बुदनी विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा ने पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को प्रत्याशी घोषित किया है, लेकिन इस फैसले ने पार्टी के भीतर नाराजगी को हवा दे दी है। खासकर, पूर्व विधायक राजेन्द्र सिंह राजपूत के समर्थकों में इस फैसले को लेकर जबरदस्त असंतोष है। राजपूत, जो खुद इस सीट के प्रबल दावेदार थे, को टिकट न मिलने से उनके समर्थक खुलेआम विरोध जता रहे हैं।
राजेन्द्र सिंह राजपूत की नाराजगी का असर
पूर्व विधायक राजेन्द्र सिंह राजपूत ने इस सीट पर पहले शिवराज सिंह चौहान के लिए अपनी विधायक पद की कुर्सी छोड़ी थी। शिवराज के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने बुदनी से लगातार पांच बार जीत दर्ज की। इस बार के उपचुनाव में राजपूत भी एक मजबूत दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन भाजपा नेतृत्व ने उन्हें टिकट नहीं दिया और रमाकांत भार्गव को प्रत्याशी बनाया। इस फैसले से राजपूत बेहद नाराज हैं, जिसका असर सोमवार को भोपाल में हुई बैठक में दिखा। शिवराज सिंह चौहान के निवास पर आयोजित इस बैठक में राजेन्द्र सिंह राजपूत ने हिस्सा नहीं लिया, जबकि इस बैठक में प्रत्याशी रमाकांत भार्गव, जिलाध्यक्ष रवि मालवीय और पूर्व जिलाध्यक्ष रघुनाथ सिंह भाटी जैसे महत्वपूर्ण नेता मौजूद थे।
राजपूत खेमे की बैठक
रमाकांत भार्गव को टिकट दिए जाने के बाद राजेन्द्र सिंह राजपूत और उनके समर्थकों में भारी असंतोष है। मंगलवार को भैरूंदा में सर्व मंगलम पैलेस में राजपूत समर्थकों और पूर्व मंडी अध्यक्ष रेहटी आशाराम यादव के संयुक्त प्रयासों से एक बैठक बुलाई गई। इस बैठक में भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने रमाकांत भार्गव के खिलाफ खुलकर नाराजगी जताई। कार्यकर्ताओं का कहना था कि आयातित प्रत्याशी मंजूर नहीं है और अगर संगठन ने अपना फैसला नहीं बदला, तो इसका परिणाम चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
रामपाल सिंह की कोशिशें नाकाम, मंच छोड़ने पर मजबूर
उपचुनाव प्रभारी रामपाल सिंह राजपूत, जो कार्यकर्ताओं को शांत करने और संगठन के फैसले का समर्थन हासिल करने पहुंचे थे, उन्हें भी भारी विरोध का सामना करना पड़ा। कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी करते हुए कहा कि अगर प्रत्याशी नहीं बदला गया, तो वे चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करेंगे। कार्यकर्ताओं का गुस्सा देखकर रामपाल सिंह को भाषण बीच में ही छोड़कर मंच से वापस लौटना पड़ा। कार्यकर्ताओं ने राजेन्द्र सिंह राजपूत के समर्थन में खुलकर नारे लगाए और उन्हें संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।
सोशल मीडिया पर विरोध
रमाकांत भार्गव की उम्मीदवारी का विरोध सोशल मीडिया पर पहले ही शुरू हो चुका था। चुनावी रथ की तस्वीरें वायरल होते ही राजेन्द्र सिंह के समर्थकों ने खुलकर नाराजगी जताई थी। समर्थकों का कहना है कि राजपूत के साथ हुए इस अन्याय को वे बर्दाश्त नहीं करेंगे और इस फैसले के खिलाफ हर संभव प्रयास करेंगे।
भाजपा के सामने चुनौती
बुदनी का उपचुनाव भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, खासकर तब जब पार्टी के अंदर ही विद्रोह के सुर उठ रहे हैं। रमाकांत भार्गव के खिलाफ पार्टी के भीतर बढ़ती नाराजगी को संभालना भाजपा नेतृत्व के लिए एक कठिन परीक्षा है। अब देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व इस विद्रोह को कैसे शांत करता है और आगामी चुनाव में पार्टी की स्थिति को कैसे मजबूत करता है।