भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और इसे लेकर राजनीतिक दल सक्रिय हो चुके हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने चुनावी वादों का पिटारा खोलना शुरु कर दिया है। पिछले चुनावों की तरह ही उनके वादे इस बार फिर व्यापक वोट बैंक को प्रभावित करने वाले नज़र आ रहे हैं। कमलनाथ ने सबसे शुरुआती वादों में कर्मचारियों को रिझाने की कोशिश की है। उन्होंने संविदा कर्मी और पुरानी पेंशन की मांग कर रहे पूर्व और नियमित कर्मचारियों से कुछ वादे किये हैं।
कांग्रेस और भाजपा दोनोें ने ही विधानसभाओं में अपना अपना सर्वे पूरा कर लिया है। इस सर्वे में दोनों ही दलों को अपनी कमज़ोरियां पता चली हैं। इसके इतर जो एक काम हो रहा है वह है चुनावी वादों का। वोट पाने के लिए चुनावी वादे जो बेहद अहम होते हैं। ऐसे में कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान में कर्मचारियों को अहमियत दी है।
इस समय प्रदेश में संविदा पर रखे गए कर्मचारी बेहद परेशान हैं। इन कर्मचारियों को पिछले चुनावों से ठीक पहले सीएम शिवराज का एक आश्वासन मिला था कि वे सरकारी सेवा में संविदा नीति को खत्म कर देंगे क्योंकि वे इसे अन्याय मानते हैं। इसके बाद जब शिवराज फिर सत्ता में लौटे तो संविदा कर्मी इंतज़ार कर रहे थे कि उन्हें नियमित किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब मुख्यमंत्री शिवराज अपने इस बयान की चर्चा भी नहीं करना चाहते हैं। वहीं प्रदेश में संविदाकर्मी लगातार आंदोलन और धरना कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही संविदाकर्मियों को नियमित किया जाएगा।
― कमलनाथ pic.twitter.com/fLXT285mlY
— MP Congress (@INCMP) December 29, 2022
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने ट्वीट से घोषणा की है कि उनकी सरकार अगर बनती है तो वे प्रदेश के सभी संविदाकर्मियों को नियमित कर देंगे। अगर ऐसा होता है तो कमलनाथ ने कांग्रेस के लिए एक बड़ा वोटबैंक साधने की कोशिश की है। प्रदेश में करीब डेढ़ लाख संविदाकर्मी हैं और इनमें से 32 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मी तो इस समय हड़ताल पर बैठे हुए हैं। इसके चलते प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं ठप हैं लेकिन सरकार इसके बावजूद भी इन पर ध्यान नहीं दे रही है। ऐसे में कांग्रेस का नियमितीकरण का वादा इन संविदाकर्मियों के लिए बड़ी बात है।
राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेशों में भी कांग्रेस की सरकारों ने संविदाकर्मियों को नियमित करने के लिए काम शुरु कर दिया है। इसे लेकर मध्यप्रदेश के संविदाकर्मचारी संघ में भी खासी चर्चा रही है। इसके अलावा उड़ीसा की नवीन पटनायक सरकार ने भी संविदाकर्मियों को नियमित किया है।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही पुरानी पेंशन योजना लागू करेंगे।
―कमलनाथ pic.twitter.com/jMSSK9WO53
— MP Congress (@INCMP) December 30, 2022
कमलनाथ ने दूसरा वादा पुरानी पेंशन योजना को लेकर किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि कांग्रेस सरकार मप्र में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करेगी। पुरानी पेंशन योजना देशभर में कर्मचारियों के बीच एक बेहद अहम मुद्दा है केंद्र और राज्य के कर्मचारी इस योजना को बहाल करने की मांग करते रहे हैं। इस बीच कांग्रेस की प्रदेश सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए काम शुरु कर दिया है। ऐसे में मप्र सरकार पर भी इसका दबाव बना है। हालांकि पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने इस योजना को लेकर विधानसभा में स्पष्ट कर दिया कि वे इस योजना को लागू नहीं करने जा रहे हैं।
हमने दिव्यांगो की पेंशन को ₹300 से बढ़ाकर ₹600 रूपये किया और हम इसे 1000 रूपये करने जा रहे थे।
सौदेबाज़ी से हमारी सरकार गिरा दी गई और दिव्यांगो का ₹1000 महीने पेंशन का हक़ मारा गया।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही हम दिव्यांगों की पेंशन को बढ़ाकर ₹1000 महीना करेंगे।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) December 29, 2022
कुछ दिनों पहले भी कमलनाथ संविदाकर्मियों को नियमित करने की बात कह चुके हैं। संविदा स्वास्थ्यकर्मयों की हड़ताल के भोपाल के एक सरकारी अस्पताल में दौरान जब स्वास्थ्य मंत्री के सामने कर्मियों ने अपनी मांगें दोहराईं तो मंत्री वहां से नाराज़ होकर चले गए थे बाद में संविदाकर्मियों को पुलिस रस्से से बांधकर ले जाती हुई दिखाई दी थी इस दृश्य को संविदासेवा के लिए बेहद अपमानजनक माना गया। संविदाकर्मियों ने तो इसे कारण सरकार की निंदा की ही विपक्ष ने भी सरकार पर कई राजनीतिक वार किए थे। उस समय कमलनाथ ने संविदाकर्मियों को नियमित करने की बात कही थी।
संविदा स्वास्थ्यकर्मियों को रस्से से बाँध कर ले जाना और जेल में ठूँस देना अंग्रेज़ी हुकूमत की याद दिलाता है।
मेरी सरकार ने संविदाकर्मियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, लेकिन सत्तालोभियों ने सरकार गिरा दी।
मैं संविदाकर्मियों को नियमित करने के लिये आज भी वचनबद्ध हूँ।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) December 25, 2022
ऐसे में मान जा रहा है कि आने वाले दिनों में संविदाकर्मचारियों के बाद बेरोजगारों की मांगों पर भी कांग्रेस कई नई घोषणाए कर सकती है। प्रदेश में बेरोजगारी दर बेहद अधिक है और सरकार इसे लेकर अब तक कुछ खास नहीं कर सकी है। फिलहाल जो रोजगार दिए जा रहे हैं वे बेरोजगारी के आंकड़ों के सामने बेहद कम हैं। वर्ग तीन के शिक्षकों की भर्ती में भी बेरोजगार युवा पदवृद्धि की मांग कर रहे हैं।