कांग्रेस की आदिवासी वोटों पर नज़र, कांतिलाल भूरिया को दी गई है अहम जिम्मेदारी


प्रदेश में 22 प्रतिशत मतदाता आदिवासी हैं, 230 में से 84 सीटों पर असर है आदिवासी मतदाताओं का


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राजनीति Updated On :

भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने को हैं और पार्टियां इसके लिए तैयारी कर रही हैं। पिछले दिनों अमित शाह ने जहां इंदौर में रैली की थी। अब कांग्रेस ने एक नई समिति बनाई है जिसका काम विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति को तय करना है। इस समिति का प्रस्ताव कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजा गया था जिसे उन्होंने मंजूरी दे दी है। इस समिति के अध्य़क्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र झाबुआ से आने वाले सीनियर नेता कांतिलाल भूरिया को बनाया गया है।

भूरिया को अध्यक्ष बनाना पार्टी की एक अहम रणनीति माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश में आदिवासी सीटों पर जीत ही कांग्रेस की सत्ता में वापसी सुनिश्चित कर सकती है।  इस कमेटी में पीसीसी चीफ कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह राहुल, राज्यसभा सांसद विवेक तनखा, राजमाणी पटेल, नकुलनाथ, सज्जन सिंह वर्मा और 32 अन्य नेताओं को शामिल किया गया है। हालांकि इसमें आदिवासी नेता उमंग सिंघार का नाम नहीं है। पिछले दिनों उनकी पत्नी के द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद उमंग का कैरियर ढ़लान पर है।

इस नई समिति के माध्य से आदिवासी वोटों को साधने की कोशिश हो रही है। प्रदेश में 84 सीटें आदिवासी बहुल हैं और 47 सीटें आदिवासी आरक्षित हैं। वहीं प्रदेश में करीब दो करोड़ से अधिक आबादी आदिवासी समुदाय से आती है। जो मतदाताओं का 22 प्रतिशत है। ऐसे में आदिवासी नेता  कांतिलाल भूरिया अहम साबित हो सकते हैं। प्रदेश में भूरिया से बड़ा दूसरा कोई आदिवासी नेता दिखाई नहीं देता। हालांकि भूरिया अपने इलाके झाबुआ से ही भाजपा के सामने पिछड़ चुके हैं लेकिन मौजूदा परिवेश में उनका मौजूदगी असरकारक मानी जा रही है। भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जा रहा एक तथ्य यह भी है कि मप्र आदिवासियों के खिलाफ होने वाले अपराधों के मामले में देश में सबसे आगे है।


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