दमोह उपचुनाव: पार्टी के दबाव के आगे झुके मलैया, करेंगे राहुल सिंह लोधी के लिए काम


सिद्धार्थ मलैया ने साफ़ की तस्वीर, पिता के आदेश पर नहीं लड़ रहे चुनाव। हालांकि चर्चा है कि पार्टी ने उनसे कई वादे किए हैं जो आने वाले दिनों में पूरे हो सकते हैं इनमें एक बड़ा वादा प्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भी है।


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राजनीति Updated On :

भोपाल। दमोह में होने वाले उपचुनावों की तस्वीर साफ हो गई है। अब यहां भारतीय जनता पार्टी की ओर से राहुल सिंह लोधी और कांग्रेस की ओर से अजय टंडन प्रत्याशी होंगे।

इससे पहले पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ अपने परिवार का राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए यहां से उम्मीदवारी करने के इच्छुक नजर आए थे लेकिन अब सिद्धार्थ ने अपने पैर पीछे खींच लिए हैं। ऐसे में जाहिर है कि अब अपने समर्थकों के साथ राहुल सिंह लोधी की जीत के लिए काम करेंगे।

सिद्धार्थ मलैया का सबके सामने आकर अपनी उम्मीदवारी खुद ही खारिज करना आज जरूरी भी था क्योंकि सुबह ही कांग्रेस के कुछ नेताओं ने दावा किया था कि भारतीय जनता पार्टी के नेता उनके संपर्क में हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा आशंका सिद्धार्थ मलैया को लेकर थी, लेकिन उन्होंने इसे साफ तौर पर ख़ारिज दिया।

गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ दमोह पहुंचे थे उनकी आम सभा के बाद सिद्धार्थ मलैया ने पत्रकारों के साथ बात की और उप चुनावों में अपनी उम्मीदवारी को लेकर अपनी स्थिति साफ की। उन्होंने कहा कि वे किसी तरह से पार्टी खिलाफ नहीं जा रहे और उनके पिता का आदेश है कि वह चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर नहीं बल्कि कार्यकर्ता के तौर पर शामिल हों।

सिद्धार्थ ने माना कि वे चुनाव लड़ना चाहते थे और उन्होंने जन आशीर्वाद यात्रा भी शुरू की थी लेकिन फिलहाल इस यात्रा को विराम दे रहे हैं।

सिद्धार्थ इस दौरान कुछ मायूस भी नज़र आए बताया जाता है कि इसे मामले पर राज्य स्तर के नेताओं से लेकर पार्टी के शीर्ष नेता तक मलैया परिवार से बात कर रहे थे। जाहिर है कि तमाम नेताओं के दबाव के आगे मलैया परिवार ने चुनावों में उम्मीदवारी से कदम पीछे खींच लिए हैं।

हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि सिद्धार्थ को मनाने के लिए पार्टी नेताओं ने उन्हें कुछ दूसरे ऑफर दिए हैं। चर्चा है कि उन्हें कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त हुई पद दिया जा सकता है हालांकि इस संभावना से सिद्धार्थ मलैया साफ इनकार करते हैं।

उनके मुताबिक यह एक काल्पनिक सवाल है जिसका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि पार्टी नेताओं के साथ उनकी क्या बात हुई। सिद्धार्थ को राज्य सरकार आने वाले दिनों में कोई पद भी दे सकती है। इसमें अचरज नहीं होना चाहिए।

पत्रकारों से बात करते हुए सिद्धार्थ अपनी उम्मीदवारी वापस लेने को लेकर साफगोई से तो पेश आए लेकिन उदासी उनके चेहरे से साफ नजर आ रही थी।

वैसे बताया जाता है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने उन्हें मार्च दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में टिकट देने का वादा किया है।

सिद्धार्थ ने कहा कि चुनाव के दौरान अगर पार्टी ने कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देती है तो जरुर निभाएंगे वरना अपने वार्ड में पार्टी के लिए काम करेंगे।


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