दमोह। उपुचनाव को लेकर अपना किला मजबूत करने के लिए दोनों ही पार्टियां लगातार काम कर रहीं हैं। भाजपा द्वारा पिछले दिनों जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया को स्टार प्रचारक बनाकर यहां भेजने की योजना बनाई गई तो वहीं अब भाजपा ने एक और नया पासा फेंका है।
इस बार एक खाली हेलीकॉप्टर दमोह भेजा गया है क्योंकि अब स्टार प्रचारक बाहर से लाने की ज़रुरत नहीं है। यहीं के नेता को स्टार प्रचारक का दर्जा देकर उनसे सभाएं करवाईं जाएंगी और इसमें कोई अचरज नहीं है कि यह नेता जयंत मलैया हैं।
सत्रह अप्रैल को होने वाली वोटिंग के छह दिन पहले अचानक जयंत मलैया को स्टार प्रचारक बनाकर भारतीय जनता पार्टी उनके नाराज़ बताए जा रहे सर्मथकों को मनाने की कोशिश में है। मलैया को उन जगहों पर सभा करनी हैं जहां उनकी अच्छी पकड़ है और फिलहाल जहां भाजपा को राहुल के लिए अच्छी कैंपेनिंग की ज़रुरत है।
यह कदम बेहद महत्वपूर्ण है और इससे फिलहाल कई बातें साफ हो रहीं हैं। पहली ये कि भाजपा मान रही है कि अब तक जितने भी स्टार प्रचारक बनाए गए हैं जयंत मलैया दमोह में उनसे भारी नाम हैं और उनके कंधों पर कुछ और आगे बढ़कर औपचारिक तौर पर भी राहुल सिंह लोधी को जिताने की ज़िम्मेदारी डाली जा रही है।
हालांकि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा यहां पिछले दस दिनों से डेरा डाले हुए हैं और वे चुनाव से जुड़े लगभग हर कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। भाजपा नेता बताते हैं कि शायद इतनी मेहनत शर्मा ने अब तक किसी एक सीट पर कभी नहीं की।
वहीं जो दूसरी बात है वह यह है करीब मुख्यमंत्री, दर्जनभर मंत्री, कुछ सांसद, विधायक और भाजपा के प्रदेश प्रमुख भी यहां अब तक नाकाफी साबित हुए हैं। जयंत मलैया तो पहले ही चुनाव प्रचार के लिए राज़ी हो चुके हैं और लगातार सभाओं में जा भी रहे हैं।
अपने सर्मथकों के काम करने के लिए सार्वजनिक रुप से कहते भी रहे रहे हैं लेकिन अब आख़िरी वक़्त में उन्हें स्टार प्रचारक बनाकर हेलीकॉप्टर में घुमाना एक तरह से उन्हें, उनके सर्मथकों और उनके पारंपरिक वोटरों को लुभाने का आख़िरी दांव है।
क्षेत्र में भाजपा की स्थिति को लेकर अलग-अलग तरह की ख़बरें आ रहीं हैं। भाजपा के सभी बड़े नेता अपनी पार्टी की शत प्रतिशत जीत का दावा कर चुके हैं। वहीं कुछ नेता ऐसे भी हैं जो इस लीक से हटकर यह भी कहते नज़र आ रहे हैं कि सामने वाली पार्टी और प्रत्याशी को कमज़ोर आंकना ठीक नहीं होगा।
इनमें जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया भी हैं। बेशक प्रतिद्वंदी के लिये यह बात कहना सहज माना जा सकता है लेकिन जब पूरी भाजपा के इतने बड़े नेताओं के बीच कुछ तो है जो स्थानीय नेताओं में अब भी पूरा आत्मविश्वास नहीं जगा पा रहा है।