दमोह उपचुनाव की हार के बाद प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा से मिले जयंत मलैया, नोटिस पर रखा अपना पक्ष


दमोह में हार के बाद जयंत मलैया और उनके बेटे सिद्धार्थ मलैया को निशाना बनाया गया। इसकी वजह चुनाव के शुरुआती दौर में ही मलैया की नाराजगी थी।


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राजनीति Updated On :

भोपाल। दमोह उपुचनाव में भाजपा की हार के बाद वरिष्ठ नेता जयंत मलैया को मिले नोटिस का जवाब उन्होंने शुक्रवार को प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मिलकर दिया। इस दौरान दोनों नेताओं ने काफी देर तक बातचीत की।

हालांकि इससे एक दिन पहले गुरुवार को ही शर्मा से गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र मिले थे। मिश्र ने ही उपचुनाव परिणाम के बाद जिम्मेदारों को जयचंद की संज्ञा दी थी और यहां हार का जिम्मेदार जयंत मलैया और उनके पुत्र तथा कुछ सहयोगी नेताओं-कार्यकर्ताओं को बताया गया था।

उल्लेखनीय है कि इस हार के चलते पार्टी पिछले कुछ सालों में पहली बार भीतरी संकट का सामना कर रही है जहां कई नेता अपना विरोध जता चुके हैं।

जयंत मलैया ने वीडी शर्मा से क्या बातचीत की इसकी जानकारी तो सार्वजनिक नहीं की गई है हालांकि जो तस्वीर जारी की गई है उसमें दोनों के चेहरे पर कुछ खास खुशी नज़र नहीं आ रही है।

उल्लेखनीय है कि मलैया को पार्टी संगठन ने भितरघात के आरोप में नोटिस दिया है। इस पर पक्ष रखने के लिए उन्हें दस दिन का समय दिया गया था। जवाब न देने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही गई थी। वहीं उनके बेटे सिद्धार्थ और पांच मंडल अध्यक्षों की प्राथमिक सदस्यता रद्द कर दी गई थी।

प्रदेश अध्यक्ष के लिए यह मामला पार्टी की हार के अलावा भी है। दरअसल उपचुनाव के दौरान प्रदेशाध्यक्ष खुद दमोह में कई दिनों तक रहे थे और उन्होंने अपने ही नियुक्त किये गए तमाम कार्यकर्ताओं और नेताओं की दर्जनों बैठकें लीं लेकिन इसके बावजूद जीत नहीं मिली।

ज़ाहिर है ये हार खुद शर्मा की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठा रही है और इसका अंदाजा उन्हें खुद भी है। इससे पहले हुए 28 सीटों पर चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया का चेहरा भी सामने था लेकिन इन चुनावों में केवल मुख्यमंत्री शिवराज और वीडी शर्मा ही बागडोर संभाले हुए थे।

बताया जाता है कि यह भाजपा के लिए आर्थिक रुप से भी बेहद महंगा साबित हुआ है। इसके अलावा सीएम शिवराज को छोड़ भी दें तो प्रभारी बनाए गए भूपेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव, गोविंद सिंह राजपूत जैसे मंत्रियों का भी इन चुनावों में कोई जादू नहीं चला।

दमोह में हार के बाद जयंत मलैया और उनके बेटे सिद्धार्थ मलैया को निशाना बनाया गया। इसकी वजह चुनाव के शुरुआती दौर में ही मलैया की नाराजगी थी।

दरअसल मलैया अपने बेटे के लिए टिकिट चाहते थे और उन्होंने इस बात को खुलकर रखा भी था लेकिन पार्टी ने तवज्जो नहीं दी। इसके बाद मलैया के विरोधी नेताओं को उनके उपर निशाना साधने का मौका मिल गया।

इनमें सबसे आगे हारे हुए प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी रहे जिनके बाद प्रह्लाद पटेल ने भी मौके का फायदा उठाया। इसके बाद नरोत्तम मिश्र भी मैदान में आ गए।

हालांकि मलैया के सर्मथन में बहुत से पुराने नेता भी आए और उन्होंने एक तरह से भाजपा प्रदेश संगठन को ही हार का जिम्मेदार बताया। पाटन के विधायक अजय विश्नोई और पूर्व  मंत्री कुसुम मेहदले जयंत मलैया के पक्ष में दिखाई दिए थे। वहीं स्थानीय भाजपाईयों ने भी मलैया पर हुई कार्रवाई को गलत बताया।

उल्लेखनीय है कि दमोह उपचुनाव में भाजपा के राहुल सिंह लोधी को कांग्रेस के अजय टंडन ने 17 हजार वोट से हराया था। भाजपा ने इस चुनाव में करीब बीस  मंत्री, दो दर्जन से अधिक विधायक, केंद्रीय मंत्री, सैकड़ों पार्टी पदाधिकारी, लोकसभा और राज्यसभा सांसद तक को प्रचार में उतारा था। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज ने तो कोरोना काल में भी दमोह में कर्फ्यू में छूट दे दी थी और लगातार भीड़ भरी रैलियां कर रहे थे।


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