भोपाल। उपचुनाव के नतीजों का सभी को बेसब्री से इंतजार है। दोनों ही पार्टियों के नेता अपने लिए अच्छे परिणामों की उम्मीद में हैं, क्योंकि ये नतीजे ही उनका भविष्य तय करेंगें। पार्टियां चाहती हैं कि उन्हें पूरा बहुमत मिले तो ही आगे की राह आसान रहेगी।
इस बीच दमोह जिले की हटा तहसील का एक परिवार ऐसा भी है जो चाहता है कि पार्टी जो भी आए बस पूरा बहुमत लेकर आए। यही एक सूरत है जब उन्हें न्याय मिल सकेगा।
उपचुनावों में दल-बदल का मुद्दा हावी रहा है। इस परिवार ने भी दल बदला था और फिर जैसे उनका सबकुछ बदल गया या ये कहें कि सब खत्म हो गया।
दमोह में बहुजन समाज पार्टी के नेता देवेंद्र चौरसिया ने अपनी पार्टी छोड़ी और 12 मार्च को कमलनाथ के सामने कांग्रेस की सदस्यता ले ली। इसके बाद 15 मार्च को उनकी बेरहमी से हत्या कर दी जाती है।
देवेंद्र के पुत्र सोमेश इस हमले में बच जाते हैं। अब सोमेश अपने पिता की हत्या के आरोपियों के लिए सजा दिलाने की बेहद मुश्किल लड़ाई लड़ रहे हैं। लड़ाई मुश्किल इसलिए है क्योंकि आरोपी पथरिया से बहुजन समाज पार्टी की विधायक रामबाई परिहार के पति गोविंद सिंह और देवर कौशलेंद्र उर्फ़ चंदू सिंह सहित कुल 28 लोग हैं। ये विधायक अब तक दोनों ही पार्टियों के लिए बेहद अहम रहीं हैं।
सोमेश बताते हैं कि उनके पिता को पहले से ही खुद के लिए खतरा महसूस हो रहा था और उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता लेते समय तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से अपने लिए सुरक्षा भी मांगी थी।
इस मामले के बाद परिवार का न्याय के लिए संघर्ष शुरु होता है। जिसमें चौरसिया परिवार खासा परेशान हो चुका है। सोमेश बताते हैं कि उनके इंसाफ न मिलने में पार्टियों की राजनीतिक कमजोरी की बड़ी भूमिका रही।
उस समय कांग्रेस पार्टी के पास पूर्ण बहुमत नहीं था और इसलिए उन्हें बहुजन समाज पार्टी के विधायकों का साथ चाहिए था लिहाज़ा कमलनाथ कांग्रेस में अगुआई के समय देवेंद्र चौरसिया से किया गया सुरक्षा देने का वादा भूल जाते हैं और जब देवेंद्र चौरसिया की हत्या हो जाती है तो भी मामले में कोई गंभीर कदम नहीं उठाया जाता।
यह समय की ही बात है कि उस समय कमलनाथ के प्रति पूरी निष्ठा जताने वाली विधायक रामबाई परिहार अब मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के लिए भी खुद को उतना ही ईमानदार बताती हैं। इस सरकार के पास भी पूरा बहुमत नहीं है ऐसे में शिवराज सरकार ने भी सोमेश चौरसिया और उनके परिवार का साथ नहीं दिया।
राजनीति की इसी स्थिति के बदलने की आस में चौरसिया परिवार भी चुनाव नतीजों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। उन्हें उम्मीद है कि राजनीतिक स्थिरता उनके न्याय का कारण बनेगी। सोमेश बताते हैं कि सत्ता किसी की भी आए, लेकिन पूरी सीटों के साथ आए ताकि आने वाले मुख्यमंत्री में इतना साहस हो कि वे मजबूरी में गलत का साथ न दें।
सोमेश और उनका परिवार अब निजी सुरक्षाकर्मियों के बीच रहते हैं। उनके मुताबिक उनकी और परिवार की जान को खतरा है। वे कहते हैं कि इस दौरान उन्हें और उनके परिवार को खासा परेशान किया गया। पुलिस और प्रशासन जहां साथ नहीं दे रहा था तो वहीं व्यावसायिक नुकसान भी खूब किया गया। जिसके बाद उनके ठेकेदारी के कामकाज बंद हो गए।
इसी साल जून में चौरसिया परिवार के सदस्यों पर हत्या के प्रयास का एक प्रकरण भी दर्ज हुआ। परिवार के मुताबिक ये मामला झूठा था। सीसीटीवी फुटेज और परिसर में मौजूद निजी सुरक्षाकर्मियों के बयानों के बाद चौरसिया परिवार को हाईकोर्ट से राहत मिल सकी।
इस प्रकरण में सोमेश आरोपी नहीं थे, लेकिन उनपर मामले में आरोपी उनके रिश्तेदारों की मदद का मामला दर्ज कर लिया गया था। सोमेश बताते हैं कि इसके बाद भी उनके परिवार पर मुसीबतें कम नहीं हुई हैं। उनके मुताबिक खतरे में वे हैं लेकिन सुरक्षा हत्यारों के पास है।
इस बीच क्षेत्र के दिग्गज नेता जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया ने सोमेश चौरसिया का साथ देने और उनके परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ाई लड़ने की बात कही है और वे सार्वजनिक रूप से आगे भी आए हैं। लेकिन वर्तमान राजनीतिक स्थिति में ये लड़ाई कैसे लड़ी जाएगी, यह चुनाव परिणामों पर निर्भर है।