दमोह उपचुनावः कांग्रेस प्रत्याशी बने अजय टंडन, मलैया परिवार के पास बिना लड़े जीतने का मौका


टंडन दो बार विधानसभा चुनाव मलैया के सामने हार चुके हैं लेकिन उन्हें इस चुनाव में जीत मिलने की पूरी उम्मीद है और उनकी यह उम्मीद केवल भावनात्मक नहीं है। इसके पीछे ठोस और राजनीतिक वजह  है।


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राजनीति Updated On :

भोपाल। अब प्रदेश में एक बार फिर विधानसभा का उपचुनाव होना है। इस बार दमोह सीट पर उपचुनाव होना है। जहां से कांग्रेस के उम्मीदवार अजय टंडन होंगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक यह तय हो चुका है।

इस दौड़ में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मनु मिश्रा का नाम भी आगे माना जा रहा था लेकिन अजय टंडन को एक बार फिर लाभ मिला।

इस सीट पर भाजपा ने कांग्रेस के आए राहुल सिंह लोधी को अपने कद्दावर नेता और पूर्व  मंत्री  रहे जयंत मलैया से उपर तरजीह देकर उन्हें टिकिट दी है।

25 मार्च को कमलनाथ दमोह पहुंचेंगे और अजय टंडन के नाम की सार्वजनिक तौर पर घोषणा करेंगे। हालांकि इससे पहले ही टंडन और उनके समर्थकों ने टिकट की खुशी मनानी शुरू कर दी हैं।

अजय सिंह और राहुल सिंह लोधी (via twitter)

कांग्रेस की ओर से अजय टंडन ने पहले भी दो बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं हालांकि हर बार वे यहां जयंत मलैया से हारते रहे हैं। टंडन ने अपना पहला विधानसभा चुनाव दमोह विधानसभा सीट से वर्ष 1998 में लड़ा था।

इस दौरान उन्हें 40485 वोट मिले थे। जबकि तत्कालीन भाजपा प्रत्याशी जयंत मलैया को 45891 वोट हांसिल हुए थे और  मलैया केवल  5406 वोट से जीते थे।

इसके बाद वर्ष 2003 में एक बार फिर जयंत मलैया और अजय टंडन आमने-सामने थे। इस दौरान जयंत कुमार को 57707 तथा अजय टंडन को45386 वोट मिले थे और जीत का अंतर 12321 रहा था।

टंडन तीसरी बार कांग्रेस के प्रत्याशी बने हैं। ज़ाहिर है पार्टी ने उनके अनुभव को तवज्जो दी है।

टंडन जिला कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और उन्होंने 2018 के बीते विधानसभा चुनाव में  राहुल सिंह लोधी को को कांग्रेस का प्रत्याशी बनवाने और जिताने में अहम भूमिका निभाई थी।

अब ये इत्तेफ़ाक ही है कि टंडन दो साल पहले जिसके साथ थे अब उन्हीं के सामने हैं।

दमोह की राजनीति का आसान गणित…

टंडन को इस चुनाव में जीत मिलने की पूरी उम्मीद है और उनकी यह उम्मीद केवल भावनात्मक नहीं है। इसकी ठोस और राजनीतिक वजह  है।

दरअसल कई बार हारने के बाद भी मलैया परिवार से टंडन के अच्छे रिश्ते रहे हैं और इस उपचुनाव में मलैया परिवार की स्थिति छुपी हुई नहीं है। मलैया को टिकिट का इंतजार था लेकिन भाजपा ने राहुल सिंह लोधी को टिकिट और राज्यमंत्री का दर्जा दोनों ही दे दिये।

ऐसे में इसे मलैया परिवार का दबदबा यहां से खत्म करने का प्रयास माना जा रहा है क्योंकि प्रह्लाद सिंह पटेल के सांसद के तौर पर आने के बाद यहां पिछले कुछ सालों से राजनीति के दो ध्रुव बन चुके हैं।

स्थानीय राजनीतिक खबरों की मानें तो प्रह्लाद सिंह पटेल ही मलैया परिवार का वर्चस्व कम होने के पीछे  सबसे बड़ी वजह रहे हैं।

साफ़ है कि अगर अब मलैया परिवार के सदस्य को टिकिट नहीं मिलता है तो वे यहां राजनीति के हाशिये पर होंगे।  ऐसे में इस परिवार को अपनी राजनीति बचाए रखना कठिन होगा।

राजनीति के इस गणित को समझना कठिन नहीं है। मलैया परिवार को अगर अपनी राजनीति बचाए रखना है तो उन्हें राहुल सिंह लोधी को जीतने से रोकना होगा ऐसे में वे भले ही चुनाव लड़कर ऐसा करें या बिना लड़े।

टंडन का बैकग्राउंडः अजय टंडन के दिवंगत पिता चंद्र नारायण टंडन  दमोह विधानसभा सीट से विधायक और स्थानीय जिला कांग्रेस  कमेटी के 10 सालों तक अध्यक्ष रहे हैं।

इसके अलावा अजय टंडन के चाचा प्रभु नारायण टंडन वर्ष 1977 में सांसद रहे हैं। ऐसे में टंडन खानदानी राजनेता कहे जा सकते हैं।

टंडन के टिकट के बारे में पता चलते ही उनके समर्थकों ने जमकर खुशी मनाई।  अब यहां फिर भी दमोह शहर के स्थानीय नेता को विधायक बनाने की बात की जा रही है।

दरअसल यहां से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बने राहुल सिंह लोधी हिंडोरिया गांव के रहने वाले हैं जो शहर से कुछ किलोमीटर दूर है। ऐसे में अब अजय टंडन के समर्थक लोगों से अपील करने लगे हैं कि शहर के नेता को ही अब जिताया जाना चाहिए।

 

 

 इनपुटः लक्ष्मीकांत तिवारी, दमोह


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