इंदौर। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में खासी भीड़ उमड़ रही है और इस दौरान भारतीय जनता पार्टी भी कुछ नर्वस नजर आ रही है। हालांकि भाजपा ने इसके लिए भी तैयारी कर रखी है जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा लोगों से संवाद कर रही है ठीक उसी समय भाजपा की भी एक रैली शुरू हो चुकी है। खंडवा में आदिवासी अस्मिता के नायक टंट्या भील की जन्मस्थली पंधाना से जनजातीय गौरव यात्रा शुरू की गई है।
भारत जोड़ो यात्रा टंट्या भील की जन्मस्थली पर आज पहुंच रही है लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने इसके लिए एक कदम आगे बढ़कर काम किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने चार मंत्रियों के साथ बुधवार को ही यहां पहुंच चुके थे। खबरों के मुताबिक यह कार्यक्रम अचानक बनाया गया। प्रदेश में कई आदिवासी बाहुल्य स्थानों से जनजातीय गौरव यात्रा निकाली जा रही है। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे। जिन्होंने हाल ही में बनाए गए पेसा कानून को खासा प्रचारित किया।
यह जून 4 दिसंबर को इंदौर महू के पातालपानी में खत्म होगी। यह दिन आदिवासी नायक टंट्या भील का शहादत दिवस मनाया जाता है।
जाहिर है कि कांग्रेस जहां आदिवासी नागरिकों को छूने जा रही है वहीं मुख्यमंत्री शिवराज और भाजपा यहां एक पूरा कार्यक्रम तैयार कर चुकी है। भाजपा इससे पहले भी आदिवासी नागरिकों को रिझाने के लिए प्रदेश में खासी सक्रिय रही है। इसकी प्रदेश में वजह आदिवासी वोटबैंक है जो चुनावों में सरकार बना या गिरा सकता है।
कांग्रेस मध्य प्रदेश पर खासा ध्यान दे रही है। यही वजह है कि राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी भी इस यात्रा में शामिल हुई हैं। कांग्रेस पार्टी के मुताबिक आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश में और भी बड़े नेता शामिल होंगे।
कांग्रेस और भाजपा कि एक ही समय पर रैलियों के आयोजन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं और ज्यादातर सवाल भाजपा के डर की तरफ इशारा कर रहे हैं लेकिन भाजपा इससे इंकार करती है उनका कहना है कि उनकी रैली की योजना राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का जवाब कतई नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट्स में भाजपा विधायक राम दांगोरे ने कहा, “कांग्रेस के विपरीत, हम केवल चुनावों से पहले यात्रा शुरू नहीं करते हैं। हमारी रैली की योजना काफी पहले से बनाई गई थी।”
मध्यप्रदेश में आदिवासी वोट बैंक काफी अहम रहा है 2018 के चुनावों से पहले 2013 में भाजपा को 84 आदिवासी बाहुल्य सीटों में से 60 पर जीत हासिल हुई थी तो वहीं 2018 में भाजपा केवल 34 सीटों पर जीत सकी। ऐसे में साफ है कि कांग्रेस का प्रभाव इन सीटों पर बढ़ा है।