दमोह उपचुनावः दोनों प्रदेशाध्यक्ष पहुंचे जागेश्वर नाथ की शरण में, कमलनाथ और वीडी शर्मा का आमना-सामना


देखा जाए तो दोनों ही पार्टियों के ये प्रदेशाध्यक्ष दमोह में एक तरह की चुनौती से भिड़ रहे हैं। भाजपा के वीडी शर्मा ने इस चुनौती को भांप लिया है और वे दमोह में ही डेरा डाले हुए हैं। वहीं कमलनाथ के सामने चुनौती इसलिए बड़ी है।



दमोह। उपचुनाव में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने के लिये कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ दमोह पहुंचे। अपनी सभा से पहले उन्होंने बांदकपुर के प्रसिद्ध शिवमंदिर में पूजा भी की। कमलनाथ ने अपने भाषण में भाजपा पर जमकर हमला बोला।

इस दौरान कमलनाथ ने कहा कि प्रजातंत्र के विभिन्न चुनावों में यह कैसा चुनाव है। उन्होंने कहा नौजवानों आपको यह बुनियादी बात समझना होगा कि हमारे संविधान में प्रावधान है कि यदि सांसद का निधन हो जाए तो उपचुनाव होता है, विधानसभा सदस्य का निधन हो जाए तो चुनाव होता है, लेकिन दमोह में तो किसी का निधन नहीं हुआ, लेकिन फिर भी उपचुनाव हो रहा है दरअसल यहां पर हमारे प्रजातंत्र का निधन हुआ है, इसलिए उपचुनाव हो रहा है।

इस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मनु मिश्रा, जिला कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी आशुतोष शर्मा सहित अनेक कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी रही। बालापुर में जनसभा को संबोधित करने के बाद कमलनाथ इमलिया गांव की ओर हेलीकॉप्टर से रवाना हुए जहां दूसरी जनसभा को संबोधित किया।

दिलचस्प ये रहा कि इसी दिन इसी जगह पर दोनों पार्टियों के प्रदेशाध्यक्ष एक साथ मौजूद रहे। सुबह वीडी शर्मा जागेश्वर नाथ मंदिर में पूजा अर्चना के लिये पहुंचे थो और करीब ग्यारह बजे मंदिर में कमलनाथ पहुंचे। शर्मा इससे काफी देर पहले निकल चुके थे। इसके बाद दोनों का आमना-सामना प्रचार के दौरान हुआ। बांदकपुर में ही सड़क पर दोनों नेता आमने-सामने आए और दोनों ने एक दूसरे को देखकर नमस्कार किया और मुस्कुराकर आगे बढ़ गए।

देखा जाए तो दोनों ही पार्टियों के ये प्रदेशाध्यक्ष दमोह में एक तरह की चुनौती से भिड़ रहे हैं। भाजपा के वीडी शर्मा ने इस चुनौती को भांप लिया है और वे दमोह में ही डेरा डाले हुए हैं। उन्हें अंदाज़ा है कि यहां पार्टी की राह उतनी आसान नहीं है जितनी कभी हुआ करती थी ख़ासकर तब जब जयंत मलैया ने खुद को दूसरों से मिलने से रोक रखा हो, भले ही इसका कारण फिलहाल उन्हें हुआ कोरोना संक्रमण हो।

वहीं कमलनाथ के सामने चुनौती इसलिए बड़ी है क्योंकि वे हालही में 19 सीटें भाजपा के हाथों गंवा चुके हैं ये वहीं सीटें थी जिन पर पिछले चुनावों में उन्होंने जीत हांसिल की थी और अब दमोह, जहां कांग्रेस पिछले काफी साल से हारती आ रही थी और जब जीत मिली तो वे अपना विधायक ही हार बैठे। ऐसे में अजय टंडन को जिताना कांग्रेस के लिये भी आसान नहीं है।


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