कुर्सी बचाए रखने का प्रयास हैं सीएम शिवराज के मंच से हो रहे निलंबन!


शिवराज जानते हैं कि उनकी तरह जनता से कनेक्ट बनाने वाला दूसरा कोई नेता एमपी भाजपा में नहीं है और उन्हें यह भी पता है कि केंद्र में उनकी ठसक वैसी नहीं होगी जो एमपी के मुख्यमंत्री के तौर पर है।


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राजनीति Updated On :

भोपाल। प्रदेश के नए बने जिले निवाड़ी के कलेक्टर तरुण भटनागर और ओरछा जिले के तहसीलदार संदीप शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज ने उन्हें एक कार्यक्रम के दौरान मंच से ही सस्पेंड कर दिया और भीड़ से तालियां बज उठीं। सीएम शिवराज के मंच पर यह नज़ारा बहुत ज्यादा नया तो नहीं है वे पहले भी कई अधिकारियों को मंच से ही निलंबित कर चुके हैं लेकिन पहली बार किसी कलेक्टर पर इस तरह का एक्शन हुआ है। हाला पिछले कुछ महीनों में ऐसा कई बार देखने को मिला है। विधानसभा चुनावों को देखते हुए मुख्यमंत्री अपनी छवि को कुछ और जनहितैषी दिखाना चाह रहे हैं। इसके पीछे चुनाव जीतने के अलावा कई राजनीतिक वजहें भी हो सकती हैं जो दो दशक तक मुख्यमंत्री रहे इस नेता के राजनीतिक कैरियर के लिए बेहद ज़रूरी हैं।

बुधवार को  सीएम शिवराज सिंह बुधवार को गढ़कुंडार महोत्सव में शामिल होने निवाड़ी पहुंचे थे। यहां मंच से ही उन्होंने निवाड़ी जिला कलेक्टर तरुण भटनागर और ओरछा तहसीलदार संदीप शर्मा को हटाने के निर्देश दिए। सीएम शिवराज ने मंच से कहा, ‘एक डिंडौरी के कलेक्टर हैं विकास मिश्रा, वे दिन रात मेहनत करते हैं। लेकिन निवाड़ी जिले के कलेक्टर ने अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया है। कई तरह की शिकायत मिली है। मैं तत्काल प्रभाव से कलेक्टर को हटाता हूं।’

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बारे में साफ किया कि निवाड़ी के लोगों ने कई तरह की शिकायतें की हैं और वे किसी का अपमान नहीं करना चाहते लेकिन निवाड़ी में मुझे जमीनों की गड़बड़ की शिकायतें मिली हैं। इस तरह के कृत्यों में लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि जो शासकीय कर्मचारी अच्छा काम करते हैं, मैं उसका स्वागत सत्कार करता हूं।

पिछले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री कई अधिकारियों को इसी तरह मंच से ही सस्पेंड कर चुके हैं। कुछेक अधिकारियों को तो उनकी पिछली पोस्टिंग पर की गई अनियमितता के आरोपों पर सस्पेंड कर दिया गया और कुछ की शिकायतों के काफी दिनों बात उन पर कार्रवाई हुई। ऐसे में कहा जा सकता है कि अधिकारियों के खिलाफ आ रहीं शिकायतों पर समय रहते कार्रवाई नहीं गईं।

9 दिसंबर की सभा में मंच से ही मुख्यमंत्री ने तीन अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। इनमें सीधी की पूर्व मनरेगा अधिकारी पंकज शुक्ला, प्रभारी तहसीलदार आंचल अग्रहरि और जिला शिक्षा अधिकारी पवन जैन को सस्पेंड किया था। वहीं 3 दिसंबर को मुख्यमंत्री ने सेंधवा के जनपद पंचायत सीईओ राजेंद्र दीक्षित को मंच से ही सस्पेंड किया था। इसके पहले मुख्यमंत्री छिंदवाड़ा सीएमएचओ को भी मंच से ही सस्पेंड कर चुके हैं। सितंबर के महीने में उन्होंने सेंधवा के जनपद सीईओ को भी इसी तरह सस्पेंड किया था।

 

प्रदेश में कई अफसरों के खिलाफ गंभीर शिकायतें लंबित हैं लेकिन अब मुख्यमंत्री अधिकारियों को मौके से ही सस्पेंड कर रहे हैं इसकी एक वजह आने वाले साल में होने वाले विधानसभा चुनाव भी हैं। मुख्यमंत्री अपनी कुशल प्रशासक की छवि को बरकरार रखना चाहते हैं और जनता के बीच जाकर उनके दिल को जीतना भी उन्हें अच्छे से आता है इसलिए अफसरों की शिकायत पर उन्हें बंद कमरे में सस्पेंड करने की बजाए वे सीधे जनता के बीच ही उन्हें सस्पेंड कर रहे हैं। ऐसे में भीड़ से तालियां बजती हैं और मुख्यमंत्री की छवि को बल मिलता है।

विपक्षी दल कांग्रेस के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह बौखलाहट में करते हैं। इस मामले पर खुद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी बोल चुके हैं लेकिन राजनीतिक जानकार इसे सीएम शिवराज की एक समझदारी बताते हैं जो वे जनता में अपनी स्वीकार्यता कायम रखने के लिए कर रहे हैं। इसकी एक ज़रुरत आने वाले विधानसभा चुनावों में जीत हांसिल करना है तो दूसरी ज़रूरत केंद्रीय नेतृत्व की पसंद बने रहना है।

शिवराज जानते हैं कि उनकी ही पार्टी के कई नेता अब मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और उनके केंद्रीय नेतृत्व के साथ बेहतर संबंध भी हैं ऐसे में अगर कोई और मुख्यमंत्री बनता है तो शिवराज को केंद्रीय मंत्रीमंडल में भी जाना पड़ सकता है और वहां उनकी हैसियत मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की तरह मजबूत नहीं होगी। ऐसे में उन्होंने सीधे  जनता से अपना कनेक्ट मजबूत करने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं और आने वाले दिनों में यह और भी तेज़ होंगी, संभव है इनका तरीका बदल जाए। इस तरीके को अपनाने के पीछे की वजह यह भी है कि वे यह जानते हैं कि प्रदेश भाजपा में जनता से सीधा संवाद स्थापित करने वाला उनसे बेहतर नेता और कोई नहीं है।


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