लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस की वैचारिक तैयारी काफी पहले से शुरू हो चुकी है। भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस यह चुनाव अल्पसंख्यक और दलितों को साथ लेकर लड़ेगी।
फिलहाल यह अभियान उत्तर प्रदेश में शुरू हो रहा है लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दूसरे हिंदी प्रदेशों में भी इसी तरह का अभियान शुरू किया जा सकता है। हालांकि कांग्रेस भाजपा का मुकाबला करने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व भी अपना रही है लेकिन पार्टी नेताओं के मुताबिक यह हिंदुत्व किसी अन्य समुदाय को दबाने वाला नहीं होगा।
उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रमुख शाहनवाज आलम ने इसके लिए एक अलग रणनीति बनाई है। उन्होंने जय जवाहर जय भीम जनसंपर्क अभियान शुरू किया है। इस तरह से पंडित जवाहरलाल नेहरू की सभी धर्मों का आदर करने वाली सोच के साथ वे मुसलमानों को एक साथ लाना चाहते हैं और डॉ बीआर आंबेडकर को साथ रख कर दलित समुदाय का समर्थन हासिल करने की भी कोशिश है। यह कोशिश इसलिए भी कामयाब हो सकती है क्योंकि डॉक्टर अंबेडकर और पंडित नेहरू दोनों ही नेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना को सिरे से नकारते रहे हैं।
इस बारे में बात करते हुए शाहनवाज आलम ने बताया कि जब तक मुस्लिम और दलित कांग्रेस को वोट करते थे संविधान विरोधी भाजपा के पास पूरे देश में सिर्फ़ दो सांसद होते थे। उन्होंने कहा कि मुस्लिम लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में लौटने का फैसला कर चुके हैं। दलित समाज को यह संदेश देने के लिए अल्पसंख्यक कांग्रेस ने ‘जय जवाहर – जय भीम जन संपर्क अभियान शुरू किया है। 3 अगस्त को लखनऊ स्थित कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित बैठक में इस अभियान की शुरुआत की घोषणा की गयी थी।
7 से 3 अगस्त तक चलने वाले इस अभियान में 5 लाख से ज्यादा दलित परिवारों तक कांग्रेस का संदेश पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही दलित समाज के बीच अल्पसंख्यक समाज की तरफ से पर्चा भी बाँटा जाएगा।
शाहनवाज आलम ने बताया कि भाजपा को 2019 में 37 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि प्रदेश में दलित और मुस्लिम मिल कर अकेले 42 प्रतिशत हैं। उन्होंने दावा किया कि इन दोनों वर्गों के कांग्रेस में आने के बाद अन्य वर्ग भी कांग्रेस के साथ आएंगे और भाजपा की विदाई हो जाएगी।