हालिया विधानसभा चुनावों में पार्टी को मिली हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने शनिवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। राऊ से पूर्व विधायक जीतू पटवारी को इस पद पर पदोन्नत किया गया है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि पटवारी नए अध्यक्ष हैं और “पार्टी निवर्तमान पीसीसी अध्यक्ष कमल नाथ के योगदान की सराहना करती है”।
कांग्रेस ने आदिवासी नेता उमंग सिंघार को राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता और हेमंत कटारे को उपनेता नियुक्त किया है। इन नियुक्तियों के साथ, कांग्रेस पार्टी ने युवा नेताओं को शीर्ष पदों पर शामिल किया है।
पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी के पास युवा नेताओं की कमी थी, जिसका नेतृत्व बड़े पैमाने पर अनुभवी नेताओं कमल नाथ (77) और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (77) ने किया था। पार्टी अपने संगठन के पुनर्गठन की कोशिश काफी समय से कर रही थी लेकिन अब यह और भी जरूरी हो गया था क्योंकि उनके सामने भाजपा ने अपने एक सफल नेता शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद से हटाकर एक कमोबेश नए नेता मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है।
श्री जीतू पटवारी को मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष, श्री उमंग सिंघार को कांग्रेस विधायक दल का नेता एवं श्री हेमंत कटारे को उपनेता मनोनीत किए जाने पर हार्दिक शुभकामनाएँ। pic.twitter.com/y5i0WlTv7m
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) December 16, 2023
इसके अलावा आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव हैं और इसे देखते हुए पार्टी अपने संगठन में महत्वपूर्ण बदलाव करने की उम्मीद कर रही है। इससे पहले पटवारी कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार में उच्च शिक्षा, खेल और युवा मामलों के पूर्व मंत्री थे। वह इंदौर की राऊ विधानसभा से आते हैं जहां से इस बार उन्हें बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें ओबीसी समुदाय से आने वाले युवा नेता के रूप में भी देखा जाता है और वह किसान समुदाय के करीबी हैं। उन्हें वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी का भी करीबी कहा जाता है, कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सभी कारकों ने उन्हें इस पद तक पहुंचने में मदद की है। चुनावों के दौरान, सह-अध्यक्ष के रूप में पदोन्नत होने के बाद उन्होंने कांग्रेस अभियान में एक महत्वपूर्ण पद संभाला था।
जीतू पटवारी, पुलिस और शिक्षक भर्ती घोटाले जैसे भ्रष्टाचार घोटालों को लेकर भी पटवारी शिवराज सिंह चौहान सरकार को घेरते रहे हैं। हालांकि तमाम सक्रियता और लोकप्रियता के बावजूद वे चुनाव नहीं जीत सके और भाजपा के मधु वर्मा से करीब पैंतीस हजार वोट से हार गए।
इससे पहले कमलनाथ 14 दिसंबर को कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में शामिल नहीं हुए थे, जहां उन्होंने एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित कर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को एलओपी के साथ अपना प्रमुख चुनने के लिए अधिकृत किया था। पिछले कुछ दिनों से, कमलनाथ छिंदवाड़ा में थे और लोगों को धन्यवाद दे रहे थे क्योंकि कांग्रेस जिले में अपनी सभी सात सीटें बरकरार रखने में कामयाब रही।
वहीं उमंग सिंघार ने धार जिले की गंधवानी सीट से चुनाव जीता था। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2008 में की जब वे मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। उन्हें 2019 में कमल नाथ सरकार में वन मंत्री नियुक्त किया गया और 2020 में सरकार गिरने तक वे इस पद पर रहे। सिंघार आदिवासी बहुल्य धार जिले की गंधवानी सीट से चुनाव जीतकर आए हैं। उनकी दिग्विजय सिंह से अनबन की खबरें आम रहीं हैं हालांकि पिछले दिनों उन्होंने दिग्विजय सिंह से माफी मांगी थी। सिंघार अपने पारिवारिक मामले को लेकर भी खासी चर्चाओं में रहे। कुछ समय पहले ही उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली है।