देश जहां सुबह गांधी को पूजा गया और शाम को गोडसे ज़िन्दाबाद के नारे लगे


केंद्र सरकार और भाजपा ने खुद को महात्मा गांधी के बेहद करीब दिखाने की कोशिश की है। इस बार गांधी के ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ  नमक कानूनों के विरोध में किए गए दांडी मार्च को याद किया जा रहा है।


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राजनीति Updated On :

इंदौर। आजादी के अमृत महोत्सव शुक्रवार को पूरे देश में मनाया गया। सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित कर इसकी शुरुआत की। हालांकि शाम तक इस महोत्सव के ही दिन गांधी को लेकर समाज के  कुछ दूसरे रंग भी सामने आ गए।

गांधी के हत्यारे गोडसे को लेकर हर बार चर्चाओं में रहने वाला मध्यप्रदेश का ग्वालियर एक बार फिर चर्चाओं में था। यहां हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं अपनी पुरानी शैली में ही गोडसे अमर रहे के नारे लगाए।

केंद्र सरकार और भाजपा ने खुद को महात्मा गांधी के बेहद करीब दिखाने की कोशिश की है। इस बार गांधी के ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ  नमक कानूनों के विरोध में किए गए दांडी मार्च को याद किया जा रहा है।

महात्मा गांधी ने 12 मार्च को ही दांडी मार्च किया था और इस साल इसके इसके 91 साल पूरे हो रहे हैं।

इस मौके पर  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह अहमदाबाद पहुंचे थे यहां उन्होंने साबरमती आश्रम में गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया था। इसके साथ ही पूरे देश में आाजादी के अमृत महोत्सव भी शुरु हुआ था।

उल्लेखनीय है कि हिंदू महासभा ने गोडसे यात्रा निकालकर गोडसे का साहित्य व उनकी बातों का प्रचार-प्रसार करने का संकल्प लिया है। यह यात्रा 14 मार्च को ग्वालियर से शुरू होकर दिल्ली तक निकाली जानी है।

यात्रा के लिए 17 राज्यों से समर्थन भी मिल चुका है। अनुमति न दिए जाने के बावजूद हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज का कहना है कि वह गोडसे यात्रा निकालने का संकल्प ले चुके हैं। प्रशासन अनुमति दे या न दे, हम तो यात्रा निकाल कर रहेंगे।

ग्वालियर हमेशा से गोडसे को लेकर चर्चा में रहा है। यहां हिन्दू महासभा ने गोडसे का मंदिर बनवाया था। गोडसे जि़ंदाबाद के नारे यहां अक्सर लगते रहे हैं। ग्वालियर में एक वर्ग इस विचारधारा से प्रभावित बताया जाता है। जो गांधी के हत्यारे को पूजता है।

ख़ास बात यह है कि यही वर्ग भाजपा का करीबी भी बताया जाता है। जिसे लेकर भाजपा को अक्सर तीख़े सवालों का सामना करना पड़ता है।

हालांकि इस विवाद में कांग्रेस भी शामिल है। पार्टी अब तक खुद को महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने वाली पार्टी बताती रही है लेकिन पिछले दिनों एक गोडसे के कट्टर सर्मथक रहे नेता को मध्यप्रदेश कांग्रेस में शामिल कर लिया गया। बताया जाता है कि इस पर पार्टी के अंदर जो विरोध हुआ वह भी राजनीतिक ही था।

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