आखिरी मिनिट में साथ छोड़ देना क्या होता है इसका अंदाजा कांग्रेस को अच्छे से है। देश प्रदेश विशेषकर मध्यप्रदेश में कई नेताओं ने कांग्रेस को ऐसे ही छोड़ा है। हरियाणा में आज भाजपा को भी ऐसा ही झटका लगा है और एक घंटे पहले जो अशोक तंवर भाजपा की रैली में वोट मांग रहे थे, एक घंटे बाद वही राहुल गांधी की सभा में कांग्रेस ने शामिल हो गए। यह सब इंदौर में हो चुका है। लोकसभा चुनाव में इंदौर से कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय कांति बम भी कुछ ही देर पहले तक प्रचार कर रहे थे और कुछ ही देर में वे भाजपा नेताओं की गाड़ी में थे और नाम वापसी की घोषणा कर दी। अशोक तंवर की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को एक बड़ा झटका लगा है। सिरसा से पूर्व सांसद और हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर एक बार फिर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं। गुरुवार (3 अक्टूबर 2024) को महेंद्रगढ़ में हुई एक चुनावी रैली के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं राहुल गांधी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की उपस्थिति में तंवर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। अशोक तंवर का कांग्रेस में शामिल होना चुनावी माहौल में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि तंवर हरियाणा में एक प्रमुख दलित नेता रहे हैं।
बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में लौटे तंवर
गुरुवार को चुनाव प्रचार के आखिरी दिन महेंद्रगढ़ में आयोजित रैली में राहुल गांधी की उपस्थिति में अशोक तंवर ने कांग्रेस में ‘घर वापसी’ की। यह वही तंवर हैं जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की दलित नेता कुमारी शैलजा के खिलाफ सिरसा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। तंवर के कांग्रेस में लौटने से यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि कुमारी शैलजा को इस घटनाक्रम की जानकारी पहले से थी और संभवतः उनकी सहमति भी ली गई होगी।
तंवर 2019 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर पार्टी से अलग हो गए थे। इसके बाद उन्होंने कई राजनीतिक दलों में अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन एक बार फिर वे कांग्रेस में लौट आए हैं।
कांग्रेस में वापसी का घटनाक्रम
अशोक तंवर के करीबी कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि तंवर पिछले कुछ समय से वरिष्ठ कांग्रेस नेतृत्व, विशेषकर राहुल गांधी के संपर्क में थे। राज्य इकाई को इसकी भनक तक नहीं लगी थी। कांग्रेस के एक अंदरूनी सूत्र ने बताया, “उनका राहुल गांधी से सीधा संपर्क था और बुधवार को उन्होंने पार्टी में शामिल होने का फैसला किया।”
राहुल गांधी के भाषण के बाद तंवर की वापसी की घोषणा की गई। मंच से दर्शकों से कुछ समय इंतजार करने को कहा गया, इसके बाद तंवर मंच पर आए और उनकी ‘घर वापसी’ की घोषणा की गई। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तंवर का स्वागत किया और राहुल गांधी से हाथ मिलाते हुए पार्टी में उनका पुनः आगमन हुआ।
दीपेंद्र हुड्डा का बयान
कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “बीजेपी में दलित नेताओं का कितना अपमान हो रहा होगा कि अशोक तंवर जैसे नेता को कांग्रेस जॉइन करना पड़ी।” इस बयान से यह साफ होता है कि तंवर की वापसी न केवल कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे बीजेपी पर भी दबाव बढ़ा है।
कांग्रेस का आधिकारिक बयान
कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अशोक तंवर के पार्टी में शामिल होने पर एक पोस्ट करते हुए कहा, “कांग्रेस ने हमेशा समाज के उत्पीड़ित और वंचित वर्गों के लिए अपनी आवाज उठाई है। हमारे संघर्ष और समर्पण से प्रभावित होकर, वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व सांसद अशोक तंवर ने कांग्रेस में शामिल होकर हमारा साथ दिया है।”
अशोक तंवर का राजनीतिक सफर और पार्टी बदलने का सिलसिला
अशोक तंवर का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है। 2009 के लोकसभा चुनाव में तंवर ने सिरसा (एससी) सीट से जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2019 में कांग्रेस से अलग होने के बाद, तंवर ने कई राजनीतिक दलों में अपनी किस्मत आजमाई। वे नवंबर 2021 में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हुए, फिर अप्रैल 2022 में आम आदमी पार्टी (आप) का हिस्सा बने। इसके बाद, 2024 की शुरुआत में वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हुए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अशोक तंवर कांग्रेस में शामिल होने से कुछ घंटे पहले ही जींद जिले के सफीदों में एक भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार कर रहे थे। उनकी कांग्रेस में वापसी की घोषणा उस समय हुई जब राहुल गांधी अपना भाषण समाप्त कर रहे थे। मंच से ऐलान हुआ, “आज उनकी घर वापसी हो गई है।” इस घटनाक्रम से हरियाणा की राजनीति में नए समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं।
तंवर की वापसी से कांग्रेस को उम्मीद
अशोक तंवर की कांग्रेस में वापसी से हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की स्थिति मजबूत होने की उम्मीद है। तंवर के दलित समाज में अच्छी पकड़ और उनके राजनीतिक अनुभव से कांग्रेस को राज्य में बढ़त मिल सकती है।