भोपाल। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपस्थिति को लेकर कई कयास लगाए जाते रहे हैं। कहा गया भाजपा में पुराने विरोधियों के मिलने से नुकसान होगा। हालांकि, पार्टी ने ऐसी आशंकाओं को कोई खास तवज्जो नहीं दी।
अब इसका असर नज़र आ रहा है। सिंधिया के गढ़ अशोकनगर की मुंगावली विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे स्व. यादवेंद्र सिंह यादव के बेटे और जिला पंचायत सदस्य बुधवार को कांग्रेस में शामिल हो गए।
यादवेंद्र का काफिला 500 वाहनों के साथ हजार से अधिक सर्मथकों को लेकर भोपाल पहुंचे। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ अरुण यादव, जयवर्धन सिंह भी मौजूद रहे।
राव का भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आना भाजपा के लिए झटका माना जा रहा है। उनके परिवार का ग्वालियर अंचल में खासा नाम है। वे उनकी पत्नी और मां तीनों जिला पंचायत सदस्य हैं।
यादवेंद्र के भाई अजय सिंह यादव को शिवराज सरकार ने मप्र पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम का उपाध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ जी के नेतृत्व से प्रभावित होकर मुंगावली के भाजपा नेता राव यादवेंद्र सिंह यादव अपने हज़ारों समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हुए।
"जय कांग्रेस, विजय कांग्रेस" pic.twitter.com/4QlEWfctrc
— MP Congress (@INCMP) March 22, 2023
कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद यादवेंद्र ने कहा कि सिंधिया के आने के बाद स्थानीय स्तर पर पार्टी नेताओं की हालत बहुत खराब हैं। वे घुटन महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मेरे पिता ने भाजपा को स्थापित करने में काफी काम किया, लेकिन सिंधिया के आने के बाद पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओं की उपेक्षा होने लगी है। उन्होंने आरोप लगाया कि इलाके में दलित, आदिवासियों और ओबीसी की जमीनें छीनी जा रही हैं।
यादवेंद्र ने कहा कि जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है और वे इस व्यवस्था से व्यथित हैं। ऐसे में उनके सर्मथकों ने कहा कि कांंग्रेस ज्वाइन कीजिए क्योंकि भाजपा की अब कोई विचारधारा नहीं बची है, तो सभी के साथ आज कांग्रेस ज्वाइन कर रहे हैं।
सिंधिया के साथ यादव परिवार की कभी नहीं बनी। यादवेंद्र के पिता देशराज सिंह यादव ने भी सिंधिया का हमेशा से ही विरोध किया। सिंधिया के खिलाफ पार्टी का झंडा उठाकर आगे बढ़ने वालों में इस परिवार को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
देशराज यादव का निधन 2016 में हो गया था और चार साल बाद यानी 2020 में सिंधिया के भाजपा में आने के बाद यह परिवार भाजपा से दूर होता रहा।