सीएम शिवराज ने तय किया राहुल सिंह का नाम, दिलचस्प मोड़ पर दमोह की राजनीति


दमोह में कभी मेहमान नेता के तौर पर आए प्रह्लाद सिंह पटेल अब यहां एक मजबूत जमीन बना चुके हैं और  राहुल सिंह को उनका पूरा सर्मथन भी है। ऐसे में राहुल को अपने जीत पर काफी भरोसा है।  


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दमोह के कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान


भोपाल। दमोह उपचुनावों को लेकर स्थिति साफ़ हो गई है। यहां अब भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी ही होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक तरह से इसकी घोषणा कर दी है। वे शनिवार को दमोह में मेडिकल कॉलेज का भूमिपूजन करने पहुंचे थे। इस दौरान खुद पूर्व विधायक और मंत्री जयंत मलैया भी मौजूद थे। अब यह तय हो चुका है कि फिलहाल जयंत मलैया भाजपा में रहकर दमोह का उपचुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस की विधायकी छोड़कर भाजपा में आए राहुल सिंह लोधी का त्याग बताया। उन्होंने कहा कि राहुल ने अपना कैरियर दाव पर लगाया है और अब जिम्मेदारी जनता की है। मुख्यमंत्री का इतना कहना ही इस बात का साफ संकेत था कि अब राहुल सिंह लोधी ही दमोह से भाजपा के उम्मीदवार होंगे।

राहुल सिंह लोधी

मुख्यमंत्री की इस बात को सुनकर मलैया समर्थकों में निराशा साफ देखी जा सकती थी। खुद जयंत मलैया भी अपने भाषण के दौरान कुछ भावुक नज़र आए। हालांकि एक सधे हुए नेता के तौर पर उन्होंने यह जाहिर नहीं होने दिया लेकिन मलैया की निराशा उनके चेहरे पर नजर आ रही थी।

जयंत मलैया

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने इस दौरे के दौरान मलैया का पूरी तवज्जो देते नजर आए। भूमिपूजन के दौरान उन्होंने मलैया से कई बार अपने पास बैठने को कहा और उनकी तारीफ़ भी की। हालांकि राहुल सिंह को जिताने की अपील करते समय भी मुख्यमंत्री पूरी तरह उत्साहित थे। ऐसे में वे मलैया और राहुल के बीच एक सधे हुए भाव में थे। ज़ाहिर है ये  राजनीतिक भाव जयंत मलैया के पक्ष में तो नहीं ही थे।

प्रहलाद सिंह पटेल

 

ज़ाहिर है कि उपचुनाव के ऐन पहले मेडिकल कॉलेज की नींव रखना राहुल सिंह लोधी के लिए लाभदायक साबित हो सकता है लेकिन पिछले दिनों उनकी दमोह वापसी के दौरान हुए घटनाक्रम के बाद यह भी स्पष्ट है कि उनकी जीत की राह इतनी आसान नहीं होगी। हालांकि, दमोह में कभी मेहमान नेता के तौर पर आए प्रह्लाद सिंह पटेल अब यहां एक मजबूत जमीन बना चुके हैं और  राहुल सिंह को उनका पूरा सर्मथन भी है। ऐसे में राहुल को अपने जीत पर काफी भरोसा है।

वैसे इस समारोह से पहले ही मलैया समर्थकों में काफी निराशा देखी जा रही थी। कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र में जयंत मलैया का नाम शामिल नहीं किया गया था। हालांकि यह सरकारी निमंत्रण पत्र था और मलैया अब पूर्व मंत्री और विधायक हैं ऐसे में उनका नाम न जोड़े जाने को लेकर कई बातें कहीं गईं लेकिन मलैया सर्मथकों ने सोशल मीडिया पर इसका जमकर विरोध किया।

 

 


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