2024 के चुनाव में भाजपा का 400 सीटों का लक्ष्य, यह तीन महासचिव होंगे सबसे अहम किरदार


आने वाले चुनावों के लिए भाजपा के द्वारा बनाई गई यह टीम बेहद अहम है।


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BJP General Secretaries: Vinod Tawde, Sunil Bansal and Tarun Chugh : Deshgaon News
विनोद तावड़े, सुनील बंसल और तरुण चुग


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनावों में 400 से अधिक सीटें हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इसे सुनिश्चित करने के लिए, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हाल ही में आम चुनाव की तैयारी के लिए तीन सदस्यीय टीम नियुक्त की। यह तीन सदस्य भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं और बैकरूम टीम के रूप में काम करेंगे। इनमें सुनील बंसल, विनोद तावड़े और तरुण चुग शामिल हैं।

यह टीम 2024 के लोकसभा चुनावों में उम्मीदवारों के लिए रणनीतियों पर काम करेगी। इनकी भूमिका उन निर्वाचन क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेताओं की पहचान करने में अहम होगी जहां उनकी पार्टी के उम्मीदवार 2019 के चुनावों में दूसरे नंबर पर रही थी।

इस दौरान उन उम्मीदवारों को भी देखा जाएगा कि जिन्हें राज्य भाजपा इकाइयों की सूची में संभावित उम्मीदवारों के तौर पर शॉर्टलिस्ट किया गया था। इस चुनावी कवायद में टीम अपने मूल समर्थकों से आगे जाकर संगठन की स्वीकार्यता को बढ़ाने के लिए लोगों के बीच जाने की भी रणनीति बनाएगी।

यहां उन लोगों पर एक नजर डालते हैं जिन पर बीजेपी अपने चुनावी अभियान की सफलता के लिए भरोसा कर रही है।

सुनील बंसल – 

तीन सदस्यीय पैनल में सुनील बंसल को शामिल इसलिए किया गया है क्योंकि पार्टी को उनके संगठनात्मक काम और चुनाव प्रबंधन कौशल पर भरोसा है और इस बार जब लक्ष्य बड़ा है तो बंसल को दी गई जिम्मेदारी और अहम हो चुकी है।

बंसल अपने चुनावी रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन कर चुके हैं। उन्होंने 2017 और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के धमाकेदार प्रदर्शन का श्रेय दिया जाता है।

अगस्त में, उन्हें पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना का प्रभारी राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया था – तीन विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य जिन पर भाजपा 2024 के लिए अपनी चुनावी रणनीति पर विशेष ध्यान देगी। यहां वे संगठन को मजबूत करने और पार्टी छोड़ चुके बड़े नेताओं को लौटाकर लाने के लिए काम करेंगे।

राजस्थान में जन्मे 53 वर्षीय बंसल छात्र जीवन से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं। उन्हें अमित शाह द्वारा चुना गया था, जब वह 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश की रणनीति तैयार कर रहे थे, यूपी की इस जीत ने नरेंद्र मोदी को केंद्र में सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई।

वे अमित शाह के करीबी हैं और अब नई समिति में उनका चयन बताता है कि वे अब एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है। सुनील बंसल को अमित शाह का पीके यानी प्रशांत किशोर भी कहा जाता है।

विनोद तावड़े – 

अखिल भारतीय भाजपा महासचिव विनोद तावड़े ने 2014-2019 की देवेंद्र फडणवीस सरकार के दौरान महाराष्ट्र में कथित रूप से दरकिनार किए जाने के बाद वापसी की है। महाराष्ट्र में उन्हें फडणवीस के बराबर देखा जा रहा था।

नई जिम्मेदारी सौंपने का केंद्रीय भाजपा का फैसला बताता है कि वे कयास गलत नहीं थे और अबकी चुनावी  रणनीतिकार के रूप में सफलता और क्षमता पर भाजपा आलाकमान ने भरोसा जताया है और उन्हें फिर मौका दिया है।

फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार में तावड़े ने स्कूली शिक्षा, चिकित्सा और उच्च तकनीकी शिक्षा, खेल, संस्कृति और मराठी भाषा (भाषा) जैसे महत्वपूर्ण विभागों को संभाला था, लेकिन 2019 के चुनावों में तावड़े को विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट नहीं दी गई थी।

यह उनके लिए गहरा धक्का था लेकिन तावड़े ने अपना यह अपमान चुपचाप सहा और पार्टी के द्वारा तय किए गए सुनील राणे के लिए काम करना शुरू कर दिया। उनकी यह प्रतिबद्धता भाजपा आलाकमान को भी रास आई।

इसके बाद तावड़े को 2020 में नड्डा की टीम में एक राष्ट्रीय सचिव के रूप में काम करने के लिए चुना गया। एक साल से अधिक समय तक उनके काम का मूल्यांकन करने के बाद, पार्टी नेतृत्व ने उन्हें 2021 में राष्ट्रीय सचिव से राष्ट्रीय महासचिव के रूप में पदोन्नत किया। तावड़े ने तब कहा था, “मेरे धैर्य को पुरस्कृत किया गया है। यह एक सबक है जिसे हर कार्यकर्ता को ध्यान में रखना चाहिए।”

एक संगठनात्मक व्यक्ति और अहम चुनावी रणनीतिकार, तावड़े ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ की थी। वह ABVP में उठे और इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

तावड़े को 1999 में मुंबई भाजपा के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बनने का श्रेय भी दिया जाता है। इससे पहले, 1995 में, उन्होंने महाराष्ट्र भाजपा के महासचिव (संगठन) के रूप में काम किया था।

वह 2008 से 2014 तक राज्य में विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य थे, जिसके पिछले चार वर्षों के दौरान, वह परिषद में विपक्ष के नेता भी थे।

तरुण चुग – 

एक और भाजपा नेता जिन्होंने एबीवीपी में काम करने के बाद भाजपा में प्रवेश किया और एक कुशल संगठक के रूप में पार्टी में अपनी पहचान बनाई, 50 वर्षीय तरुण चुग प्रमुख व्यक्ति हैं जो भाजपा के लिए बहुत से अहम काम करते हैं और इनमें पार्टी और बड़े नेताओं के कार्यक्रम के कैलेंडर तैयार करना भी शामिल हैं।

अमृतसर से आने वाले चुग तेलंगाना में भाजपा के प्रभारी महासचिव रहे हैं। तेलंगाना एक ऐसा राज्य जहां पार्टी एक मजबूत विपक्षी दल के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

पार्टी ने विधानसभा के उपचुनाव में दो सीटें भी जीतीं और दिसंबर 2020 में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों में दस गुना बेहतर परिणाम हासिल किए। पार्टी के एक नेता ने कहा कि जब से चुग ने कार्यभार संभाला है, तेलंगाना इकाई देश में भाजपा की सबसे सक्रिय राज्य इकाइयों में से एक बन गई है।
अब केंद्रीय टीम में चुग की भूमिका चुनाव से पहले पार्टी द्वारा आयोजित किए जाने वाले कई कार्यक्रमों के लिए वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के साथ समन्वय करने की होगी। सूत्रों ने कहा कि इसे अंतिम रूप देने के लिए वह सभी राज्य इकाइयों के साथ समन्वय करेंगे।


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