नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी में 22 साल बाद अध्यक्ष पद का चुनाव शुरू हो चुका है। सोमवार सुबह 10 बजे से वोटिंग शुरू हुई जो शाम 4 बजे तक जारी रहेगी। सुबह कांग्रेस की मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी बेटी और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ वोट डाला। इस चुनाव के लिए देश भर में 40 मतदान केंद्र बनाए गए हैं वहीं करीब 9800 डेलिगेट्स चुनाव में हिस्सा लेने वाले हैं। कांग्रेस संगठन के बड़े नेताओं के लिए दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में मतदान करना है।
#WATCH | Congress interim president Sonia Gandhi & party leader Priyanka Gandhi Vadra cast their vote to elect the new party president, at the AICC office in Delhi pic.twitter.com/aErRUpRVv0
— ANI (@ANI) October 17, 2022
चुनाव के ठीक पहले रविवार शाम पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने मतदाताओं के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। उन्होंने बताया कि, ‘बैलेट पेपर में दो उम्मीदवारों मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के नाम होंगे।
मतदाताओं को अपने पसंदीदा उम्मीदवार के सामने बने बॉक्स में ‘टिक’ लगाने का निर्देश दिया जाता है। इसके अलावा कोई अन्य चिह्न बनाने या नंबर लिखने पर वोट अमान्य हो जाएंगे।’
दरअसल, इससे पहले पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के सामने 1 लिखना था। बताया जा रहा है कि शशि थरूर के आपत्ति के बाद टिक मार्क का निर्णय लिया गया है। वहीं चुनाव नतीजे बुधवार यानी 19 अक्टूबर को अनाउंस किए जाएंगे।
कांग्रेस पार्टी में 22 साल बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा है, जबकि 24 साल बाद कोई गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष होगा। यही नहीं कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए छठी बार चुनावी मुकाबला हो रहा है।
इस चुनाव में 80 वर्षीय खड़गे का पलड़ा फिलहाल भरी लग रहा है। खड़गे गांधी परिवार के भरोसेमंद हैं और लोगों का मानना है कि खड़गे अध्यक्ष पद में गांधी परिवार के ही उम्मीदवार हैं। इसमें उनके जीतने की उम्मीद करीब 80 प्रतिशत तक बताई जा रही है।
हालांकि, पार्टी ने साफ कर दिया है चुनाव में गांधी परिवार किसी के साथ नहीं है। थरूर ने भी खुद को पार्टी में बदलाव के लिए मजबूत प्रत्याशी के रूप में दिखाया है और उन्होंने कई राज्यों का दौरा कर अपने पक्ष में प्रचार भी किया है। बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पिछली बार चुनाव 2000 में हुआ था जब जितेंद्र प्रसाद को सोनिया गांधी के हाथों जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा था।