्त प्रदर्शन करेंगे और भारतीय जनता पार्टी को कोई सीट नहीं जीतने देंगे।

कांग्रेस का यह तंज़ भले ही मज़ाकिया हो लेकिन मप्र में सीएम शिवराज के सामने चुनौती कठिन है। पार्टी में दो सबसे सीनियर नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और दोनों ही अपनी पूरी ताकत चुनावों की तैयारी में झोंके हुए हैं। इस बार एक तरह से कमलनाथ ड्राईविंग सीट पर हैं क्योंकि उन्हें अगला मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया जा रहा है। दोनों नेताओं ने हारी हुई सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रखा है।

इस दौरान प्रदेश सरकार की कई खामियां और नाकामियां भी कांग्रेस को मजबूत दिखा रहीं हैं। कर्नाटक की तरह मप्र में भ्रष्टाचार का मुद्दा है, भले ही ये खुलेआम न कहा जा रहा हो लेकिन अंदरुनी तौर पर जनता भ्रष्टाचार से परेशान है। ये हालिया कुछ सर्वे में भी आ चुका है।  इसके अलावा बेरोजगारी, अपराध और प्रशासनिक व्यवस्था भी बड़े मुद्दे हैं। जिन्हें लेकर आए दिन खबरें आ रही हैं और यह खुद ब खुद कांग्रेस को एक मनोवैज्ञानिक बढ़त दे रहा है। कांग्रेस इस बढ़त का पूरा लाभ उठाने की तैयारी में है।

 


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