कमलनाथ ने किया संविदाकर्मियों के नियमितीकरण का वादा, पुरानी पेंशन स्कीम भी करेंगे लागू


चुनावी तैयारी शुरुः संविदाकर्मियों को नियमितीकरण, पुरानी पेंशन स्कीम भी लागू करने का वादा


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राजनीति Updated On :

भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और इसे लेकर राजनीतिक दल सक्रिय हो चुके हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने चुनावी वादों का पिटारा खोलना शुरु कर दिया है। पिछले चुनावों की तरह ही उनके वादे इस बार फिर व्यापक वोट बैंक को प्रभावित करने वाले नज़र आ रहे हैं। कमलनाथ ने सबसे शुरुआती वादों में कर्मचारियों को रिझाने की कोशिश की है। उन्होंने संविदा कर्मी और पुरानी पेंशन की मांग कर रहे पूर्व और नियमित कर्मचारियों से कुछ वादे किये हैं।

कांग्रेस और भाजपा दोनोें ने ही विधानसभाओं में अपना अपना सर्वे पूरा कर लिया है। इस सर्वे में दोनों ही दलों को अपनी कमज़ोरियां पता चली हैं। इसके इतर जो एक काम हो रहा है वह है चुनावी वादों का। वोट पाने के लिए चुनावी वादे जो बेहद अहम होते हैं। ऐसे में कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान में कर्मचारियों को अहमियत दी है।

इस समय प्रदेश में संविदा पर रखे गए कर्मचारी बेहद परेशान हैं। इन कर्मचारियों को पिछले चुनावों से ठीक पहले सीएम शिवराज का एक आश्वासन मिला था कि वे सरकारी सेवा में संविदा नीति को खत्म कर देंगे क्योंकि वे इसे अन्याय मानते हैं। इसके बाद जब शिवराज फिर सत्ता में लौटे तो संविदा कर्मी इंतज़ार कर रहे थे कि उन्हें नियमित किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब मुख्यमंत्री शिवराज अपने इस बयान की चर्चा भी नहीं करना चाहते हैं। वहीं प्रदेश में संविदाकर्मी लगातार आंदोलन और धरना कर रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने ट्वीट से घोषणा की है कि उनकी सरकार अगर बनती है तो वे प्रदेश के सभी संविदाकर्मियों को नियमित कर देंगे। अगर ऐसा होता है तो कमलनाथ ने कांग्रेस के लिए एक बड़ा वोटबैंक साधने की कोशिश की है। प्रदेश में करीब डेढ़ लाख संविदाकर्मी हैं और इनमें से 32 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मी तो इस समय हड़ताल पर बैठे हुए हैं। इसके चलते प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं ठप हैं लेकिन सरकार इसके बावजूद भी इन पर ध्यान नहीं दे रही है। ऐसे में कांग्रेस का नियमितीकरण का वादा इन संविदाकर्मियों के लिए बड़ी बात है।

राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेशों में भी कांग्रेस की सरकारों ने संविदाकर्मियों को नियमित करने के लिए काम शुरु कर दिया है। इसे लेकर मध्यप्रदेश के संविदाकर्मचारी संघ में भी खासी चर्चा रही है। इसके अलावा उड़ीसा की नवीन पटनायक सरकार ने भी संविदाकर्मियों को नियमित किया है।

कमलनाथ ने दूसरा वादा पुरानी पेंशन योजना को लेकर किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि कांग्रेस सरकार मप्र में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करेगी। पुरानी पेंशन योजना देशभर में कर्मचारियों के बीच एक बेहद अहम मुद्दा है केंद्र और राज्य के कर्मचारी इस योजना को बहाल करने की मांग करते रहे हैं। इस बीच कांग्रेस की प्रदेश सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए काम शुरु कर दिया है। ऐसे में मप्र सरकार पर भी इसका दबाव बना है। हालांकि पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने इस योजना को लेकर विधानसभा में स्पष्ट कर दिया कि वे इस योजना को लागू नहीं करने जा रहे हैं।

 

कुछ दिनों पहले भी कमलनाथ संविदाकर्मियों को नियमित करने की बात कह चुके हैं। संविदा स्वास्थ्यकर्मयों की हड़ताल के भोपाल के एक सरकारी अस्पताल में दौरान जब स्वास्थ्य मंत्री के सामने कर्मियों ने अपनी मांगें दोहराईं तो मंत्री वहां से नाराज़ होकर चले गए थे बाद में संविदाकर्मियों को पुलिस रस्से से बांधकर ले जाती हुई दिखाई दी थी इस दृश्य को संविदासेवा के लिए बेहद अपमानजनक माना गया। संविदाकर्मियों ने तो इसे कारण सरकार की निंदा की ही विपक्ष ने भी सरकार पर कई राजनीतिक वार किए थे। उस समय कमलनाथ ने संविदाकर्मियों को नियमित करने की बात कही थी।

 

 

ऐसे में मान जा रहा है कि आने वाले दिनों में संविदाकर्मचारियों के बाद बेरोजगारों की मांगों पर भी कांग्रेस कई नई घोषणाए कर सकती है। प्रदेश में बेरोजगारी दर बेहद अधिक है और सरकार इसे  लेकर अब तक कुछ खास नहीं कर सकी है। फिलहाल जो रोजगार दिए जा रहे हैं वे बेरोजगारी के आंकड़ों के सामने बेहद कम हैं। वर्ग तीन के शिक्षकों की भर्ती में भी बेरोजगार युवा पदवृद्धि की मांग कर रहे हैं।


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